India's banking sector is now very strong: भारत का बैंकिंग क्षेत्र अब काफी मजबूत
India's banking sector is now very strong: 4 जून को चुनाव परिणाम आने के बाद केन्द्र की नई सरकार बन जाएगी। नई सरकार को जन कल्याण की नीतियों और योजनाओं को चालू रखने के लिए धन की जरूरत होगी। मतदान के अंतिम चरण से पहले ही सरकार के लिए अच्छी खबर यह रही कि भारतीय रिजर्व बैंक ने ऐलान किया कि उसके बोर्ड ने भारत सरकार को डिविडेंड के तौर पर दी जाने वाली राशि तय कर ली है। इसके बाद आया 2.11 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा चौंकाने वाला है। केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा इस साल पेश वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में रिजर्व बैंक से डिविडेंड के रूप में सिर्फ 1.02 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया गया था। इस तरह सरकार के लिए मौजूदा वित्त वर्ष में यह 1.09 लाख करोड़ रुपये के अप्रत्याशित लाभ जैसा है। यह सरकार को मिलने वाला सर्वाधिक लाभांश है। वर्ष 2022-23 में यह राशि 87,416 करोड़ रही थी। इससे पहले सबसे अधिक लाभांश 2018-19 में मिला था, जो 1.76 लाख करोड़ रुपये था। सरकार के खाते में यह राशि वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 की अवधि में दिखेगी, इसलिए अगली सरकार को अपने कल्याण कार्यक्रमों तथा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के खर्च में इससे बड़ी मदद मिलेगी। इसके साथ ही बजट घाटे को भी नियंत्रण में रखा जा सकेगा। अतिरिक्त लाभांश से निश्चित रूप से अगली सरकार के लिए काम थोड़ा आसान हो जाएगा। जब जुलाई महीने में पूर्ण बजट पेश होगा तो यह उम्मीद है कि वित्त मंत्रालय इस अवसर का इस्तेमाल अपनी राजकोषीय मजबूती की प्रक्रिया को तेज करने के लिए करेगा।
मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार की सकल बाजार उधारी 14.13 लाख करोड़ रुपये तय की गई है और शुद्ध बाजार उधारी 11.75 लाख करोड़ रुपये होगी। अगर इस आंकड़े में कुछ कमी होती है इससे कर्ज प्रबंधन में मदद मिलेगी और सरकारी प्रतिभूतियों की यील्ड में गिरावट आएगी जो कि स्वागत योग्य बात होगी। अंतरिम बजट में वित्तीय घाटे को नॉमिनल जीडीपी के 5.1 प्रतिशत रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव की वजह से इस वर्ष फरवरी में पूर्ण बजट प्रस्तुत नहीं हो सका था। यह बजट जुलाई में नवनिर्वाचित सरकार के द्वारा पेश किया जायेगा। रिजर्व बैंक की भारी कमाई में विदेशी मुद्रा भंडार पर मिला अधिक ब्याज शामिल है। देश में भी परिसंपत्तियों से हुई अच्छी आमदनी की यही वजह है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के लिए रिजर्व बैंक समेत दुनिया के अधिकतर केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को बढ़ाया है। इस कमाई की एक वजह विदेशी मुद्रा भंडार के पुनर्मूल्यांकन से मिला फायदा भी है। मार्च के अंत में रिजर्व बैंक के पास 646 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जो अप्रैल में बढ़कर 648.56 अरब डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक ने अपने बोर्ड बैठक में यह भी रेखांकित किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती बनी हुई है। ऐसे में केंद्रीय बैंक ने आकस्मिक जोखिम निधि छह प्रतिशत से बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत रखने का निर्णय लिया है।
देश के लिए शुभ संकेत यह भी है कि भारत की बैंकिंग व्यवस्था अब काफी मजबूत हो चुकी है। कभी बैंकों का ये हाल था कि घोटाले ही घोटाले नजर आते थे। कुछ लोग अरबों के घोटाले कर देश से बाहर भाग गए। बैंकों का एनपीए लगातार बढ़ता जा रहा था। अब बैंकिंग सैक्टर लाभ में दिखाई देता है। वृहद आर्थिक नजरिये से बैंकिंग क्षेत्र अभी इस स्थिति में है कि निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में सुधार का समर्थन कर सके। आरबीआई ने 8.3 फीसदी प्रतिफल दिया पिछला वित्त वर्ष (2023-24) निजी बैंकों के लिए बेहतर और सरकारी क्षेत्रों के लिए शानदार रहा। सभी बैंकों की समेकित शुद्ध आय में विस्तार हुआ और ज्यादातर समय शुद्ध ब्याज मार्जिन भी बरकरार रहा।
बैंकों की गैर ब्याज आय भी बढ़ी क्योंकि बैंकों ने पूरक उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था बढ़ाई और उनकी शुल्क आय भी बढ़ी है। समस्त फंसे हुए कर्ज में तेजी से कमी आई। शुद्ध एनपीए में भी कमी आई है। कई मामलों में प्रोविजन में कमी आई है या उनकी स्थिति उलट गई है क्योंकि मुश्किल कर्ज की वसूली हुई है। इससे मुनाफा बढ़ा है और ऋण की लागत कम हुई है। वित्त वर्ष 23 की तुलना में वित्त वर्ष 24 में ब्याज आय की बात करें तो निजी बैंकों के लिए यह सालाना आधार पर 38 फीसदी बढ़ी जबकि सरकारी बैंकों के मामले में 26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इनके अलावा देश की सरकारी कंपनियां और बड़े उपक्रम भी मजबूत अवस्था में हैं। वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2024) के कंपनियों के नतीजों से संकेत मिलते हैं कि कॉरपोरेट जगत की वृद्धि में सुधार, मार्जिन में कुछ बढ़त के साथ जारी है। हालांकि, बैंक और वित्तीय जगत की कंपनियों का समूचे लाभ में बड़ा हिस्सा है और ऊर्जा क्षेत्र में प्रभुत्व रखने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के कई बड़े उद्यमों ने अभी तक अपने नतीजे घोषित नहीं किए हैं। इसलिए कुछ प्रमुख क्षेत्रों का रुझान अभी शायद उतना स्पष्ट नहीं है। कुल मिलाकर देखें तो वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में कम से कम 1 करोड़ बिक्री वाली 1,040 सूचीबद्ध कंपनियों ने अपने नतीजे घोषित किए हैं।
उन्होंने शुद्ध बिक्री में 10 फीसदी की बढ़त, एबिट्डा (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की आय) में 21 फीसदी की वृद्धि और कर बाद मुनाफे यानी पीएटी में 18 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। आईटी कंपनियों ने सतर्क अनुमान जारी किए हैं जैसा कि उन्होंने पिछली पांच तिमाहियों में किया था। स्थिर मुद्रा के आधार पर उनकी बिक्री में 3 फीसदी, एबिट्डा में 8 फीसदी और पीएटी में 9 फीसदी की बढ़त हुई है। कर्मचारियों की संख्या में कटौती जारी है। फार्मा क्षेत्र ने इससे काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। स्थिर मुद्रा के आधार पर उनकी बिक्री में 8 फीसदी, एबिट्डा में 34 फीसदी और पीएटी में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर बहुत गुलाबी नजर आ रही है।
writer -: Akash Chopra