India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश

03:33 AM Aug 16, 2024 IST
Advertisement

स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली के ऐतिहा​सिक लालकिले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्बोधन का राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संदर्भों में रखकर मूल्यांकन किया जाना चाहिए। लालकिले से जब देश का प्रधानमंत्री बोलता है तो वह भारत के महान लोकतंत्र की उस आत्मा को साकार करता है जो इस देश के 140 करोड़ देशवासियों के भीतर रहती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्बोधन को वास्तविकता की रोशनी में देखा जाना चाहिए। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री का सम्बोधन देश की उपलब्धियों, विकास का खाका खींचने और नई घोषणाओं पर केन्द्रित रहता है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सम्बोधन इस बार कई अर्थों में लिया जा सकता है। उनका सम्बोधन 2047 में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प भी है तो दूसरी तरफ उनके सम्बोधन के राजनीतिक अर्थ भी हैं। उन्होंने एक साथ कई निशाने साधे हैं। जहां उन्होंने उपलब्धियों पर प्रकाश डाला है वहीं उन्होंने कई चुनौतियों को भी चुनौती दे डाली है। प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से प्राकृतिक आपदा से लेकर रिफार्म्स तक, महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों से लेकर गवर्नेस मॉडल समेत कई विषयों की चर्चा की। उन्होंने न्यायिक सुधारों पर आगे बढ़ने का भी संकेत दिया। इसके साथ ही वह विपक्ष को​ निशाना बनाने से नहीं चूके और सरकार का एजैंडा उन्होंने पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है।
जनसंघ काल से ही भाजपा के मुख्य एजैंडे में तीन मुद्दे शामिल थे। पहला जम्मू-कश्मीर से धारा 370 क​ी हटाना, राम मंदिर निर्माण और समान नागरिक स​ंहिता। मोदी सरकार के पहले दो एजैंडे पूरे हो चुके हैं। अब एक मुद्दा समान नागरिक संहिता का बचा हुआ है। समान नागरिक संहिता को लेकर एक ऐसा फोबिया बन चुका है जिससे देश की ​सियासत को धर्मों में बांटने की कोशिशें की जा रही हैं। जब देश में अधिकतर मामलों में नागरिकों पर एक समान कानून लागू होते हैं तो फिर अलग-अलग धर्मों के अपने अलग-अलग लॉ भारत के संविधान पर सवालिया निशान लगाते ​दिखाई दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 1985 में पहली बार समान नागरिक संहिता बनाने के संबंध में सुझाव ​िदया था। सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो प्रकरण में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के बाद गुजारे भत्ते का हकदार मानते हुए पीड़िता के हक में फैसला सुनाया था लेकिन मुस्लिम कट्टरपंथियों आैर वोट बैंक की राजनीति की वजह से तुष्टिकरण के लिए तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने संसद में कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। जिसके बाद से अब तक यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चाएं होती रहती हैं।
प्रधानमंत्री ने यह कहकर अपने इरादे को स्पष्ट कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड हो। संविधान की भी यही भावना है कि यूनिवर्सल सिविल कोड कम्यूनल नहीं सैक्यूलर हो, जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं। ऐसे कानून आधुनिक समाज नहीं बनाते। उनके शब्दों का अभिप्राय भी यही है कि मौजूदा सिविल कोड एक तरह से साम्प्रदायिक नागरिक संहिता है। देश को ऐसे सिविल कोड की जरूरत है, जिससे धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्ति मिले। प्रधानमंत्री ने वन नेशन वन इलैक्शन की भी चर्चा की और न केवल विपक्ष को बल्कि सहयोगी दलों को भी इस मुद्दे पर आम सहमति कायम करने का संदेश दिया। उन्होंने आग्रह किया कि भारत की प्रगति के लिए संसाधनों का सर्वाधिक उपयोग जन सामान्य के लिए हो। इसके लिए वन नेशन-वन इलैक्शन के लिए आना चाहिए। प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में विपक्ष पर निशाना साधते हुए उस पर यह कहकर करारी चोट की कि कुछ लोग भारत का भला नहीं सोच सकते। देश को ऐसे लोगों से बचना है जिनकी गोद में विकृतियां पलती हैं। राजनीति में परिवारवाद का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नए युवाओं को राजनीति में लाना भी उनका मिशन है जिनके परिवार या रिश्तेदार कभी राजनीति में न रहे हों। ऐसे ताजा चेहरे लोग राजनीति में लाएं जिससे परिवारवाद और जातिवाद से मुक्ति मिले।
प्रधानमंत्री ने कोलकाता में डॉक्टर रेप और मर्डर केस के संदर्भ में कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच जल्द होनी चाहिए आैर अपराधियों को फांसी पर लटकाया जाना चाहिए तथा डर पैदा किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने युवाओं, किसानों, बंगलादेश की स्थिति, बैंकिंग सैक्टर, अंतरिक्ष क्षेत्र, रक्षा क्षेत्र आदि विषयों पर भी चर्चा की। 98 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने विकसित भारत के रोड मैप पर बढ़ने का संकल्प लिया। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत ने पिछले 78 वर्षों में जो प्रगति अपनी विविधता को संजाये हुए लगाई है उससे पूरी दुनिया हैरत में है। बड़े-बड़े देश अब भारत के लोगों के ज्ञान और उनकी मेहनत के दीवाने हैं। दुनिया के हर कोने में भारतीय अपना झंडा गाड़ रहे हैं।

Advertisement
Next Article