India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

हिट एंड रन कानून और सख्त बने

06:46 AM May 24, 2024 IST
Advertisement

पिछले एक दशक में भारत में कई चौंका देने वाले हिट एंड रन मामले देखे गए, जिन्होंने पूरे देश को गहराई से प्रभावित किया। दुर्घटना के बाद ड्राइवर द्वारा मौके से भागने की इन घटनाओं ने न केवल लोगों की जान ली बल्कि सड़क सुरक्षा और जवाबदेही पर भी गम्भीर सवाल खड़े किए हैं। सरकार ने अपरा​धियों को सजा दिलाने के लिए कानून को सख्त बनाया तो देश में वाहन चालकों ने हड़ताल कर दी जिस कारण सरकार को पीछे हटना पड़ा। 2002 का सलमान खान का हिट एंड रन मामला, 1999 का लोधी कालोनी मामला जिसमें भारतीय नौसेना प्रमुख का पोता और भारतीय हथियार डीलर सुरेश नंदा का बेटा संजीव नंदा लिप्त था, काफी चर्चित रहे। 2015 में मुम्बई में वकील जे. गडकर और 2016 का सिद्धार्थ शर्मा का हिट एंड रन केस भी सुर्खियां बना था। ऐसे मामलों में अधिकतर किशोर बरी हो गए या कम सजा पाकर छूट गए। पैसे वाले लोग मृतकों के परिजनों को मुआवजा देकर अपने बच्चों को रिहा कराने में सफल हो गए। ऐसा ही कांड पुणे में सामने आया जब एक किशोर ने अपनी पोरशे गाड़ी से इंजीनियर युवक-युवती को कुचल ​दिया। इस घटना पर लोगों का ध्यान तब गया जब आरोपी को गिरफ्तार करने के पंद्रह घंटे के भीतर कुछ आसान शर्तों के साथ रिहा कर दिया गया। उसमें आरोपी को पंद्रह दिन तक ट्रैफिक पुलिस की यातायात संचालन में मदद करने, तीन सौ शब्दों में यातायात व्यवस्था पर निबंध लिखने और शराब की लत छोड़ने के लिए परामर्श केंद्र की मदद लेने जैसी शर्तें रखी गई थीं।

इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हुई तो महाराष्ट्र पुलिस सक्रिय हुई और दुबारा मामला दर्ज कर जांच शुरू की। अभी तक की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य हाथ लगे हैं। आरोपी किशोर का पिता पुणे का अमीर भवन निर्माता है। बताया जा रहा है कि उसी के प्रभाव में आरोपी किशोर को आसान शर्तों के साथ रिहा कर दिया गया था। जिस गाड़ी से हादसा हुआ, उसे विदेश से मंगाया गया था और अभी तक उसका पंजीकरण भी नहीं कराया गया था। अब पुलिस ने आरोपी के पिता को गिरफ्तार कर लिया है, उन दोनों शराबखानों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है जिन्होंने नाबालिगों को शराब परोसी। इस मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार भी सक्रिय हो गई है। उसने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। अब जाकर ज्वैलाइन एक्ट के तहत दोषी पर मुकदमा चलाया जाएगा। मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 199ए के अनुसार अगर अपराध में कोई नाबालिग संलिप्त है तो ऐसे में दोषी उसके माता-पिता या फिर अभिभावक या गाड़ी के मालिक को माना जाता है। कानून ये मानकर चलता है कि नाबालिग को गाड़ी देने में इनमें से किसी एक की सहमति थी। इस स्थिति में दोषी पाए जाने पर 3 साल जेल की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा उन्हें यह भी साबित करना होता है कि नाबालिग ने जो अपराध किया है उस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।

