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एक और महायुद्ध...

02:59 AM Oct 09, 2023 IST
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सात साल बाद एक बार फिर इजराइल और फिलिस्तीन में जंग छिड़ गई है। यह जंग महायुद्ध का रूप धारण कर सकती है। इसे लेकर वैश्विक स्तर पर प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। हमास के हमले के बाद लेबनान के आतंकी समूह हिज्बुल्ला ने भी इजराइल पर हमला कर दिया है। इजराइल के जवाबी हमलों ने तबाही मचानी शुरू कर दी है। दुनिया फिर दो खेमाें में बंटती दिखाई दे रही है। वर्ष 2014 में दोनों के बीच युद्ध हुआ था जो 50 दिन तक चला था। बड़ी संख्या में निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। राकेटों के हमलों से इमारतें ध्वस्त हो रही हैं। मानवता क्रंदन कर रही है। अब तक 700 लोगों की जानें जा चुकी हैं। धमाकों के बाद गाजा पट्टी और अन्य इलाकों में धुएं के गुब्बार उठ रहे हैं। फिलिस्तीन की धरती पर इजराइल की स्थापना शुरू से विवाद का विषय रही है। अरब के विरोध के बीच 14 मई 1948 को यहूदी नेताओं ने इजराइल राष्ट्र के गठन का ऐलान किया और अंग्रेज यहां से चले गए। इसके बाद से ही इजराइल-अरब युद्ध होते रहे।
75 वर्षों में इजराइल ने न केवल अपने दुश्मनों से युद्ध लड़े, बल्कि फिलिस्तीनी इलाकों में विद्रोह से भी निपटा है। इजराइल इस समय दुनिया का सबसे ताकतवर देश है। कोई भी उसकी सामरिक शक्ति का मुकाबला नहीं कर सकता। उसे उम्मीद भी नहीं होगी कि हमास उस पर इतना बड़ा हमला कर कोहराम मचा सकता है। हमास ने गाजा पट्टी से इजराइल पर कम से कम 5 हजार राकेट दागे। इसमें अधिकतर राकेटों को इजराइली मिसाइल डिफैंस ने हवा में ही मार गिराया। यह हमला इतना तेज था कि इजराइली सीमांत सुरक्षा बलों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। इसमें कोई संदेह नहीं कि इजराइली सेना अब इंतकाम लेने पर उतारू है लेकिन हैरानी की बात यह है कि हमास के आतंकी धरती, आसमान और पानी के जरिए इजराइल में घुसने में कामयाब हो गए। फिलिस्तीन के अलग-अलग इलाकों में कई इजराइली खुफिया एजैंसियां आपरेट करती हैं।
इनमें मिलिट्री इंटे​लिजेंस डायरेक्टरेट, शिन बेट और कुछ मामलों में मोसाद भी शामिल होती है। मोसाद को दुनिया की सबसे ताकतवर इंटेलिजेंस एजैंसी माना जाता है। इसने पूरी दुनिया में इजराइल के दुश्मनों को ढूंढ-ढूंढकर मारा है। इतना ही नहीं, जो काम अमेरिका तक नहीं कर सका उसे मोसाद ने अंजाम दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि मोसाद को आखिर हमास के इतने बड़े हमले की प्लानिंग की भनक क्यों नहीं लगी। इजराइली सेना की तुलना में हमास एक कमजोर और असंगठित संगठन है जिससे मोसाद के लिए अंदरुनी खबरें निकालना आसान होता है।
