भारत-कनाडा : कम हुआ तनाव
भारत द्वारा कनाडा के नागरिकों के लिए दो महीने के अंतराल के बाद ई-वीजा सेवाएं शुरू कर दिए जाने से दोनों देशों के संबंध पटरी पर लौटते दिखाई दे रहे हैं। कूटनीतिक स्तर पर दोनों देशों के बीच बातचीत चल ही रही थी कि भारत ने दरियादिली दिखाते हुए यह कदम उठा लिया। दोनों देशों के बीच उपजे विवाद से भारत में विशेषकर पंजाब के रहने वाले लोग काफी परेशान थे। साथ ही कनाडा में रहने वाले भारतीय भी काफी चिंतित थे। सभी को इस बात की उम्मीद थी कि जल्द ही कोई न कोई समाधान निकल आएगा। स्टडी वीजा पर कनाडा गए छात्रों के अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य के लिए चिंतित थे और कनाडा जाने के इच्छुक छात्र भी परेशान थे।
ज्यादा मुश्किल उन लोगों के लिए खड़ी हो गई थी जिन्होंने वहां की नागरिकता ले ली थी। जो लोग कनाडा में रह रहे अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए जाने के इच्छुक थे, उन्होंने भी तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए अपनी यात्रा टाल दी थी। जब भी दो देशों में संबंध बिगड़ते हैं तो नुक्सान तो स्वाभाविक है लेकिन भारत द्वारा उठाए गए सख्त कदम से कनाडा को बहुत ज्यादा नुक्सान हो रहा था। यद्यपि भारतीय छात्रों को कनाडा आने-जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी लेकिन एक दहशत का माहौल जरूर बन गया था।
खालिस्तान समर्थकों के रहनुमा बने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाए जाने के बाद दोनों देशों में विवाद पैदा हो गया था। इसके बाद कनाडा सरकार ने भारत के शीर्ष राजनयिक को निष्कासित करने की घोषणा कर दी। भारत ने भी जवाब में ऐसा ही किया। इसके बाद भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया और कनाडा के राजनयिकों ने अपना बोरिया बिस्तर बांध लिया। नई दिल्ली में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो के साथ खालिस्तानी समर्थकों द्वारा भारतीय दूतावास पर हमले और कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा को खतरे का मुद्दा उठाया तब भी ट्रूडो भारत को संतुष्ट नहीं कर पाए। ट्रूडो बड़े बेआबरू होकर भारत से लौटे और उन्होंने भारत के प्रति रुख को काफी नरम किया। भारत द्वारा वीजा सेवाओं को रोक देना कनाडा के लिए बड़ा झटका साबित हुआ। यहां तक नुक्सान की बात है यह कदम कनाडा के लिए बहुत भारी साबित हुआ। कनाडा में इस समय लगभग 14 लाख भारतीय रहते हैं। इनमें से अधिकतमर कम वेतन पर नौकरियां करते हैं। भारतीय छात्र पढ़ने के साथ-साथ कई तरह की पार्ट टाइम नौकरियां करते हैं। वे अपनी कमाई में 40 फीसदी टैक्स भी अदा करते हैं।
कनाडा की अर्थव्यवस्था में भारतीयों का योगदान छोटी-मोटी नौकरियों के माध्यम से उनकी कमाई से कहीं अधिक है। कनाडा में 8 लाख अन्तर्राष्ट्रीय छात्रों में से 40 प्रतिशत छात्र भारतीय हैं। भारतीय छात्र प्रति वर्ष 30 बिलियन डॉलर के साथ निजी कालेज तंत्र को बढ़ावा देते हैं। साथ ही वह रियल स्टेट बाजार को भी बनाए रखने में मदद करते हैं। भारतीय छात्र टोरंटो, वैकूवर, फैलीगरी और अन्य बड़े शहरों में मकान किराए पर लेकर रहते हैं जिससे कनाडा के लोगों को फायदा पहुंचता है। भारतीय छात्रों द्वारा दी जाने वाली फीस निजी कालेजों द्वारा कनाडाई छात्रों से ली जाने वाली फीस से 3 से 5 गुणा ज्यादा है। अगर तनावपूर्ण संबंधों के चलते भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट आती है तो कनाडा की अर्थव्यवस्था को काफी नुक्सान हो सकता है। पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद उपजे राजनयिक विवाद के कारण 15000 से अधिक छात्रों को कनाडा छोड़ने के आदेश देने के सऊदी अरब के फैसले से कनाडाई अर्थव्यवस्था को करोड़ों डॉलर का नुक्सान हुआ था। कनाडा को कुशल अप्रवासियों की हमेशा ही जरूरत रही है। अगर वहां अप्रवासी काम न करें तो कनाडा की अर्थव्यवस्था रेंगने लगेगी। भारत-कनाडा के बीच तनाव के चलते व्यापार को भी नुक्सान पहुंचना स्वाभाविक था लेकिन व्यापार में भी भारत का पक्ष मजबूत है।
दोनों देशों के व्यापार में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 2022-23 में 12.55 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। दोनों देशों के व्यापार में भारत का पक्ष मजबूत रहा और कनाडा को 2022-23 में 58.4 मिलियन डॉलर (लगभग 484 करोड़ रुपए) का व्यापार घाटा हुआ। इसका अर्थ है कि भारत ने जितना सामान कनाडा से खरीदा, उससे अधिक कनाडा को बेचा। यदि खराब संबंधों के चलते कनाडा से भारत का व्यापार बंद होता है या फिर इसमें कमी आती है तो भी भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ेगा। भारत का वित्त वर्ष 2022-23 में कुल अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार 1.6 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 1.33 लाख अरब रुपए) रहा है। कनाडा से किया गया व्यापार भारत के कुल अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का मात्र 0.5 प्रतिशत है। ऐसे में इसके कम होने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला। हालांकि कनाडा को इसरो नुक्सान हो सकता है, क्योंकि भारत उसका 9वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
वर्ष 2023 के 6 माह में ही भारत से 2.99 लाख पर्यटक कनाडा पहुंचे। यह संख्या कनाडा से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या से काफी अधिक है। कनाडा के फंड के लिए भारतीय शेयर बाजार और भारत की बुनियादी संरचना परियोजनाएं शानदार रिटर्न का माध्यम साबित हुई हैं। भारतीय बाजार में कनाडा का निवेश 36 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है। संबंधों में तनातनी के चलते कनाडा की कमाई प्रभावित हो सकती थी। अभी भी जस्टिन ट्रूडो को सोचना होगा कि क्या वे इतना नुक्सान सहन कर सकते हैं। वोट बैंक की खातिर खालिस्तानी समर्थकों को संरक्षण देकर वह आतंकवाद के ही पोषक बन रहे हैं। बेहतर यही होगा कि वह ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करें और भारत को अपने कदमों से संतुष्ट करें ताकि संबंधों में दरार को पाटा जा सके।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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