क्वाॅड का संदेश
क्वाॅड चार देशों के बीच होने वाले सुरक्षा संवाद का समूह है। इसमें चार देश भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान सदस्य हैं। यह देश समुद्री सुरक्षा और व्यापार के साझा हितों पर एकजुट हुए हैं। क्वाॅड जैसा समूह बनाने की बात 2004 की सुनामी के बाद हुई थी जब भारत ने अपने और अन्य प्रभावित पड़ोसी देशों के लिए बचाव और राहत के प्रयास किए और इसमें अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल हो गए लेकिन इस आइडिया का श्रेय जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को दिया जाता है। क्वाॅड की पहली अनौपचारिक बैठक अगस्त 2007 में मनीला में आयोजित की गई थी। उसके 10 साल बाद 2017 में मनीला में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान भारत, आस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका संवाद के साथ क्वाॅड अस्तित्व में आया। यह बैठक इन देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मनीला पहुंचने के कुछ घंटे पहले हुई थी। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि उस समय भारत और चीन के बीच डोकलाम में गतिरोध चल रहा था। उसके बाद क्वाॅड साझा हितों को लेकर काफी आगे बढ़ चुका है।
क्वाॅड का मुख्य उद्देश्य एक नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था, नेविगेशन की स्वतंत्रता और एक उदार व्यापार प्रणाली को सुरक्षित करना है। गठबंधन का उद्देश्य हिन्द प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिए वैकल्पिक ऋण वित्त पोषण भी है। जापान में हुई क्वाॅड समूह की बैठक ने इस बार चीन आैर पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई है और दोनों को यह सीधा संदेश दिया गया है कि उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय सेवाओं पर उपद्रव और अपनी दादागिरी बंद कर देनी चाहिए। क्वाॅड ने स्पष्ट रूप से कहा है कि चीन की अन्तर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा के उल्लंघन की आदत हो सकती है लेकिन इस तरह की जबरदस्ती को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। वहीं पाकिस्तान का नाम लिए बिना समूह ने कहा है कि आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई जरूरी है। बैठक में 26/11 के मुम्बई हमले और पठानकोट हमलों सहित अन्य आतंकवादी हमलों की भी निंदा की गई। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का यह कहना अपने आप में महत्वपूर्ण है कि क्वाॅड अब केवल संवाद का मंच नहीं बल्कि एक्शन का मंच है।
विश्व की भलाई के लिए क्वाॅड की प्रतिबद्धता हिंद-प्रशांत क्षेत्र से कहीं आगे तक है। वास्तव में ये आसान समय नहीं है। विश्व के विभिन्न हिस्सों में भू-राजनीतिक उथल-पुथल जारी है। रूस-यूक्रेन और हमास-इजराइल संघर्ष के बीच वैश्विक आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित करना साथ ही जोखिम को कम करना बड़ी चुनौती है। पिछले कुछ वर्षों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य मौजूदगी में वृद्धि देखी गई है। जैसे-जैसे चीन अपनी विस्तारीकरण की नीति पर आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे उसकी आक्रामकता भी बढ़ती जा रही है। चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है, जबकि फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी इस समुद्री क्षेत्र पर दावे करते हैं। ऐसे में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए एक नई रणनीति विकसित करने के उद्देश्य से भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने नवंबर 2017 में मिलकर 'क्वाॅड' की स्थापना की थी। क्वाॅड के चारों देश भी इस बात से बखूबी वाकिफ हैं कि चीन से निपटना उनकी रोजमर्रा की सुरक्षा जरूरतों का हिस्सा बन चुका है। इस कारण क्वाॅड हमेशा से चीन के लिए बड़ी चिंता का कारण रहा है। जरूरी है सदस्यों को इस बात के प्रति भी सचेत रहना चाहिए कि क्षेत्र में क्वाॅड के विकास को किस तरह से देखा जाता है और इस विकास की गति के साथ सहजता है।
क्वाॅड की चेतावनी के बाद चीन को काफी मिर्ची लगी हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि क्वाॅड अन्य देशों का विकास रोकने के लिए कृत्रिम रूप से तनाव पैदा कर रहा है और टकराव को बढ़ावा दे रहा है। उसने यह भी कहा है कि अमेरिका और कुछ देश मतभेद पैदा करने, संघर्ष की स्थिति बनाने और छोटे गठजोड़ बनाने के लिए अपने सैन्य जहाज भेजते हैं जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। चीन ने यह भी कहा कि क्वाॅड कुछ देशों के संघर्षों को बढ़ाने में आग में घी डालने का काम कर रहा है। इसके कई कारण भी हैं। चीन की आक्रामकता के चलते उसके पड़ोसी देशों में जो एकजुटता है उससे चीन काफी चिंतित है। इससे उसकी विस्तारवादी योजना पर विराम लग सकता है। उसे लगता है कि क्वाॅड के रूप में एशिया के भीतर नाटो जैसा समूह बना दिया गया है। चीन को यह लगता है कि यह अमेरिकी सैन्य रणनीति का हिस्सा है। चीन का दावा है कि अमेरिका व पश्चिमी देशों ने जिस तर्ज पर नाटो का गठन किया है उसी तर्ज पर अमेरिका ने क्वाॅड का गठन किया है। नाटो का मकसद रूस की घेराबंदी करना है और क्वाॅड का मकसद चीन को रणनीतिक रूप से घेरना है। यह संयोग है कि इस संगठन में शामिल चारों देशों से चीन का विवाद चल रहा है।
चीन में साम्यवादी शासन है और क्वाॅड में शामिल चारों देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। कुल मिलाकर चीन की प्रतिक्रिया यह बताती है कि क्वाॅड अपना दबाव बना चुका है और वह समुद्री मार्गों को िकसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए नई रणनीति भी िवकसित कर चुका है। क्वाॅड में भारत का दबदबा बढ़ चुका है और अब चीन और पाकिस्तान को सोचना है कि उन्हें क्या करना है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com