हमास गाजा पट्टी में सक्रिय सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन है। इसका सिर्फ एक दुश्मन है, और वो इजराइल है। हमास को पैसा मुख्य रूप से इस्लामी देशों से मिलता है। इसमें सबसे बड़ा दानदाता देश कतर है। इसके अलावा हमास फिलिस्तीन के विकास के लिए मिले पैसों का भी अपने काम के लिए इस्तेमाल करता है। हमास को ये पैसा सऊदी अरब, ईरान और दूसरे अरब देशों से मिलता है। पाकिस्तान भी परोक्ष रूप से हमास की मदद करता है। कई ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि हमास के आतंकवादियों को पाकिस्तानी सेना भी ट्रेनिंग देती है। फिलिस्तीन ताकत बटोर कर हमला किया ता​क वह इजराइल के ‘अवैध कब्जों’ के मुद्दे पर पुरी दुनिया को कें​द्रत कर सकें।
इजराइल और फिलिस्तीनियों के बीच यह जंग राजनीतिक नहीं है। यह एक धर्मयुद्ध है। दोनों देशों के बीच अल-अक्सा मस्जिद है जिसे इजराइल टैंपल माउंट मानता है। यहूदियों का कहना है कि जिस जगह पर आज अल-अक्सा मस्जिद है वहां कभी उनका मंदिर था, जिसे मुसलमानों ने खंडित करके मस्जिद बना दी, अगर ऐतिहासिक तथ्यों को स्वीकार करें तो 957 ई. पूर्व साल पहले यहूदियों ने यरूशलम में अपना पहला यहूदी मंदिर बनवाया था। इसके बाद उन्होंने अपना दूसरा यहूदी मंदिर टैंपल माऊंट लगभग 352 ई. पूर्व में बनवाया था जिसे रोमन साम्राज्य ने पहली सदी में तबाह कर दिया। काफी समय के बाद लगभग सातवीं शताब्दी में यरूशलम में मुस्लिम आक्रमण हुआ और मुस्लिमों ने उसके मंदिरों को खंडित कर दिया। अल-अक्सा मस्जिद यहूदियों और मुस्लिमों के लिए एक पवित्र स्थल है इसलिए यह दोनों में संघर्ष के भावनात्मक केन्द्र में बना हुआ है। यहूदी लोग इस मस्जिद की पश्चिमी दीवार को पूजते हैं। मुस्लिमों का मानना है कि सातवीं शताब्दी में देवदूत जिब्राइल के साथ पैगबंर हजरत मोहम्मद अल-अक्सा मस्जिद में पहंचे थे। शुरूआत में मुस्लिम इसी मस्जिद की ओर मंंह करके नमाज पढ़ा करते थे बाद में वे मक्का के काबा की तरफ होकर नमाज पढ़ने लगे वहीं इस जगह से इसाई धर्म का भी गहरा जुड़ाव है।
पश्चिमी दीवार और अल-अक्सा मस्जिद के साथ ईसाइयों की सबसे पवित्र जगह भी यहां पर स्थित है। इसी जगह पर ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। यहूदी, इस्लाम और इसाई तीनों धर्मों का इस जगह से गहरा नाता है। सबसे बड़ा सवाल यह है ​कि फिलिस्तीन इजराइल के मुकाबले कम शक्तिशाली है। आतंकवादी संगठन हमास फिलिस्तीन पर शासन करता है। दरअसल हमास को अब शाक्तिशाली हुए ईरान का समर्थन हासिल है। ईरान इस जंग को इस्लाम बनाम पश्चिम बनाना चाहता है। हमास के हमले के बाद ईरान में जिस तरह से खुशी मनाई गई है उससे संकेत साफ मिल रहे हैं। इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने यु​द्ध का ऐलान करते हुए फिलिस्तीन को तबाह करने का संकल्प लिया है। इजराइल को अमेरिका, ब्रिटेन और भारत ने समर्थन दिया है जबकि मुस्लिम राष्ट्र फिलिस्तीन के साथ हैं। आने वाले दिनों में यह जंग कितनी विध्वंसक होगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है। युद्ध शुरू करने आसान होते हैं लेकिन खत्म करने बहुत मुश्किल। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यह विश्व दूसरा युद्ध सहन नहीं कर सकता। बेहतर होगा कि संघर्ष विराम का रास्ता तलाशा जाए।

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