अमित शाह की हुंकार
अमित शाह की हुंकार
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के मोदी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराए जाने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए राज्यसभा में हुंकार भरी कि पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) हमारा है और इसे हमसे कोई नहीं छीन सकता। अमित शाह ने सख्त तेवर दिखाते हुए विपक्ष को जिस ढंग से आइना दिखाया उससे विपक्ष के पास कोई उत्तर नहीं बचा। अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी कांग्रेस सांसद सदन में कहते रहे कि उन्हें यह फैसला मंजूर नहीं और अनुच्छेद 370 को गलत ढंग से हटाया गया। इस पर गृहमंत्री ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन विधेयक) पर चर्चा का जवाब देते हुए कांग्रेस को जमकर धो डाला। अमित शाह आधुनिक राजनीति के चाणक्य तो माने जाते ही हैं लेकिन जिस ढंग से उन्होंने तर्कों के साथ बहस का जवाब दिया उससे वह भाजपा के उत्कृष्ट सांसद के तौर पर उभरे हैं। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि अनुच्छेद 370 ने अलगाववाद को बढ़ावा दिया और अलगाववाद के कारण आतंकवाद को बढ़ावा मिला।
एक गलत निर्णय लिया जा सकता है लेकिन जब इतिहास और समय साबित करता है कि निर्णय गलत है तो देश के िहत की ओर वािपस आ जाना चाहिए। उन्होंने विपक्ष को चेताया ‘‘आईये वापिस आ जाओ, नहीं तो कितने बचे हैं, यह भी नहीं रहेंगे। 2024 में मुंह की खानी पड़ेगी और प्रधानमंत्री मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।’’
पीओके के इतिहास पर नजर डालें तो 1947 में पाकिस्तान के पख्तून कबायलियों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला बोल दिया जिसके बाद जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरिसिंह ने भारतीय सरकार के साथ एक समझौता किया जिसके तहत भारत सरकार से सैन्य सहायता मांगी गई और इसके बदले में जम्मू-कश्मीर को भारत में मिलाने की बात कही गई। भारत ने इस समझौते पर दस्तखत कर दिए। उस समय पाकिस्तान से हुई लड़ाई के बाद कश्मीर 2 हिस्सों में बंट गया। कश्मीर का जो हिस्सा भारत से लगा हुआ था, वह जम्मू-कश्मीर नाम से भारत का एक सूबा हो गया, वहीं कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सटा हुआ था, वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहलाया। पीओके को लेकर पाकिस्तान की दोहरी नीति है। एक तरफ तो वह इसे आजाद कश्मीर कहता है तो दूसरी ओर यहां के प्रशासन और राजनीति में सीधा दखल कर यहां के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने में लगा है। यहां पर बाहरी लोगों को बसा दिया गया है। पीओके का शासन मूलतः इस्लामाबाद से सीधे तौर पर संचालित होता है। आजाद कश्मीर के नाम पर एक प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है, जो इस्लामाबाद का हुक्म मानता है। 49 सीटों वाली पीओके विधानसभा के लिए 1974 से ही पीओके में चुनाव कराए जा रहे हैं और वहां एक प्रधानमंत्री भी है। लेकिन पीओके या पाकिस्तान के बाहर इस दावे को मान्यता नहीं मिली है। पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद है। पाकिस्तान इसे आजाद कश्मीर के तौर पर विश्व मंच पर पेश करता है, जबकि भारत इसे गुलाम कश्मीर कहता है। पाकिस्तान पर पीओके की निर्भरता भी किसी से छुपी हुई नहीं है।
इतिहास कहता है कि अगर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने असमय सीजफायर नहीं किया होता तो पीओके होता ही नहीं। भारत की सेना जीत रही थी और पाकिस्तानी भाग रहे थे। अगर पंडित नेहरू ने गलती न की होती तो पूरा पीओके भारत के तिरंगे के तले आ जाता। सारी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान ने पीओके के लोगों के साथ धाेखा किया। पीओके के संसाधनों का जमकर दोहन किया लेकिन आज तक वहां के लोगों को अधिकार नहीं दिए गए। पीओके की आबादी को बदलने के लिए पाकिस्तान ने यहां पख्तूनों को बसाया। पाक अधिकृत कश्मीर में उसने आतंकवादियों के ट्रेनिंग शिविर बना दिए। पीओके का कुछ हिस्सा चीन के हवाले कर इस क्षेत्र की स्वायत्तता के साथ धोखा किया। पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों को आर्थिक और सामाजिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और वहां के लोग आजादी की मांग कर रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कई बार यह कह चुके हैं कि पीओके को लेकर भारत को कुछ ज्यादा करने की जरूरत नहीं। पीओके के लोग खुद चाहतेहैं कि उनका विलय भारत के साथ हो। एक दिन पीओके खुद ब खुद भारत के साथ आ जाएगा। संसद में पीओके को लेकर तीन प्रस्ताव पारित किए जा चुके हैं। संसद ने 22 फरवरी 1994 को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले राज्य के हिस्से को खाली करना होगा। वाक्यांश राज्य के कब्जे वाले हिस्से पीआेके को संदर्भित करते हैं और खाली करे शब्द का उपयोग भारत की शांतिपूर्ण नीतियों के अनुरूप है। अब पाकिस्तान फिर अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और गृहमंत्री अमित शाह की हुंकार से डरा बैठा है।
अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या पाकिस्तान से पीओके को वापिस छीनने का समय आ गया है। इसमें कोई संदेह नहीं िक भारत की युद्ध शक्ति इस समय बहुत बेहतर है और पाकिस्तान की हालत बहुत खस्ता है। पाकिस्तान का भविष्य क्या होगा यह तो पाकिस्तान के लोग भी नही जानते। गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर को मुख्य धारा में लाकर नए कश्मीर के निर्माण का वादा किया है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का एक प्रतिनिधि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नामित होेगा। इससे पीओके के आजादी समर्थक नेताओं को आवाज मिलेगी। पाक अधिकृत कश्मीर को वापिस लेने के संकल्प के दृष्टिगत यह पहल महत्वपूर्ण है।