India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

तेज अर्थव्यवस्था और चुनौतियां

02:14 AM Jun 27, 2024 IST
Advertisement

तेजी से बढ़ती भारत की अर्थव्यवस्था एक शुभ संकेत है। शेयर बाजार कुलांचे मार रहा है। विदेशी निवेश लगातार हो रहा है। इस सबके बावजूद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की चुनौतियां कम नहीं हैं। अगले महीने जुलाई में वित्त मंत्री को मोदी सरकार की तीसरी पारी का पहला बजट पेश करना है। बजट पूर्व औद्योगिक क्षेत्रों से बैठकों का दौर जारी है। हालांकि आज के दौर में आम आदमी को बजट के प्रति कोई ज्यादा जिज्ञासा नहीं रहती लेकिन आम आदमी को केवल इतना मतलब होता है कि क्या उसकी जेब में कुछ पैसा बचता है या नहीं। औद्योगिक एवं वाणिज्य क्षेत्र अपने-अपने हित ढूंढने के लिए बजट पर जरूर पैनी नजर रखते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने इस महीने सात साल पूरे कर लिए हैं और इससे प्राप्त राजस्व अप्रैल महीने में 2.1 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। अप्रैल महीने में आम तौर पर साल के अंत में होने वाली अनुपालन संबंधी भीड़ की वजह से राजस्व प्राप्तियों का उच्च प्रवाह देखा जाता है।

अप्रैल में किए गए लेन-देन की वजह से मई महीने में हुई 1,72,739 करोड़ रुपये की प्राप्ति अब तक की पांचवीं सबसे ज्यादा प्राप्ति थी, जोकि एक साल पहले के मुकाबले लगभग 10 फीसदी ज्यादा है, जबकि पिछले महीने प्राप्तियों में 12.4 फीसदी की बढ़ाैतरी हुई थी। जुलाई 2021 के बाद से यह सबसे धीमी बढ़ाैतरी थी। तब कोविड-19 की दूसरी लहर ने आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित किया था। उसके बाद से लगभग तीन सालों में जीएसटी राजस्व आम तौर पर कम से कम 11 फीसदी बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में हुई 1.68 लाख करोड़ रुपये की औसत मासिक प्राप्तियों की तुलना में इस वित्तीय वर्ष के पहले महीने से संबंधित कर तीन फीसदी ज्यादा है। भले ही घरेलू लेन-देन के चलते सकल राजस्व 15.3 फीसदी बढ़ गया, जोकि एक महीने पहले की 13.4 फीसदी की बढ़ाैतरी से तेज था लेकिन माल आयात से प्राप्त होने वाला राजस्व तीन महीने में दूसरी बार कम हो गया।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) काउंसिल की 53वीं बैठक के दौरान कुछ अहम घोषणाएं की हैं जिससे लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। इस काउंसिल की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की जाती है तथा इसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य होते हैं। तकनीक के इस्तेमाल और सरल प्रक्रिया से जीएसटी संग्रहण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, पर फर्जी दावे कर इनपुट टैक्स की चोरी भी की जाती है। इसे रोकने के लिए आधार संख्या आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन की प्रक्रिया अपनायी जायेगी। किसी भी धातु से निर्मित दूध के बर्तनों पर अब 12 प्रतिशत की एक ही कर दर लागू होगी। प्लेटफॉर्म टिकटों को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है। सामानों की पैकिंग के लिए इस्तेमाल में आने वाले गत्ते के कार्टन पर लगने वाले कर को 18 से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।

इसके अलावा जो छात्र शिक्षा संस्थानों के बाहर किराए पर रहते हैं। ऐसे आवास पर प्रति व्यक्ति 20 हजार रुपए तक की छूट दी गई है। वित्तमंत्री ने यह भी संकेत दिए कि पैट्रोल आैर डीजल को जीएसटी के तहत लाया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो देशभर में पैट्रोल की एक ही कीमत के साथ उपभोक्ताओं को काफी राहत मिल सकती है और पैट्रोल-डीजल सस्ते किए जा सकते हंै लेकिन इसके लिए राज्यों में व्यापक सहमति की जरूरत है। जीएसटी परिषद के फैसलों से कुछ राहत मिलने की उम्मीद तो है। यह तथ्य है कि महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। अमीर और गरीब में खाई और चौड़ी हो चुकी है। धनी लोग तो बचत कर सकते हैं लेकिन आम आदमी परिवार के खाने-पीने और बच्चों की शिक्षा पर खर्च करने के बाद अपनी जेब खाली देखता है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का अर्थ यह नहीं है कि यहां के युवाओं को रोजगार मिल रहा है और लोग पहले से समृद्ध हो रहे हैं। बढ़ती अर्थव्यवस्था हमेशा रोजगार पैदा नहीं करती। प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से नौकरियां कम हो रही हैं। अमीर अपना पैसा विदेशों में निवेश कर रहे हैं। वित्त मंत्री को अपने बजट में यह ध्यान रखना होगा कि आम आदमी को किस तरह ज्यादा राहत मिले। उसकी जेब में पैसा बचे तो वह बाजार में खरीदारी के लिए निकले। उन्हें आर्थिक सुधारों पर आगे बढ़ना होगा और अहम वित्तीय निर्णय लेने होंगे।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Next Article