India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

गाजा: अमेरिका की दोरंगी चालें

02:15 AM Feb 22, 2024 IST
Advertisement

इजराइल अमेरिका का सहयोगी देश है और इसी कारण अमेरिका अब तक इजराइल को संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई से बचाता रहा है। इजराइल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अल्जीरिया के तत्काल इजराइल-हमास युद्ध विराम संबंधी प्रस्ताव पर अमेरिका ने तीसरी बार वीटो लगा दिया है और साथ ही उसने अल्जीरिया के प्रस्ताव को काउंटर करके अस्थायी युद्ध विराम का अपना प्रस्ताव पेश किया है। ऐसा करके उसने एक बार फिर इजराइल को बचा लिया है लेकिन युद्ध को लेकर अमेरिका नीति पर भी सवाल उठने खड़े हो गए हैं। इजराइली और फिलीस्तीनी दशकों से पवित्र भूमि पर दावों को लेकर भिड़ते रहे हैं। यह एक ऐसा संघर्ष रहा जो दुनिया के सबसे कठिन संघर्षों में से एक रहा है। अमेरिका जो दुनिया भर में शांति का राग अलापता है वह युद्ध विराम कराने के लिए सकारात्मक प्रयास क्यों नहीं कर रहा। दुनिया का एक खेमा यह आरोप लगा रहा है कि अमेरिका ने इजराइल को हत्या करने का लाइसैंस दे रखा है। अमेरिका लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि सुरक्षा परिषद अमेरिकी योजनाओं में हस्तक्षेप नहीं करे और इस बार भी उसने अल्जीरियाई प्रस्ताव को खतरनाक बताते हुए कहा है कि यह प्रस्ताव चल रही वार्ता में बाधक बनेगा।
चीन और फ्रांस भी अमेरिकी वीटो के इस्तेमाल को गलत संदेश करार देते हैं। दोनों देशों का कहना है कि गाजा में स्थिति भयावह है। मौतों का आंकड़ा रोजाना बढ़ रहा है। फिलीस्तीनी लोग अपने अस्तित्व के ​लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में वहां के लोगों को जीने का मौका और न्याय मुहैया कराना बहुत जरूरी है। गाजा में मानवीय क्षति और मानवीय स्थिति असहनीय है इसलिए इजराइली सैन्य कार्रवाई तुरन्त बंद होनी चाहिए और वहां के लोगों काे मानवीय सहायता सुनिश्चित की जानी चाहिए। गाजा में भोजन, पानी और दवाओं का अभाव है। बिजली सप्लाई प्रभावित है। न लोगों को भोजन मिल रहा है और न इलाज। बेहोशी की दवा के बिना ही गाजा के अस्पतालों में सर्जरी की जा रही है। लोगों को इलाज के लिए गधों अाैर घोड़ाें पर भेजा जा रहा है। हमास द्वारा किए गए कृत्यों के लिए हजाराें फिलीस्तीनियों को सामूहिक रूप से दंडित किया जाना इजराइल की क्रूरता ही है। यद्यपि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, विदेश मंत्री एंटनी ​ब्लिंकन इजराइल की तीखी आलोचना भी करते रहे हैं। साथ ही वे इजराइल को अमानवीय बनाने का लाइसैंस देने का काम भी कर रहे हैं। गाजा में कोई भी जगह सुर​क्षित नहीं है। अब तक ऐसा नहीं लग रहा कि अमेरिका युद्ध को शांत करने की कोई कोशिश कर रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका आधी सदी से भी अधिक समय से इजराइल-फिलीस्तीनी संघर्ष में केन्द्रीय खिलाड़ी रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के तुरन्त बाद वह इसमें शामिल हो गया था। अमेरिका 1948 में इजराइल को एक सम्प्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश बन गया था।
मध्य पूर्व लंबे समय से संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए केंद्रीय महत्व रहा है क्योंकि क्रमिक प्रशासनों ने महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधनों को सुरक्षित करने, सोवियत और ईरानी प्रभाव को रोकने, इजराइल और अरब सहयोगियों के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करने, आतंकवाद का मुकाबला करने सहित परस्पर संबंधित लक्ष्यों का एक व्यापक सैट अपनाया। लोकतंत्र को बढ़ावा देना और शरणार्थी प्रवाह को कम करना। इसके अनुरूप संयुक्त राज्य अमेरिका ने इजराइल-फिलीस्तीनी संघर्ष को हल करने की मांग की है जो क्षेत्रीय गतिशीलता का एक प्रमुख चालक रहा है, जिसका लक्ष्य इजराइल के लिए अपने समर्थन को संतुलित करते हुए और व्यापक क्षेत्रीय स्थिरता पर जोर देते हुए इन रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करना है। साथ ही यह विवाद अमेरिकी यहूदी समुदाय और ईसाई इवेंजेलिकल दोनों इजराइल के प्रबल समर्थकों की मुख्य चिंता का विषय रहा है। अमेरिका की रुचि कम हो गई है। 2011 के विद्रोह की शुरुआत के बाद जिसे आमतौर पर अरब स्प्रिंग के रूप में जाना जाता है, सीरिया और यमन में युद्ध, क्षेत्र में प्रभुत्व के लिए ईरान का दबाव और अलकायदा और स्व-घोषित इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी समूहों ने अमेरिका के लिए और अधिक तत्काल खतरे पैदा कर दिए। इसके अतिरिक्त, ईरान और अरब खाड़ी देशों के साथ अमेरिका के संबंध अब इजराइल-फिलीस्तीनी मुद्दों पर निर्भर नहीं दिख रहे हैं जिससे संघर्ष और भी कम प्राथमिकता बन गया है।
एक तरफ अमेरिका राफा में इजराइली जमीनी हमलों का विरोध कर रहा है और उसका कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो राफा के लोग पड़ोसी देशों में विस्थापित होंगे जिससे क्षेत्रीय शांति पर बुरा असर पड़ेगा। अमेरिका मिस्र, इजराइल, कतर और हमास के बीच बंधकों की रिहाई के लिए चल रही वार्ता का समर्थन कर रहा है लेकिन वह अस्थाई युद्ध विराम के ​लए कोई पहल नहीं कर रहा। सवाल यह है कि सुरक्षा परिषद कब तक हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी। अमेरिका द्वारा बार-बार वीटो लगाना फिलीस्तीनी लोगों के बेतहर जीवन के सपने नष्ट कर रहा है। जरूरत इस बात की है कि युद्ध बंद हो। सभी बंधकों की रिहाई हो और गाजा में बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता उपलब्ध कराई जाए।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Next Article