वक्फ संपत्तियों की गड़बड़ियों पर ईडी की बड़ी कार्रवाई, नौ ठिकानों पर छापेमारी
ईडी ने वक्फ संपत्तियों की जांच में मारा छापा
गुजरात में वक्फ संपत्तियों में कथित गड़बड़ियों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अहमदाबाद पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर पांच लोगों के खिलाफ ECIR दर्ज किया है। इन आरोपियों पर बिना वैध ट्रस्टी नियुक्ति के कनच की मस्जिद ट्रस्ट और शाह बड़ा कसम ट्रस्ट की संपत्तियों पर कब्जा जमाने, फर्जी लीज़ समझौते करने, किराया वसूलने और वक्फ बोर्ड को गलत हलफनामे सौंपने का आरोप है। ईडी ने गुजरात के नौ ठिकानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की है। ये ठिकाने या तो आरोपियों के स्वामित्व में हैं या उनके सहयोगियों द्वारा संचालित हैं। छापेमारी का उद्देश्य अपराध से अर्जित संपत्तियों का पता लगाना है। शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि इन लोगों ने ट्रस्ट की जमीन पर 150-200 घर और 25-30 दुकानें अवैध रूप से बनवाईं और वर्षों से किराया वसूल रहे थे, जो ट्रस्ट के खाते में जमा नहीं किया गया।
फर्जी ट्रस्टियों की चालबाजी, बोर्ड को किया गुमराह
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, सालिम खान जुमा खान पठान, मोहम्मद यासर अब्दुलहामिया शेख, मेहमूद खान, फैज मोहम्मद पीर मोहम्मद चोबदार और सईद अहमद याकूबभाई शेख ने खुद को ट्रस्टी बताकर फर्जी हलफनामे वक्फ बोर्ड को सौंपे। 2024 में वक्फ बोर्ड, गांधीनगर में उन्होंने फर्जी दस्तावेज जमा किए ताकि ट्रस्ट की संपत्तियों पर अधिकार जताया जा सके। उन्होंने इस दस्तावेज़ का इस्तेमाल अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को भी गुमराह करने में किया।
स्कूल की जमीन पर अवैध कब्जा, जनहित को पहुंचा नुकसान
जमीन जो कनच की मस्जिद ट्रस्ट की थी, उसे पहले अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को उर्दू स्कूल नंबर 9 और 10 के निर्माण हेतु दी गई थी। मकसद था कि स्थानीय बच्चों को कक्षा 1 से 7 तक की शिक्षा मिल सके। 2001 के भूकंप में स्कूल क्षतिग्रस्त हुआ और 2009 में गिरा दिया गया। इसके बाद 2008 से 2025 के बीच, इस जमीन पर लगभग 200 घर और दुकानें बना दी गईं, जो अवैध थीं।
हर माह वसूला किराया, ट्रस्ट को नहीं मिला एक भी रुपया
ईडी के अनुसार, आरोपियों ने इन घरों और दुकानों से हर माह किराया वसूला, लेकिन वह राशि ट्रस्ट के खाते में नहीं गई। यह राशि व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल की गई और सार्वजनिक हित के लिए निर्धारित भूमि का दुरुपयोग हुआ। ट्रस्ट की संपत्ति से मिली आय न तो समुदाय के विकास में लगी और न ही किसी धर्मार्थ कार्य में।