India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

सिखों के धार्मिक चिन्हों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं

02:44 AM Dec 07, 2023 IST
Advertisement

सिखों के धार्मिक चिन्हों से छेड़छाड़, गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी, गुरुद्वारों की मर्यादा के विपरीत कार्य करने के मामलों मं निरन्तर हो रही बढ़ौतरी बेहद चिन्ता का विषय है। किसी एक व्यक्ति से अनजाने में ऐसा होना स्वभाविक है मगर जिस तरह से लगातार मामले सामने आ रहे हैं उससे यही कहा जायेगा कि जानबूझकर किसी गहरी साजिश के चलते इस तरह की घटनाओं को अन्जाम दिया जा रहा है। ताजा मामला एशिया की सबसे बड़ी गारमेंट मार्किट दिल्ली के गांधी नगर से सामने आया जिसमें एक दुकान पर महिलाओं के गारमेंट्स पर सिख धर्म के धार्मिक चिन्ह खण्डा लगाकर बेचा जा रहा था। सिख समुदाय के द्वारा उस व्यक्ति को इसकी जानकारी देते हुए इसे हटाने को कहा गया मगर उसने बिना कोई परवाह किये इसे जारी रखा जिस पर सिख समुदाय के अन्दर रोष उत्पन्न होना स्वभाविक था। मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी तुरंत हरकत में आई और स्थानीय सदस्य गुरमीत सिंह बेदी की रहनुमाई में टीम लगाई गई जिसके द्वारा इस पर उचित कार्रवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की महिला वकील जसलीन कौर के द्वारा कार्रवाई की गई। मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों द्वारा ढुलमुल रवैया अपनाते हुए मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था मगर एडवोकेट जसलीन कौर की काबिले तारीफ की गई कार्रवाई से मामला रजिस्टर्ड हुआ और कोर्ट द्वारा कार्रवाई भी की गई। मगर यह यहीं समाप्त नहीं हो जाता। इसकी तह तक जाने की आवश्यकता है। दुकानदार तो केवल इसे बेचने की एक कड़ी मात्र है असली साजिशकर्ता कौन है, उसके इरादे क्या हैं इस सब से पर्दा उठाया जाना और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले इसे प्राथमिकता देनी होगी तभी भविष्य में इस तरह के मामलों पर लगाम लगाई जा सकती है। अभी तक देखा जाये तो जो भी इस तरह की घटनाओं को अन्जाम देते हैं उनमें से ज्यादातर या तो माफी मांग कर पल्ला छुड़ा लेते हैं या फिर उन्हें मानसिक रोगी करार देते हुए बरी करवा लिया जाता है। एडवोकेट जसलीन कौर की माने तो इस केस में असल दोषियों को ढूंढकर सजा दिलाने के सभी तरह के प्रयास जारी हैं और बहुत जल्द उन्हें कामयाबी मिलने की संभावना है। पंजाब में गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी के मामले सबसे अधिक देखने को मिल रहे हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का जीवित गुरु माना गया है ऐसे में जो कोई भी उसकी बेअदबी करे उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए। अगर किसी एक को भी सजा मिल जाये तो किसी और की जरूरत नहीं होगी ऐसा करने की।
सिख बनी महिला वकील के द्वारा सिखी का प्रचार
करनाल के गैर सिख घराने में पैदा हुई अनुराधा भार्गव जिसने वकालत की पढ़ाई कर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में एक वकील के तौर पर कार्य करते हुए जब गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बारे में जाना तो उन्होंने इस पर पूरी रिसर्च करने के बाद महसूस किया कि अगर गुरु तेग बहादुर जी उस समय कश्मीरी पंडितों की फरियाद पर अपने प्राणों की आहुति ना देते तो शायद आज हिन्दु मन्दिरों में ना तो दीये जल रहे होते और ना ही पूजा होती बल्कि एक ही धर्म इस देश में दिखाई देता। गुरु तेग बहादुर जी के इतिहास से प्रभावित होकर अनुराधा भार्गव के द्वारा इस इतिहास की जानकारी को दूसरे लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रचार कार्य आरंभ किया और प्रचार करते करते स्वयं के द्वारा सिख धर्म को अपनाकर अनुराधा कौर खालसा बन गई। इतना ही नहीं उनके द्वारा अपने घर में गुरु ग्रन्थ साहिब का प्रकाश भी किया गया और रोजाना अमृत वेले उठकर नाम सिमरन भी किया जाता। इससे प्रभावित होकर उनके 12 वर्षीय पुत्र वीर प्रताप ने भी अमृतपान कर सिखी में प्रवेश किया और अब मां और पुत्र मिलकर सिखी का प्रचार करने लगे हैं। वीर प्रताप के द्वारा गुरु गोबिन्द सिंह जी के साहिबजादों को अपना रोल मॉडल बनाकर उनके आदर्शों पर चलने की बात करना और छोटी उम्र में अनेक बाणियों को कंठ करना वाकई अपने आप में एक मिसाल है क्यांकि आज देखने में आता है कि ज्यादातर सिख परिवारों में युवा वर्ग सिखी से दूर होता जा रहा है क्योंकि उनका मार्गदर्शन करने के लिए परिवार में बड़े बुर्जुग नहीं रह गये। शहरों में परिवार छोटे होते जा रहे हैं, गांव देहात के ज्यादातर सिख अलग-अलग डेरावादियों के चक्कर में पड़कर सिखी का त्याग करते दिख रहे हैं। युवा वर्ग में नशे की लत लगना भी इसका एक कारण बन चुका है रही सही कसर पंजाबी फिल्म इन्डस्ट्री और कलाकारों ने पूरी कर दी है। सिखी स्वरुप वाला एक भी किरदार ढूंढने पर भी दिखाई नहीं देता। इस सब के लिए अगर कसूरवार शिरोमिण गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी को माना जाये तो कुछ गलत नहीं होगा। कमेटी का बजट करोड़ों रुपये होने के बावजूद भी प्रचार केवल कागजों में ही दिखाई देता है। ऐसे में अगर अनुराधा जैसे कुछ लोग आगे आकर निस्वार्थ भावना के साथ सिखी का प्रचार करने लगे तो निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में इसके परिणाम कारगर साबित हांगे और सिखी से दूर हुए युवा वर्ग को पुनः सिखी में लाया जा सकेगा। ऐसा नहीं है कि अनुराधा को इस कार्य में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ रहा, पर वह पूरी तरह से सश्क्त होकर हर मुश्किल का सामना करती दिखाई देती हैं। जिस धर्म से वह सिखी मं आई उस धर्म के लोगों का उनके खिलाफ बोलना कुछ हद तक सही हो भी सकता है हालांकि हर किसी को इस देश में आजादी है कि वह अपनी मर्जी से किसी भी धर्म को अपना सकता है पर मगर अनुराधा कौर को सिख धर्म के भी जो स्वयं को धर्म के ठेकेदार समझते हैं सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने स्वयं तो धर्म का प्रचार किया नहीं और आज अगर अनुराधा जैसे लोग आगे आकर प्रचार कार्य करने में जुटे यह उनसे बर्दाशत नहीं हो पा रहा। अनुराधा कौर के पति दिनेश और अन्य पारिवारिक सदस्यों का साथ अवश्य मिल रहा है जिसके चलते वह अपनी मंजिल में आगे बढ़ती दिखाई दे रही हैं।

Advertisement
Next Article