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खालसाई रंग में डूबी हुई है समूची दिल्ली

02:32 AM May 02, 2024 IST
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इतिहास की जानकारी रखने वाले लोग भलीभांति इस बात को जानते हैं कि सिखों ने 19 बार दिल्ली को जीता और उसमें से 2 से 3 बार तो दिल्ली पर राज भी किया। 1783 में बाबा बघेल सिंह, जस्सा सिंह रामगढ़िया, जस्सा सिंह आहलुवालिया, महा सिंह शुक्रचकिया जैसे योद्धाओं के द्वारा दिल्ली को एक बार फिर से जीतकर सैकड़ों साल पुराने मुगल साम्राज्य का अंत किया। सिखों के द्वारा लालकिला पर केसरिया निशान साहिब झुलाए गये और उसी की बदौलत आज वहां तिरंगा झूल रहा है मगर अफसोस कि सिखों की सूरवीरता के इतिहास की जानकारी दूसरों तक तो क्या पहुंचानी थी? ज्यादातर सिख अपने बच्चों को भी इसकी जानकारी नहीं दे पाए। पिछले कुछ साल पहले दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी पर जब मनजीत सिंह जीके, मनजिन्दर सिंह सिरसा की कमेटी बनी तो उनके द्वारा इस इतिहास को लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से दिल्ली फतेह दिवस का आगाज किया गया, हालांकि उस समय विपक्षी दलों के द्वारा इस पर कई तरह की टिप्प​िणयां करते हुए इसे ​िफजूल खर्च भी बताया गया था। उसके बाद से हर साल दिल्ली फतेह दिवस मनाकर लोगों को बताया जाता है कि सिख दिल्ली के असली वारिस हैं इसलिए उनकी देशभक्ति पर कभी शक नहीं किया जाना चाहिए। इस बार भी दिल्ली कमेटी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका, महासचिव जगदीप सिंह काहलो, धर्म प्रचार चेयरमैन जसप्रीत सिंह करमसर के द्वारा दिल्ली फतेह दिवस को बढ़-चढ़ कर मनाया गया। इस बार माता गुजरी जी के 400 साला प्रकाश पर्व को समर्पित होकर इसे मनाया गया जिसमें महिलाओं को विशेष तौर पर कीर्तन करने और गतका प्रदर्शन की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। साल में एक दिन ही सही पूरी दिल्ली खालसाई रंग में डूबी हुई दिखाई देती है। संगत में भी इस दिन को लेकर खासा उत्साह देखने को मिलता है।
सिखों के खिलाफ साजिश : सिख धर्म की अपनी मर्यादा है जो कि गुरु साहिब के समय से ही चलती आ रही है मगर कुछ दिन पहले जिस तरह से सिख मर्यादा के उलट जाकर गुरुद्वारा साहिब में नमाज अदा करवाई गई। उसे लेकर सिख चिन्ता में ही थे कि 2 सिख युवकों के द्वारा नमाजियों के साथ मिलकर नमाज अदा करने की एक और वीडीयो सोशल मीडीया पर वारयल हो गई जो कि पाकिस्तान के ननकाणा साहिब की बताई जा रही है और नमाज अदा करने वाले सिख भारत से पाकिस्तान दर्शनों के लिए गये थे। पंजाब के बरनाला से तो इससे भी दो कदम आगे जाकर गुरुद्वारा साहिब के अन्दर गुरुग्रन्थ साहिब की मौजूदगी में मुस्लिम धर्म में की जाने वाली पूजा, कलमें पढ़कर मुस्लिम लड़कियों का निकाह करवाया गया। इसके पीछे कौन लोग हैं और उनका मकसद क्या है यह समझना बहुत जरूरी है और अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम भी देखे जा सकते हैं। सिख समाज सभी धर्मों का सम्मान करता है। हिन्दू भाईचारा को अपने धार्मिक कार्यक्रम मन्दिरों में इसी प्रकार मुस्लिम को मस्जिद और ईसाई को गिरजाघर में ही करने चाहिए हां अगर किसी कारणवश दूसरें धर्मों के लोगों को जगह की कोई खास आवश्यकता हो तो सिख समाज के लोगों को उनके लिए गुरुद्वारा साहिब के अन्दर किसी कमरे में जहां गुरु ग्रन्थ साहिब विराजमान न हों, इस तरह के आयोजन का प्रबन्ध किया जा सकता है मगर गुरु साहिब की हजूरी में किसी भी सूरत में इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। भाई बलदेव सिंह वडाला द्वारा इसका सख्त नोटिस लेते हुए दोषियों के खिलाफ बनती धार्मिक कार्यवाही की मांग की जा रही है। हालांकि तख्तों पर बैठे जत्थेदार यां अन्य धार्मिक लोगों को इस पर संज्ञान लेना चाहिए था मगर पता नहीं क्यों उनके द्वारा इस पर कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है। यह भी हो सकता है कि हिन्दू सिख एकता में दरार डालने के लिए किसी के द्वारा इस तरह की घटनाओं को अन्जाम दिया जा रहा हो, सिख समाज के बुद्धिजीवियों को इसे गंभीरता से लेते हुए इसकी गहराई तक जांच करनी चाहिए और श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार साहिब को भी अपनी जिम्मेवारी समझते हुए दोषियों के खिलाफ सख्ती से कार्यवाही करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो सकें।
प्रो अजायब सिंह की याद हमेशा आएगी :इस दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जिनके संसार से जाने के बाद भी उन्हंे दुनिया याद रखती है। उनके जाने का परिवार को उतना दु:ख नहीं होता जितना समाज को होता है। उन्हीं में से एक थे खालसा कालेज दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफैसर, स. अजायब सिंह। जिनका नाम दिल्ली के चुनिन्दा अकालियों में लिया जाता है। दिल्ली के एतिहासिक गुरुद्वारों को सरकारी कब्जे से मुक्ति दिलानी हो या फिर एमरजैंसी का मोर्चा हो प्रो. अजायब सिंह ने हमेशा आगे की कतार में खड़े होकर लड़ाई को लड़ा जिसके लिए उन्हें कई महीनों तक जेल में भी रखा गया।
देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपाई और इन्द्र कुमार गुजराल से भी उनकी काफी नजदीकियां रही हैं। प्रो. अजायब सिंह शिरोमणि अकाली दल के दिल्ली में प्रधान भी रहे और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दीं। अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल, गुरचरण सिंह टोहड़ा, जत्थेदार अवतार सिंह हित, कुलदीप सिंह भोगल आदि सभी के साथ उन्होंने काम किया। पिछले लम्बे समय से वह बीमार चल रहे थे बावजूद इसके जब उनसे मिले तो उन्होंने सिख राजनीति में आ रही गिरावट पर चिन्ता व्यक्त करते हुए जत्थेदार अवतार सिंह हित को सभी सिखों को एकजुट करने का सुझाव दिया।

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