India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

क्या भाजपा की बी टीम बन गई है बसपा?

01:55 AM May 11, 2024 IST
Advertisement

भाजपा पर लगातार तीखे हमले कर रहे अपने भतीजे और राजनीतिक उत्तराधिकारी आकाश आनंद को बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के सभी पदों से हटा दिया। हालांकि इस सारी कवायद से पहले ही यूपी में लोगों तक यह संदेश पहुंच गया था कि वह गुप्त रूप से राज्य में भाजपा की मदद कर रही हैं। यह अटकलें तब शुरू हुईं जब उन्होंने अचानक राज्यभर में कम से कम आठ लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों को बदल दिया और समाजवादी पार्टी या कांग्रेस के उम्मीदवारों के समान जाति वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारा ताकि इन दोनों दलों को नुक्सान पहुंचाया जा सके। आखिरी मिनट में हुए बदलावों को उन निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवारों की मदद करने के प्रयास के रूप में देखा गया। उन्होंने ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिये जो समाजवादी पार्टी के वोट काट सकें।
इस राजनीतिक घटनाक्रम में सबसे चौंकाने वाला बदलाव जौनपुर में हुआ, जहां बसपा ने जेल में बंद बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को उम्मीदवार बनाया था। उन्हें एक विजयी उम्मीदवार माना जा रहा था, लेकिन बाद में उनकी जगह एक यादव को उम्मीदवार बनाया गया, जिससे सपा के यादव वोटों में कटौती हो सके। जौनपुर में यादव समुदाय का दबदबा है। सीतापुर में एक रैली में भाजपा पर हमला करने के बाद आनंद को पार्टी से बाहर करने का उनका निर्णय पुष्टि करता है कि उन्होंने अपनी पार्टी को भाजपा की बी-टीम में बदल दिया है।
आखिर पित्रोदा से कांग्रेस ने पीछा छुड़ाया
गांधी परिवार के विवादास्पद मित्र सैम पित्रोदा का अपनी पार्टी को मुश्किल में डालने का एक लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एक टेलीविजन साक्षात्कार में यह कहकर तूफान खड़ा कर दिया था कि गरीबों के लिए न्यूनतम आय की गारंटी के लिए मध्यम वर्ग को अधिक कर देना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया था कि ‘स्वार्थी’ नहीं होना चाहिए। लगभग उसी समय एक अन्य साक्षात्कार में, उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों को कम महत्व दिया। पित्रोदा ने तब कहा था कि जो हुआ सो हुआ। पित्रोदा ने उस समय कहा था कि भाजपा ने पांच साल में क्या काम किया। 2019 में वह विवादों में घिरने से बच गये थे, क्योंकि बालाकोट हमला पुलवामा आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में हुआ था। और यह चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लड़ा गया जिससे भाजपा को बहुमत मिल गया। इस बार पित्रोदा उतने भाग्यशाली नहीं रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के लिए 2024 के अभियान में कांग्रेस पर तीखे हमले बोले और पित्राेदा की टिप्पणियों को चर्चा के मुख्य केंद्र में ला दिया। पित्रोदा ने सबसे पहले विरासत कर के बारे में बात की और फिर उन्होंने जातीय विशेषताओं और त्वचा के रंग के आधार पर देश के विभिन्न हिस्सों में भारतीयों के बीच तुलना करके कांग्रेस को बैकफुट पर लाने का काम किया। इसके बाद पीएम मोदी ने उन्हें ‘नस्लवादी’ कहा और उनके साथ जुड़ने के लिए राहुल गांधी पर तंज कसा। यहां तक कि गांधी परिवार को भी एहसास हुआ कि पित्रोदा अत्याधिक व्यस्त चुनाव में पार्टी को नुक्सान पहुंचा रहे हैं और इसके बाद उनसे इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा मांगा गया। हालांकि कांग्रेस हलकों में ऐसी अटकलें हैं कि पित्रोदा का इस्तीफा चुनाव की अवधि के लिए एक रणनीतिक कदम है और चुनाव के बाद पित्रोदा फिर से आईओसी के प्रमुख बन सकते हैं।
डेनमार्क के राजदूत स्वेन के पोस्ट के मायने क्या हैं ?
भारत में डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वेन ने एक्स पर एक हालिया पोस्ट से हलचल मचा दी है जिसमें उन्होंने संभ्रांत चाणक्यपुरी क्षेत्र में अपने दूतावास के पीछे बढ़ते कूड़े के ढेर के बारे में एक वीडियो पोस्ट किया। उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें दूतावास की दीवार के पास कूड़े के ढेर दिख रहे हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में कहा कि बड़ी हरी-भरी और गंदगी भरी नई दिल्ली में आपका स्वागत है।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों से इसे हटाने की अपील भी की। उनका यह तरीका कई भारतीयों को पसंद नहीं आया और उन्होंने इसकी बहुत आलोचना की। कई भारतीयों ने पश्चिम देशों पर भारत की छवि खराब करने पर तुले होने का आरोप लगाया। एक अन्य उपयोगकर्ता ने जानना चाहा कि क्या उन्हें विदेश मंत्रालय द्वारा बुलाया गया था और भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए डांटा गया था। अब सवाल यह है कि क्या वह वहां सफाई होने के बाद धन्यवाद का फॉलोअप वीडियो पोस्ट करेंगे।
विडंबना यह है कि स्वेन को भारत में तैनात मोदी के पसंदीदा राजनयिकों में से एक माना जाता है। बेशक उस क्षेत्र में सफाई का दायित्व एनडीएमसी के पास है और उसने त्वरित कार्रवाई की। इसका कोई राजनीति महत्व भी है या स्वेन की टिप्पणी को केवल सफाई के महत्व के तौर पर ही देखा जाए।

- आर.आर. जैरथ

Advertisement
Next Article