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पुतिन : तानाशाह शासक

01:28 AM Aug 29, 2023 IST
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रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन तमाम आलोचनाओं के बावजूद इस समय बिना किसी चुनौती के शासन कर रहे हैं। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की चेतावनियों और दबाव के बावजूद पुतिन बेखौफ है। एक तरफ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और कई देश उनके खिलाफ एकजुट हैं तो दूसरी तरफ पुतिन अकेले ही मुकाबला कर रहे हैं। पुतिन के बारे में बहुत सी बातें कही जाती हैं लेकिन उनमें दुश्मनों से टक्कर लेने की क्षमता को विरोधी भी स्वीकार करते हैं। उनके बारे में मशहूर है कि वह अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को बेरहमी से कुचल देते हैं। उन्होंने विरोधी स्वरों को देश से बाहर निकाल दिया या जेल भेज दिया और कुछ को मरवा भी दिया। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला करने से पहले उन्होंने दो दशक में अपने विरोध में उठने वाले स्वरों को लगभग खत्म कर दिया। वैसे तो उन्होंने अपने शासन की शुरुआत में ही रूस के राजनीतिक महत्वकांक्षाओं वाले धन कुबेरों और ताकतवर अभिजात वर्ग के लोगों को पटखनी दे दी थी।
यूक्रेन युद्ध के दौरान बगावत करने वाले प्राइवेट आर्मी वैगनर के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन की विमान दुर्घटना में मौत की पुष्टि रूस की सरकारी एजैंसी ने कर दी है। पुतिन की सत्ता को चुनौती देने वाले सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व प्रिगोझिन ने ही किया था। ​विद्रोह के दो माह बाद ही प्रिगोझिन की मौत हो गई। वर्ष 2019 में कांगो में एक सैन्य विमान हादसे में भी प्रिगोझिन को मृत घोषित कर दिया गया था ले​िकन वह तीन दिन बाद ही दुनिया के सामने आ गए थे लेकिन इस बार रूसी जांच समिति ने डीएनए टैस्ट के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुतिन के बारे में मशहूर है ​िक वह अपने दुश्मनों को कभी नहीं छोड़ते। रूस का यह राजा अपने विरोधियों और बगावत करने वालों को कुचलने के लिए कुख्यात रहा।
दूसरी बार सत्ता में आने के बाद उन्होंने अपने विरोधियों का सफाया करना शुरू कर दिया। उन्होंने रूस के सबसे अमीर शख्स मिखाइल खोदोरकोव्स्की जैसे कुलीन वर्गों को सत्ता से हमेशा के लिए दरकिनार कर दिया, जिन्हें तेल की दिग्गज कंपनी युकोस के सीईओ पद से हटा दिया गया और टैक्स धोखाधड़ी सहित कई आरोपों में 2005 में जेल में डाल दिया गया। साल 2006 में पत्रकार और शासन के प्रबल आलोचक अन्ना पोलितकोवस्काया की हत्या कर दी गई और लंदन में पूर्व रूसी जासूस अलेक्जेंडर लिट्विनेंको को घातक जहर देकर मार दिया गया। हालांकि, पुतिन ने इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना जारी रखा, लिहाजा देश के अंदर जनता उनके शासन से खुश थी। आर्थिक मोर्च पर रूस अच्छा कर रहा था और इसकी सबसे बड़ी वजह तेल था।
साल 2015 में पुतिन के प्रमुख आलोचक और देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री बोरिस नेमत्सोव को क्रेमलिन के बाहर गोली मार दी गई। वहीं, साल 2018 में रूस के पूर्व डबल एजेंट सर्गेई स्क्रीपाल को इंग्लैंड में जहर देकर मार दिया गया। साल 2020 में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाने वाले रूस के विपक्षी नेता, एलेक्सी नवलनी को भी एक फ्लाइट में जहर दे दिया गया। वो फ्लाइट जर्मनी जा रही थी और जर्मनी के अस्पताल में नवेलनी को भर्ती कराया गया। कई महीनों तक अस्पताल में रहने के बाद जब साल 2021 में एलेक्सी नवेलनी रूस लौटे, तो मॉस्को एयरपोर्ट पर ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सजा सुना दी गई। पुतिन ने न केवल अपने राजनीतिक विरोधियों का सफाया किया बल्कि संविधान को भी अपनी मर्जी के मुताबिक बदल डाला। उनके बारे में कई किस्से-कहानियां लोग एक-दूसरे को सुनाते हैं जैसे पुतिन कभी मरेंगे नहीं और पुतिन आसमान से उतरा कोई अवतार है। पुतिन अपनी जिन्दगी को लेकर कई सस्पैंस रखते हैं। जैसे आज तक उनकी पत्नी गर्ल फ्रैंड या बच्चों के बारे में किसी को ठीक-ठाक पता नहीं है।
– 1993 का रूसी संविधान कहता है कि कोई भी व्यक्ति लगातार दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति बना नहीं रह सकता है, लिहाजा 2008 में पुतिन को पद छोड़ना पड़ा।
– पुतिन ने दिमित्री मेदवेदेव को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और खुद प्रधानमंत्री बन गए। मेदवेदेव की सरकार में संविधान में संशोधन किए गए और तय किया कि राष्ट्रपति का कार्यकाल अब 4 साल की बजाय 6 साल का होगा।
– चूंकि पुतिन प्रधानमंत्री रह चुके थे, इसलिए वो 2012 में तीसरी बार रूस के राष्ट्रपति चुने गए। मार्च 2018 में पुतिन चौथी बार राष्ट्रपति बने। 2018 के चुनाव में पुतिन को 75 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे।
– जुलाई 2020 में पुतिन एक संविधान संशोधन लेकर आए। इससे उन्हें 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने की ताकत मिल गई। पुराने कानून की जगह नए कानून ने ले ली, इसलिए पुतिन 2024 में फिर से दोबारा राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकते हैं। 2024 के बाद 2030 में राष्ट्रपति चुनाव होंगे। इस तरह पुतिन चाहें तो 2036 तक राष्ट्रपति बने रह सकते हैं। इस समय पुतिन सर्वाधिक शक्तिशाली नेता हैं। क्या उनका वर्चस्व ऐसा ही रहेगा या खंडित होगा, यह भविष्य के गर्भ में है?
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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