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केरल क्यों दहला

04:05 AM Oct 31, 2023 IST
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केरल के एर्नाकुलम में येहोवा विटनैस इसाई समुदाय के कन्वेंशन सैंटर में हुए सीरियल बम धमाकों ने देशभर में चिंता व्याप्त कर दी है। बम धमाकों में 3 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और लगभग 50 घायल अस्पताल में उपचाराधीन हैं। इन धमाकों ने भारत में रह रहे यहूदी समुदाय को चिंता में डाल दिया है। इजराइल हमास जंग के बीच पहले से ही अलर्ट जारी था कि यहूदियों के ​पवित्र स्थलों पर हमला हो सकता है। इस जंग को लेकर भारत में राय भी बंटी हुई है। भारत के भीतर की प्रतिक्रिया धर्म के आधार पर विभाजित है। राजनीतिक दल इजराइल का समर्थन कर रहे हैं तो कई दल फिलि​स्तीनियों के अधिकारों की बात कर रहे हैं। केरल की घटना के बाद तो यह कोहराम और भी गंभीर हो गया है। केरल बम धमाकों के बाद तरह-तरह की कहानियां सामने आ रही हैं। कभी यह आशंका व्यक्त की गई कि यह बम धमाके मुस्लिम संगठन पीएफआई ने करवाए आैर हो सकता है कि पीएफआई के तार हमास से जुड़े हुए हों। 2 दिन पहले ही केरल में फिलिस्तीन के समर्थन में एक रैली हुई थी जिसे हमास के एक आतंकवादी ने संबोधित किया था।
यह सवाल उठाया गया कि हमास के आतंकवादी को वर्चुअली संबोधित करने के लिए किसने आमंत्रित किया था। अभी इसकी चर्चा हो रही थी कि इसी बीच बम धमाकों ने एक गंभीर बहस छेड़ दी। अब जो नई थ्यौरी सामने आई है उसने भी सवाल खड़े कर दिए। जेमिनिक मार्टिन नाम के एक शख्स ने केरल पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर यह स्वीकार किया कि वह धमाके उसने किए हैं। मार्टिन का कहना है कि वह 16 साल से येहोवा के साक्षी समुदाय से जुड़ा हुआ है। लेकिन पाया यह देश विरोधी है। मैंने इस समुदाय को सुधारने के लिए कई बार चेतावनियां दी लेकिन उन्होंने उसकी चेतावनियों पर कोई गौर नहीं किया। येहोवा समुदाय किसी भी धार्मिक या राजनीतिक आंदोलन के साथ नहीं है। वह केवल अपनी मान्यताओं का पालन करता है। पुलिस मार्टिन के दावों की पड़ताल कर रही है। जांच एजेंसियों का यह भी मानना है कि हो सकता है कि यह जांच को उलझाने के लिए कोई साजिश हो। संदेह की सुई इसलिए भी गहरी हो जाती है कि केरल में जहां सीरियल ब्लास्ट हुए वहां येहोवा समुदाय की आबादी ज्यादा है। यह वो वर्ग है जो खुद को पूरी तरह इसाई धर्म से जोड़कर नहीं देखता। उसके लिए येहोवा ही भगवान है। बाइबल में इस समाज की अटूट आस्था है आैर उन्हें विश्वास है कि एक बार फिर दुनिया में उनके भगवान का राज स्थापित होगा। क्या ये धमाके अंतर्धार्मिक मतभेद के कारण हुए। इस सवाल का उत्तर जांच एजेंसियों को  ढूंढना है।
2008 के मुम्बई हमले के दौरान भारत में यहूदियों को निशाना बनाया गया था। उसके अलावा भारत दुनिया का एक मात्र देश है जहां यहूदी विरोधी भावना का कोई इतिहास नहीं रहा। वर्तमान में भारत के मुंबई, गुजरात, कोलकाता में सबसे ज्यादा यहूदी बसे हुए हैं। असल में देश में तीन तरह के यहूदी रह रहे हैं- बेन इजरायली यहूदी, मालाबार और कोच्चि यहूदी और बगदादी यहूदी। अब भारत में सबसे ज्यादा इजराइली यहूदी रहते हैं। मुंबई में अगर इनकी आबादी सबसे ज्यादा है तो वहीं गुजरात और कोलकाता में भी अच्छी उपस्थिति है।
दूसरे देशों से भारत आने वाले यहूदी देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर बस गए. इन यहूदियों के भारत आने की वजह यह थी कि जहां ये पहले रह रहे थे वहां इनके साथ उत्पीड़न होता था। इन्होंने बेहतर अवसर की उम्मीद में भारत में कदम रखा। भारत में अलग-अलग जगहों के यहूदी मुंबई, पुणे जैसे कई बड़े शहरों में जाकर बस गए। कोलकाता में इस समय बगदादी यहूदी की आबादी के लोग रहते हैं। इनकी आबादी तो अब वहां पर 10 से भी कम रह गई है, लेकिन एक जमाने में उनकी उपस्थिति भी काफी ज्यादा थी।
इजराइल-हमास युद्ध के चलते मुस्लिम समुदाय यहूदियों का ​विरोध कर रहे हैं। इस्लाम के कट्टरपंथी संगठन कोई भी बड़ा हमला यहूदियों पर कर सकते हैं। भारत में रहने वाले यहूदियों की सुरक्षा करना सरकार का दायित्व है। केरल के बम धमाकों से साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया है, इससे राज्य की शांति भंग हो सकती है। इस घटना पर सियासत की बजाय बेहतर यही होगा कि जांच एजेंसियां बम धमाकों की साजिश का खुलासा करें और दोषियों को दंडित करने के लिए ठोस कार्रवाई करें। राज्य सरकार को भी इस घटना को गंभीरता से लेकर सा​जिश की गुत्थी सुलझाने के लिए निष्पक्ष जांच में सहयोग देना होगा। तबाही की मानसिकता वाले लोगों को सजा देना बहुत जरूरी है।

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