स्टूडैंट्स का मार्गदर्शक हो तो मोदी जैसा...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अथाह लोकप्रियता मात्र इसलिए नहीं कि वे आज विश्व के सफलतम राष्ट्राध्यक्ष हैं, बल्कि इसलिए भी क्योंकि हाज़िर दिमागी और हाज़िर जवाबी में आज उनका कोई सानी नहीं। मौक़ा कोई भी हो, अपनी दक्षता से वे दुनिया जहान का दिल जीत लेते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोर्ड परीक्षा 2024 से पहले देशभर के 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों के तनाव को कम करने के लिए दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में जमकर क्लास ली। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने छात्र-छात्राओं, टीचर्स और पेरेंट्स के साथ बोर्ड परीक्षा से पहले होने वाले तनाव और डर को कम करने के लिए 7वीं बार "परीक्षा पे चर्चा" के हरदिल अजीज कार्यक्रम का आयोजन किया। शायद ही कोई विश्व का ऐसा प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति हो जो इतने जज्बे के साथ "परीक्षा पे चर्चा", "मन की बात" आदि ऐसे लोकप्रिय कार्यक्रमों को जी-जान से जुट कर करता हो।
इस वर्ष की "परीक्षा पे चर्चा" कार्यक्रम में जहां हर मुद्दे पर उन्होंने ऐसा मार्गदर्शन किया जो संकल्प, सुशासन, समाधान, समृद्धि और संस्कार पर तो आधारित था ही, अपनी खुशमिजाजी और सेंस ऑफ ह्यूमर से समय-समय खुशनुमा भी बनाए रखा। उदाहरण के तौर पर एक दुबले-पतले छात्र ने प्रश्न किया कि व्यायाम का कितना जीवन पर प्रभाव पड़ता है तो तुरंत ही पीएम, बोले, "आपको देखते हुए लगता है कि बिल्कुल ठीक प्रश्न किया है आपने!" ऐसे ही केरल से एक बच्ची ने उन्हें वड़क्कम (नमस्ते) किया तो स्वयं बोले, "वड़क्कम, वड़क्कम!" ऐसे कई अवसरों पर उन्होंने सभी को लुत्फ अंदोज किया। जिस प्रकार से वे बच्चों को बातों-बातों में हर क्षेत्र में सफ़ल जिंदगी बिताने के अति उत्तम उसूल बताना जाते हैं, वह अनुकरणीय है। जैसे उन्होंने कहा कि ठंड में कुछ समय धूप में बैठना बड़ा ही लाभदायक होता है, ऐसे ही बताया था कि परिश्रम अथवा व्यायाम के समय शरीर से कम से कम चार बार पसीना आना चाहिए।
एक दक्ष प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक प्रभावशाली शिक्षक व साइकोलॉजिस्ट भी हैं, इसका बखूबी अंदाज़ा उस समय हुआ जब वे "परीक्षा पे चर्चा", कार्यक्रम में देशभर के विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों से मुखातिब थे। परीक्षा को लेकर सारे देश से विद्यार्थियों और शिक्षकों ने अपने प्रश्न पूछे जिनका बेहतरीन तरीके से प्रधानमंत्री ने समाधान दिया। उनके उत्तर तो इतने जबरदस्त थे कि हर तबके की समस्याओं के सटीक समाधान के तौर पर खरे उतरते अर्थात सही मायनों में लाजवाब थे।
यदि इस प्रकार का मार्गदर्शन बच्चों को हर परीक्षा से पहले मिलता रहे तो ये बच्चे न जाने कितना आगे पहुंच जाएं। जिस प्रकार से इस बार नरेंद्र मोदी जी ने सभागार में बैठे और ऑनलाइन जुड़े विद्यार्थियों का बोर्ड की परीक्षा से लेकर जीवन की परीक्षा पर सभी को गाईड किया, वह अपने में विहंगम और विलक्षण था।
शिक्षकों के लिए मोदी जी यही बोले कि वे बच्चों के श्रद्धा पात्र और कर्णधार होते हैं और किसी भी देश को विश्व गुरु बनाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं, उन्हें अपने शिष्यों के मानसिक, शारीरिक व आध्यात्मिक विकास के लिए सब कुछ न्यौछावर कर देना चाहिए। ये शिक्षकगण ही वे जौहरी होते हैं जो प्रत्येक छात्र की प्रतिभा को निखार कर उसे लक्ष्य प्राप्ति तक ले जाते हैं। किसी भी राष्ट्र का सबसे अधिक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं शिक्षक। शिक्षकों को भी यही संदेश दिया परम् शिक्षक मोदी ने कि सभी को एक आंख से देखें और किसी पर किसी भी प्रकार का दबाव न बनाएं क्योंकि एक शिक्षक का प्रभाव और प्रेरणा कहां तक जाती है, कोई नहीं जानता।
मोदी के इस प्रकार के व्याख्यानों से सदा से ही जनता जुड़ी रही, चाहे वे कोरोना से छुटकारा दिलाने वाली बात हो या खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में उन्होंने देशवासियों से ताली-थाली बजाने को कहा। यह कोरोना को खत्म नहीं करता लेकिन एक सामूहिक शक्ति को जन्म देता है।
जब किसी बच्चे ने मोदी से स्पर्धा और पर सवाल किया तो बताया कि इसकी चिंता न की जाए कि सामने वाला कितना दक्ष या फोहड़ है क्योंकि आप का मुकाबला किसी से नहीं स्वयं अपने से है। तनाव को लेकर कई बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं जिससे कई परिवार लगभग समाप्त हो जाते हैं तो प्रधानमंत्री ने कहा-मुझे अच्छा लगा कि आपको पता है कि पीएम को कितना प्रेशर झेलना पड़ता है, वर्ना आपको तो लगता होगा कि हवाई जहाज, हैलीकॉप्टर सब हैं।
दरअसल, हर किसी के जीवन में अपनी स्थिति के अतिरिक्त ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं जिसे उसे मैनेज करना पड़ता है। बाकी चीजों कोे भी संभालना पड़ता है। मेरी प्रकृति है कि मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं। चुनौती जाएगी, स्तिथियां गुजर जाएंगी, मैं इसकी प्रतीक्षा करने में सोया नहीं रहता हूं। इससे मुझे नई चाजें सीखने को मिलती हैं, दूसरा मेरे भीतर कॉन्फीडेंस है, मैं हमेशा मानता हूं कि कुछ भी है, 140 करोड़ देशवासी मेरे साथ हैं। शायद ही कोई ऐसा बिंदु हो जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा और परीक्षा से संबंधित छोड़ा हो। पढ़ाई और व्यायाम से नींद की अहमियत और परीक्षा भवन में प्रश्न पत्र के सामने आने पर घबराहट पर भी सटीक टिप्पणी की। जिस प्रकार से कार्यक्रम से पूर्व और बाद में मोदी जी जैसे मिलते हैं व्यक्ति समझता है कि वे उसी के सब से निकट हैं, यह एक निराली कला है। किसी से कहते हैं, "कहां खो गए आप!" या "आप तो ईद का चांद हो गए!" सभी बच्चे, अध्यापक और अभिभावक बहुत खुश थे। जय हिंद!