India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

सिस्टम से हारती जिंदगी

04:10 AM Sep 16, 2024 IST
Advertisement

देशभर में हो रही बारिश से जनित हादसों में लोगों की मौतों की खबरें लगातार आ रही हैं। वर्षा के चलते शहर तालाब में तब्दील हो रहे हैं। राजधानी दिल्ली हो या उसके आसपास के शहर। औद्योगिक शहर फरीदाबाद हो, गुरुग्राम हो या फिर गाजियाबाद हो या नोएडा जलभराव की समस्या से लोगों को जूझना पड़ता है। शहरों में अंडरपास स्वीमिंग पूल बन जाते हैं। हल्की सी बारिश से ही दो-तीन फीट पानी तो आम है। बिना प्लानिंग के विकास लोगों के लिए अभिशाप बन चुका है। विडम्बना यह है कि लोगों को न तो चलने के लिए दुरुस्त सड़कें मिल रही हैं और न ही जल निकासी की बेहतर व्यवस्था है। ड्रेनेज सिस्टम ​िवफल हो जाने से शहर जलमग्न हो रहे हैं। स्थानीय निकाय वर्षा पूर्व तैयारी को लेकर मैन पावर, मशीनरी पावर और मनी पावर का इस्तेमाल करता है। करोड़ों रुपए हर साल खर्च किए जाते हैं लेकिन कोई जवाबदेही नहीं है। हम स्मार्ट सिटी की बात करते हैं, तेज रफ्तार बुलेट ट्रेनों की परियोजनाएं तैयार करते हैं। बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल महानगरों की संस्कृति का एहसास कराते नजर आते हैं।
साल दर साल जब बारिश से सड़कें जलमग्न होती हैं और लोगों के घरों में पानी और मलबा घुस जाता है या ज​ब किसी की जिंदगी डूबती है तब प्लान पर चर्चा जरूर होती है। राजनीतिक दलों की जुबां पर समाधान कम और राजनीति के शब्दबाण अधिक होते हैं। हरियाणा में ओल्ड फरीदाबाद के अंडरपास में एसयूवी कार डूबने से दो बैंक कर्मियों की दुखद मौत बहुत सारे सवाल खड़े करती है। मौत के अंडरपास में 10 से 12 फीट पानी भरा हुआ था। गुरुग्राम के एक बैंक में मैनेजर पुण्य श्रेय शर्मा और कैशियर विराज द्विवेदी दोनों एक ही गाड़ी में आ रहे थे। अंडरपास में कार डूबने पर उन्होंने बाहर निकलने के लिए बहुत हाथ-पांव मारे लेकिन पानी ज्यादा होने की वजह से वह निकल ही नहीं पाए और कार के दरवाजे भी लॉक हो गए। इस अनहोनी के लिए आखिर ​किसे दोषी माना जाए। लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ने अंडरपास पर बैरिकेट लगाई होती तो शायद वो लोग कार को रेलवे के अंडरब्रिज से ले जाने की कोशिश नहीं करते जबकि पुलिस का कहना है कि ब्रिज के पास पुलिस की ​बैरिकेटिंग और सावधानी से आगे जाने से मना किया था ले​िकन उन्होंने कार नहीं रोकी। पिछले तीन दिनों में फरीदाबाद में भारी बारिश हुई जिससे कई इलाके आभासी नदियों में बदल चुके हैं। यह दुखद घटना अंधेरे और गंभीर जलभराव के कारण घटी जिन पर मृतकों का ध्यान नहीं गया। महानगरों में ऐसे हादसे पहले भी हो चुके हैं।
बारिश पूरे जिम्मेदार सिस्टम को आइना दिखा रही हैै। हैरानी की बात तो यह है कि दो लोगों की मौत के बाद भी अंडर​​​ब्रिज से अभी तक पूरी तरह से पानी नहीं निकाला जा सका। यह हादसा मृतकों की लापरवाही का परिणाम माना जा सकता है लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि लोगों की जिंदगियां सिस्टम से हार रही हैं। शहरों में जल निकासी के रास्तों पर अवैध कब्जे मुसीबत बन चुके हैं। शहरों के नाले-नाली से लेकर पु​ल-पुलिया के आसपास जल​ निकलने के रास्तों पर कब्जा हो चुका है। शहरों की आबादी लगातार बढ़ रही है और बुनियादी ढांचा दम तोड़ने लगा है। हाल ही में दिल्ली के ओल्ड राजेन्द्र नगर में एक कोचिंग सेंटर की बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत के बाद काफी बवाल मचा था। जिन घरों के चिराग बुझ गए उनका गुनहगार कौन है। अभी तक जांच ही चल रही है।
देश के अधिकतर महानगर दिल्ली, कोलकाता, चैन्नई, मुंबई, पटना, लखनऊ, प्रयागराज, बनारस, बेंगलुरु, इंदौर, भोपाल, हैदराबाद, रायपुर, जयुपर, अमृतसर, लुधियाना आदि महानगरों व शहरों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है। मुंबई में मीठी नदी के उथले होने और 50 साल पुरानी सीवर व्यवस्था के जर्जर होने के कारण बाढ़ के हालात अब आम बात बन चुकी है। बेंगलुरु में पुराने तालाबों के मूल स्वरूप में अवांछित छेड़छाड़ को बाढ़ का कारण माना जाता है। शहरों में बाढ़ रोकने के लिए सबसे पहला काम तो वहां के पारंपरिक जल स्रोतों में पानी की आवक और निकासी के पुराने रास्तों में बन गए स्थाई निर्माण को हटाने का करना होगा। महानगरों में भूमिगत सीवर जलभराव का सबसे बड़ा कारण हैं। यूपी के अधिकतर शहरों में तालाबों पर अवैध कब्जे हो चुके हैं। शासन-प्रशासन के प्रयास के बावजूद अवैध निर्माण और कब्जे रुक नहीं रहे हैं। इसी के चलते यूपी के अधिकतर शहरों में बरसात के दिनों में घुटनों तक पानी भर जाना आम बात है।
शहरों में अनियंत्रित और अनियोजित विकास ने जलभराव की समस्या को जन्म दिया है। वहीं हमने अतिक्रमण करके नदियों का प्रवाह संकरा कर दिया है। रही-सही कसर गाद के जमा होने से उसकी कम होती गहराई पूरा कर दे रही है। पहले नदियों के कैचमेंट में बारिश के पानी को रोकने के स्रोत हुआ करते थे- तालाब, पोखर, झील। अनियोजित विकास ने तालाब और पोखरों काे गायब कर दिया है। लिहाजा बारिश का पानी अब रास्ता बनाता हुआ बरसात के तुरन्त बाद नदियों में जा मिलता है। जो उन्हें उफनने पर विवश करता है। पहले भी यह पानी नदियों तक पहुंचता था लेकिन वह नियंत्रित होता था। उसे सालभर हम सिंचाई से लेकर तमाम जरूरतों में इस्तेमाल करते थे, भू जल रिचार्ज होता रहता था जो बचता था वह नदियों में जाता था। लिहाजा सामान्य बारिश होने पर नदियां असामान्य रूप नहीं दिखा पाती थीं। सिस्टम तो लगातार विफल होता जा रहा है। शहरों को डूबने के लिए भले ही हम उसे दोष दें या प्रकृति को परन्तु इसके लिए हम सब गुनहगार हैं। विकास के लिए बेेहतरीन डिजाइन भी होने चाहिए। अगर नियोजित विकास नहीं हुआ तो शहर रहने लायक नहीं रहेंगे।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Next Article