कानून के अनुसार जिस गाड़ी के जरिए नाबालिग ने अपराध को अंजाम दिया उस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन 1 साल के लिए कैंसिल कर दिया जाता है। इसके अलावा आरोपी को तब तक ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किया जाता जब तक कि उसकी उम्र 25 साल नहीं हो जाती। साल 2019 में एक्ट में संशोधन हुआ था। इसके तहत नाबालिगों के लिए धारा जोड़ी गई थी। इस धारा में नाबालिग की ओर से किए गए अपराध के लिए माता-पिता, अभिभावक या गाड़ी मालिक को जिम्मेदार तय किया गया था।संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई में ऐसे मामलों में सख्ती बरती जाती है। यहां हिट एंड रन के मामले में आर्टिकल 5 (1) कहता है, ड्राइवर को सबसे पहले गाड़ी से जुड़े दस्तावेज पुलिस को सौंपने होंगे। अगर घटनास्थल पर पुलिस नहीं है तो घटना होने के 6 घंटे के अंदर उसकी जानकारी पुलिस स्टेशन में देनी होगी। अगर देरी से जानकारी देते हैं तो इसकी वजह भी बतानी होगी। घटना में किसी के घायल या मौत होने पर पुलिस ड्राइवर को गिरफ्तार करेगी। दोष साबित होने पर जेल या 25 हजार दिरहम यानी 56 लाख रुपए लाख से अधिक का जुर्माना वसूला जा सकता है। अल्कोहल पीने की पुष्टि होने पर पेनाल्टी और बढ़ाई जा सकती है।
सऊदी अरब समय-समय पर हिट एंड रन के मामलों को लेकर एडवाइजरी जारी करता है। यहां का कानून कहता है, एक्सीडेंट की स्थिति में मौत होती है तो ड्राइवर को चार साल की जेल या उससे 44,44,353 रुपए बतौर जुर्माना वसूला जाएगा। सऊदी अरब का ट्रैफिक रेग्युलेशन अमेंडमेंट कहता है, अगर एक्सीडेंट के कारण कोई घायल होता है और उसे हॉस्पिटल ले जाया जाता है तो दोषी ड्राइवर को 2 साल की जेल और 22 हजार रुपए तक जुर्माना वसूला जाएगा।

क्रिमिनल कोड कनाडा का सेक्शन 252 (1) कहता है, ऐसे मामले में कोई शख्स घायल होता है तो दोषी ड्राइवर को 5 साल की जेल होगी। वहीं एक्सीडेंट में मौत होती है तो दोषी ड्राइवर को आजीवन उम्र कैद की सजा भुगतनी होगी। इसके अलावा उसे कई तरह की जानकारियां देनी होंगी। गलत जानकारी देने पर जुर्माना लगाया जा सकता है। ऐसे मामलों में 1.60 लाख रुपए तक जुर्माना भी वसूला जा सकता है। इसको लेकर अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियम हैं। हालांकि, जैसे-जैसे एक्सीडेंट में ड्राइवर की भूमिका साबित होती है और मामला गंभीर बनता है तो जुर्माना और सजा बढ़ती है। हालांकि ज्यादातर राज्यों में ऐसे मामलों में अगर ड्राइवर के कारण एक्सीडेंट होता है और वो इसकी जानकारी सम्बंधित अधिकारियों को नहीं देता है तो उसे जुर्माने के साथ 10 साल की जेल हो सकती है। ब्रिटेन में एक्सीडेंट के मामले में ड्राइवर मौके पर मौजूद रहता है या वो भाग जाता है, यह फैक्टर सजा को तय करता है। दोषी से अनलिमिटेड फाइन वसूला जा सकता है। इसके अलावा 6 माह की जेल हो सकती है। अपराध की गंभीरता के आधार पर 5 से 10 पेनल्टी प्वाइंट्स तय किए जाते हैं। इसके आधार पर भी सजा कम या ज्यादा हो सकती है। हिट एंड रन कानून को लेकर भारत में ​फिर से नई बहस शुरू हो गई है कि इस कानून को और सख्त बनाने की जरूरत है और नए कानून में जो खामियां हैं उन पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।

Advertisement
Next Article