रूठे उद्धव को मनाने की ‘कमल ताल’
वक्त के माथे पर मुसलसल सी सलवटें हैं
आने वाली रुत की कैसी यह बेचैन आहटें हैं
सियासत के विहंगम आकाश में उड़ते परिंदों के पर गिनने में सिद्धहस्त भाजपा शीर्ष ने महाराष्ट्र में अपनी हारी बाजी को जीतने का नया प्लॉन बनाया है। देश के शीर्षस्थ उद्योगपति घराना और ठाकरे परिवार की दोस्ती कोई छुपी बात नहीं है। सो, पिछले सप्ताह जब मुंबई के इस शीर्षस्थ उद्योगपति ने उद्धव ठाकरे को सपरिवार अपने घर भोजन पर आमंत्रित किया तो मेन्यू का आकार-प्रकार खासा सियासी चाशनी में डूबा हुआ था। इस उद्योगपति ने उद्धव से खास तौर पर कहा कि ‘वे आदित्य को जरूर साथ लेकर आएं।’ ठाकरे परिवार जब अपने मेजबान के घर पहुंचा तो बातों की शुरुआत ही देश की राजनीति पर केंद्रित रही। इन थैलीशाह ने उद्धव को समझाते हुए कहा कि ‘जब हवा का रुख एकतरफा हो तो उसके खिलाफ जाने में कोई समझदारी नहीं है।’
सूत्र बताते हैं कि इस पर उद्धव ने कहा कि ‘जरा खुल कर अपनी बात रखिए।’ तब उस उद्योगपति महोदय ने कहा कि हमारी दिल्ली में अक्सर बातें हो जाती हैं और भाजपा शीर्ष आपको लेकर काफी फिक्रमंद है। उनका कहना है ‘उद्धव हमारे पुराने साथी हैं, जरा सी कहासुनी क्या हो गई, रिश्तों में खटास आ गई। हम अब उसे ठीक करना चाहते हैं, क्योंकि यह हमारा परिवार है। भाजपा शीर्ष ने कथित तौर पर यह भी आश्वासन दिया है कि ‘इस बार चुनावी नतीजे चाहे जो भी रहें, भाजपा आदित्य ठाकरे को महाराष्ट्र का नया सीएम बनाने को तैयार है। रही बात देवेंद्र फड़णवीस की तो उन्हें केंद्र में लाकर महाराष्ट्र की राजनीति से अलग कर दिया जाएगा।’ इन्हीं उद्योगपति के मार्फत से उद्धव को यह भी आश्वासन मिला है कि उनके साथ जो हुआ वह ठीक नहीं हुआ, उनकी पुरानी पार्टी उन्हें लौटा दी जाएगी। यह सारी बातें सुनने के बाद उद्धव ने दो टूक कहा-यह तो बेहद शुभ संकेत है पर मैं अब जीवन में कभी भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा। रही बात पार्टी की, तो हमारे कार्यकर्ता आज भी हमारे साथ हैं और हमें उन पुराने नेताओं की कोई जरूरत नहीं जो मुश्किल वक्त में हमारा साथ छोड़ कर चले गए थे। उद्धव के साफ संदेश के बाद भगवा
‘कमल ताल’ में फिलहाल लगाम सी लग गई है।
बीएल की चिट्ठी पर भगवा शीर्ष का असंतोष
यह बात तब कि जब देश में चुनाव का पांचवां चरण चल रहा था तो भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष को एक नायाब आइडिया आया, उन्होंने आनन-फानन में उन भाजपा नेताओं की एक सूची तैयार की जो अलग-अलग कारणों से पार्टी से नाराज़ चल रहे हैं और जिन्होंने चुनाव प्रचार से अपनी दूरियां बना रखी हैं। संतोष ने ऐसे 32 नामों की शिनाख्त की जिनमें से ज्यादातर पार्टी नेताओं के टिकट कट गए थे या जिन्हें पार्टी ने खुद ही दरकिनार कर दिया था। इन असंतुष्ट नेताओं की लिस्ट में जयंत सिन्हा, वरुण गांधी, पूनम महाजन, प्रवेश वर्मा, रमेश विधुड़ी जैसों के नाम शामिल थे। बेहद असंतोष के मारे संतोष जी ने यह चिट्ठियां ड्राफ्ट कर उन्हें दस्तखत के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के पास भेज दीं। जेपी नड्डा को जैसे ही चिट्ठियों के मजमून का पता चला उनके तोते उड़ गए और उन्होंने ना सिर्फ इन चिट्ठियों को साइन करने से मना कर दिया, बल्कि उसी वक्त एक बड़े नेता को फोन कर उन्हें सारी वस्तुस्थिति से अवगत भी करा दिया। बड़े नेता ने संतोष को तलब कर उन्हें चेतावनी देने वाले लहज़े में कहा गया आपकी जिम्मेदारी संगठन चलाने की है, पार्टी को एकजुट रखने की है, आप इसमें पलीता क्यों लगाना चाहते हैं? आप कर्नाटक भी नहीं संभाल पाए और अब चिट्ठियां भेज एक नया बखेड़ा खड़ा करने की कोशिश मत करो वह तब तो शांत हो गए पर उनका असंतोष बरकरार है।
किसकी बीन पर नाच रहे नवीन?
