श्रीलंका में सत्ता परिवर्तन
श्रीलंका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में पहली बार वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके विजयी हुए हैं। श्रीलंका के चुनावी इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत वाेट नहीं मिले और इसके बाद दूसरे राउंड की मतगणना में अनुरा कुमारा विजयी घोषित किए गए। श्रीलंका का सत्ता परिवर्तन ऐसे समय में हुआ है जब देेश महत्वपूर्ण परिवर्तनों के दौर से गुजर रहा है। इस बड़े फेरबदल में अनुरा कुमारा ने 6 बार प्रधानमंत्री रहे मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे को हराया। इतना ही नहीं बरसों से श्रीलंका की सत्ता पर काबिज राजपक्षे परिवार को सत्ता से बाहर कर दिया। अनुरा दिसानायके की जीत में युवाओं की अहम भूमिका रही। देश की उथल-पुथल से परेशान युवाओं ने परम्परागत दलों को किनारे लगा नया विकल्प चुना। अनुरा दिसानायके ने विज्ञान में ग्रेजुएशन करने के बाद 1987 में जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) को ज्वाॅइन किया था। यह वो समय था जब भारत विरोधी विद्रोह चरम पर था और जेवीपी ने दो खूनी विद्रोहों का नेतृत्व किया था। 1980 के दशक में भारत ने श्रीलंका में लिट्टे से निपटने के लिए पीस कीपिंग फोर्स को भेजने का फैसला लिया था। तब जेवीपी ने इसका जमकर विरोध किया था।
2014 में अनुरा जेवीपी के अध्यक्ष बने।
2019 में जेवीपी का नाम एनपीपी हो गया। पांच साल पहले बनी एनपीपी ने मतदाताओं के दिल में अपनी जगह बनाई और अनुरा देश के दसवें राष्ट्रपति बन गए। वामपंथी होने के नाते अनुरा का झुकाव चीन की तरफ हो सकता है लेकिन एनपीपी ने अपने भारत विरोधी रुख में काफी परिवर्तन किया है। चुनाव प्रचार के दौरान भी अनुरा ने भारत के विरोध में कोई बयानबाजी नहीं की। हालांकि चुनावों से पहले अनुरा ने भारतीय कम्पनी अडाणी ग्रुप के खिलाफ बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने वादा किया था कि राष्ट्रपति चुनाव में जीतने के बाद वे श्रीलंका में अडाणी ग्रुप की विंड पॉवर परियोजना को रद्द कर देंगे। अडाणी ग्रुप ने इसी साल श्रीलंकाई सरकार से विंड पॉवर स्टेशन डिवेल्प करने को लेकर डील की थी। इसके लिए कम्पनी लगभग 367 करोड़ निवेश करने वाली थी। इसी साल फरवरी में अनुरा दिसानायके भारत के दौरे पर आए थे और वे गुजरात का अमूल प्लांट देखने गए थे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल से भी उनकी बातचीत साकारात्मक रही थी। दिसानायके और एनपीपी की लोकप्रियता में काफी उछाल आया। आर्थिक सुधार और सामाजिक समानता के लिए श्रीलंका के लोगों को एनपीपी से बहुत सारी उम्मीदें हैं क्योंकि यह पहले कभी भी सत्ता में नहीं रही। इसलिए लोगों को इस पर ज्यादा भरोसा है।
अनुरा दिसानायके युवाओं के बीच काफी पॉपुलर हैं। एनपीपी की बढ़ती लोकप्रियता का एक और मुख्य कारण भ्रष्टाचार से लड़ने का वादा भी है। अनुरा अपने हर कैंपन में श्रीलंका को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने का वादा कर रहे हैं। युवाओं को लग रहा है कि देश की आर्थिक स्थिति खराब होने की मुख्य वजह भ्रष्टाचार है। पार्टी ने मजबूत अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर भी काम किया है। चीन और भारत श्रीलंका के दो प्रमुख आर्थिक साझेदार हैं। पार्टी ने दिसंबर 2023 में चीन का दौरा किया और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। 2022 को याद करे तो पूरी दुनिया ने श्रीलंका की उथल-पुथल को टीवी चैनलों पर देखा जिनमें आंदोलनकारी लोग राष्ट्रपति के आवास में घुसकर सामान लूटकर ले जाते, स्विमिंग पूूल में तैरते और रील बनाते दिखाई दिए थे। कोरोना महामारी के बाद श्रीलंका आर्थिक संकट से बुरी तरह से घिर चुका था। लोगों ने सरकार को उखाड़ फैंका था। श्रीलंका की जनता महसूस कर रही थी कि चीन के कर्जजाल में फंसकर श्रीलंका सरकार ने अपने पांव पर खुद कुल्हाड़ी मारी है और देश की संप्रभुता को चीन के हाथ गिरवी रख दिया है। तब भारत ने न केवल धन देकर बल्कि पैट्रोल-डीजल, अनाज देकर श्रीलंका की मदद की थी।
इतनी उथल-पुथल के बावजूद श्रीलंका में सहजता से चुनावों का होना और सहजता से ही सत्ता परिवर्तन होना बहुत ही सुखद है। जबकि बंगलादेश में खूनी सत्ता परिवर्तन हुआ था। इस तरह श्रीलंका ने लोकतांत्रिक धैर्य का परिचय दिया है। भारत की प्राथमिकता यही है कि श्रीलंका में रहने वाले भारतीय मूल के तमिल समुदाय का ध्यान रखा जाए और 1987 के संविधान के 13वें संशोधन को पूरी तरह से लागू किया जाए। भारत यह भी चाहता है कि श्रीलंका भारत के हितों से जुड़े बंदरगाहों को चीन के इस्तेमाल के लिए प्रतिबंधित रखे। उम्मीद है कि अनुरा दिसानायके भारत और चीन में संतुलन बनाकर चलेंगे और श्रीलंका के समुद्र, हवाई अड्डों और बंदरगाहों का इस्तेमाल चीन को नहीं करने देंगे जो भारत की सुरक्षा को चुनौती दे सके। अनुरा दिसानायके के सामने सबसे बड़ी दो चुनौतियां हैं। पहले देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और लाखों लोगों को गरीबी की दलदल से बाहर निकालना। देखना होगा कि वह चुनौतियों से कैसे निपटते हैं। श्रीलंका पर इस समय 36 अरब डॉलर का विदेशी ऋण है जिसमें 7 अरब चीन का है। देखना होगा कि अनुरा नए आर्थिक सुधार लागू कर किस तरह से देश को कर्ज के जाल से राहत दिलाते हैं।