India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

भारतीय कूटनीति की शानदार सफलता

05:08 AM Feb 13, 2024 IST
Advertisement

कतर की जेल में बंद भारतीय नौसैनिकों को 18 महीने बाद जेल से रिहाई की सोमवार को जैसे ही खबर आई तो सारा देश ही झूम उठा। कुछ समय पहले इन अधिकारियों की मौत की सजा को अलग-अलग अवधि की जेल की सजा में बदल दिया गया था। तब देश को कम से कम यह संतोष तो था कि चलो हमारे नागरिकों की जान तो बच गई, पर देश यह भी प्रार्थना कर रहा था कि कतर की जेल में बंद भारतीय नागरिक रिहा होकर सकुशल देश वापस आ जाएं।
बेशक, इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की विदेश नीति की बड़ी सफलता ही माना जाएगा कि कतर से फांसी की सजा घोषित हुए नागरिकों की आज रिहाई हो गई। वे सभी सकुशल और ससम्मानजनक तरीके से भारत की धरती पर वापस लौट आए। इस तरह से भारत की कुशल विदेश नीति को सारे संसार ने देखा और दांतों तले उंगलियां दबाकर आश्चर्य से देखते ही रह गये। अमूमन अरब देशों के शेख सामान्य तौर पर जासूसी के आरोप में सजा प्राप्त लोगों की सजा माफ नहीं करते। केन्द्र में मोदी सरकार के 2014 में गठन के बाद से भारत के अरब देशों के साथ संबंध लगातार सुधर रहे हैं। उसी के सार्थक परिणाम को भारतीय नौसैनिकों की रिहाई और घर वापसी के रूप में देखा जाना चाहिए। अब कुछ ही दिनों के बाद अबूधाबी में सनातन संस्कृति का भव्य मंदिर भी दुनिया देखेगी।
‘अगर मोदी जी नहीं होते तो हम हिंदुस्तान की सरजमीं पर आज नहीं खड़े हो पाते।’ अपनी रिहाई से खुश एक नौसैनिक ने भारत आने पर भारत मां की जय बोलते हुए कहा कि यदि नरेन्द्र मोदी ने खुद हस्तक्षेप नहीं किया होता तो आज हमारी रिहाई संभव नहीं थी। यह बड़ी उपलब्धि भारत के शक्तिशाली नेतृत्व का प्रभाव प्रमाण है। यह कूटनीतिक जीत 140 करोड़ देशवासियों की जीत है। आज प्रधानमंत्री मोदी की सफल विदेश नीति का डंका पूरे विश्व में बज रहा है। देश किस तेजी से बदल रहा है, यह जानने के लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद के उस बयान को देखना होगा। वो एक दौर में देश विरोधी शक्तियों के साथ जुड़ी हुई थीं। उन्होंने भी नौसैनिकों की रिहाई के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मौत की सजा से घर वापसी तक ः यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है और इस तथ्य का प्रमाण है कि हमारी विदेश नीति प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सक्षम हाथों में है। प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने फिर असंभव को संभव कर दिखाया है। शांत रहें और विश्वास रखें, कतर से लौटे पूर्व नौसैनिकों के परिवार को बधाई।” तो आप समझ गए होंगे कि किस तरह से देश बदल रहा है।
दरअसल, कतर के दोहा के अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज के साथ काम करने वाले भारतीय नौसेना के इन पूर्व जवानों को पिछले साल 28 दिसंबर को कतर की अपील अदालत ने राहत दी थी। अदालत ने तब अक्टूबर 2023 में इन्हें दी मौत की सजा को कम करते हुए 3 साल से लेकर 25 साल तक की अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई थी।
कतर की जेल में बंद भारतीयों की रिहाई से साफ है कि अब जहां पर भी भारतवंशी या भारतीय संकट में होते हैं तो भारत सरकार हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठती। रूस-यूक्रेन जंग के कारण हजारों भारतीय मेडिकल स्टुडेंट यूक्रेन में फंस गए थे। उन्हें भारत सरकार सुरक्षित स्वेदश लेकर आई। भारत के हजारों विद्यार्थी यूक्रेन में थे। वे वहां पर मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग और दूसरे पेशेवर कोर्स कर रहे थे। ये रूस-यूक्रेन जंग को देखते हुए वहां से निकल कर स्वदेश आना चाहते थे। पहले तो किसी को समझ ही नहीं आ रहा था कि इतनी अधिक संख्या में यूक्रेन की राजधानी कीव और दूसरे शहरों में पढ़ रहे भारतीय नौजवानों को स्वदेश कैसा लाया जाएगा। पर इच्छा शक्ति हो तो सब कुछ संभव है।
पिछले साल अफ्रीकी देश सूडान में सेना और अर्धसैनिक बल के बीच चल रहे भीषण गृहयुद्ध के चलते वहां हालात बद से बदतर हो गए थे। ऐसे में वहां फंसे हजारों भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाने को लेकर सारा देश चिंतित था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूडान में फंसे भारतीयों को जल्द से जल्द निकासी के लिए विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिए। मतलब सरकार एक्शन मोड में आ गई। कुछ ही हफ्तों में वहां से सारे के सारे भारतीय सुरक्षित वापस स्वदेश आ गए।
अब अफगानिस्तान में गृहयुद्ध के दिनों को याद कर लें। भारतीय वायुसेना और एयर इंडिया के विमान लगातार अफगानिस्तान से भारतीयों को लेकर स्वदेश आते रहे थे। काबुल में जिस तरह के हालात बन गए थे उसमें सारे भारतीयों को लेकर आना कोई छोटी बात नहीं थी। इनको ताजिकिस्तान के रास्ते दिल्ली या देश के अन्य भागों में लाया जा रहा था। कुछ विमान कतर के रास्ते भी आ रहे थे। भारत के अफगानिस्तान में दर्जनों बड़े प्रोजेक्ट चल रहे थे, इनमें अफगानिस्तान को खड़ा करने के लिए भारत हर तरह की मदद भी कर रहा था। भारत के हजारों करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट भी इस अशांत माहौल में फंस गए। इनसे हजारों भारतीय जुड़े हुए थे। इन्हीं भारतीयों को निकाला जा रहा था।
भारत की तरफ से अफगानिस्तान बांध से लेकर स्कूल, बिजली घर से लेकर सड़कें, काबुल की संसद से लेकर पावर इंफ्रा प्रोजेक्ट्स और हेल्थ सेक्टर समेत न जाने कितनी परियोजनाओं को तैयार किया जा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान से देश के नागरिकों की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने और वहां से भारत आने के इच्छुक सिखों व हिंदुओं को शरण देने का अधिकारियों को निर्देश भी दे दिये। अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के नियंत्रण के बाद भारत सरकार सक्रिय हो गई थी। जाहिर है, ये सब कदम उठाने के बाद भारत सरकार का इकबाल बुलंद हुआ। आप कह सकते हैं कि अब विदेश मंत्रालय हमेशा सक्रिय रहता है। अगर संकट भारत से बाहर रहने वाले भारतीयों पर आता है तो फिर इसके काम करने की गति कई गुना बढ़ जाती है।

- आर. के. सिन्हा

Advertisement
Next Article