अभी जुम्मा-जुम्मा भाजपाई हुए नवीन जिंदल को अपने रंग बदलने की कीमत चुकानी पड़ रही है। वे हरियाणा के कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार हैं। जिंदल पिछले दिनों अपने चुनाव प्रचार के सिलसिले में स्कूली शिक्षकों के साथ एक मीटिंग के लिए गए जिन्हें एक संघ पोषित स्कूल के परिसर में एकत्रित किया गया था। सूत्र बताते हैं कि जिंदल ने वहां उपस्थित सभी शिक्षकों से एकजुट होकर उनके लिए काम करने की अपील की। पर वहां मौजूद एक शिक्षक जो कि काफी मुखर थे, उन्होंने नवीन जिंदल से एक सीधा सवाल पूछ लिया कि ‘पिछले चुनावों में मोदी अपने भाषणों में आपको कुछ आपत्तिजनक नाम से बुलाते थे, अब चूंकि आप भाजपा में आ गए हैं तो क्या आपने अपने आपको अब स्वीकार कर लिया है?’ पर इस तल्ख सवाल पर जिंदल ने अपना आपा नहीं खोया। उन्होंने बेहद संजीदगी से कहा कि अब सब कुछ बदल चुका है।
हाजिर जवाब खट्टर
हरियाणा की करनाल सीट से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भाजपा की ओर से चुनावी मैदान में हैं जहां उन्हें कांग्रेस के युवा उम्मीदवार दिव्यांशु बुद्धिराजा से कड़ी टक्कर मिल रही है। अपने चुनाव प्रचार के सिलसिले में खट्टर जब पानीपत पहुंचे तो वहां उनका भव्य स्वागत हुआ।
इसी बीच संघ और भाजपा का एक पुराना कार्यकर्ता उनके पास आया और उनसे कहा कि प्रदेश में बहुत गंदी राजनीति चल रही है। मैं स्वयं एक ब्राह्मण हूं, सो मुझे इस बात की काफी व्यथा है कि रमेश कौशिक जी का टिकट काट दिया गया है जो ब्राह्मणों के एक बड़े नेता हैं। उनकी सीडी आपके मुख्यमंत्री रहते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई या कर दी गई। आपने वास्तव में राजनीति का स्तर काफी गिरा दिया है। इस पर हाजिर जवाब खट्टर ने कहा-जनाब, मैंने राजनीति का स्तर उठाने का काम किया है, क्योंकि मेरे संज्ञान में ऐसी 8-9 सीडी आई थीं पर चली सिर्फ एक। तो मैंने तो राजनीति का स्तर गिरने से बचा लिया और हरियाणा का नाम भी बचा कर रखा।
वाराणसी में तीन नेता और उनकी निष्ठा
जब वाराणसी लोकसभा सीट पर पीएम मोदी अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचे तो भाजपा शीर्ष ने वहां तीन ऐसे नेताओं को तलब किया जो खुद भी लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे। इनमें शामिल थे केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, जो झारखंड के खूंटी से चुनाव लड़ रहे थे, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान जो मुज्जफरनगर से चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे और तीसरे थे सुमेधानंद सरस्वती जो राजस्थान के सीकर से कमजोर चुनावी पिच पर डटे थे। इन तीनों नेताओं को वाराणसी लोकसभा सीट पर अलग-अलग क्षेत्र में चुनाव प्रचार की कमान सौंपी गई है। इस पर वहां एक सीनियर भाजपा कार्यकर्ता ने एक बड़े भाजपा नेता से कहा कि कितने निष्ठावान हैं ये लोग जो अपनी-अपनी सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद वाराणसी में पार्टी को इतना वक्त दे रहे हैं। इस पर एक नेता जी ने जो कुछ कहा वह हैरान करन देने वाला था।
...और अंत मेंबिहार के विधानसभा चुनाव 2025 में होने वाले हैं पर इसके लिए बिसात बिछनी अभी से शुरू हो गई है। कभी नीतीश से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले नेता जी अब उनसे दूरियां कम करने के प्रयासों में जुटे हैं। नेता जी के चुनाव प्रचार में पीएम मोदी आए तो उन्होंने उन्हें बिहार का भावी मुख्यमंत्री बनने का आश्वासन दे दिया। यह बात अलग है कि पीएम की पसंद कोई और भी हो सकती है पर नीतीश कुमार हैरान परेशान हैं।