मोदी ने कांग्रेस को सही जवाब दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई चेहरे पर जिस प्रकार से भाजपा को तीन प्रांतों में विजय श्री प्राप्त हुई है उससे कांग्रेस न केवल हतप्रभ हुई है, बल्कि उसकी विश्वसनीयता पर जबरदस्त बट्टा लगा है। मीडिया ने जिस प्रकार से एग्जिट पोल में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को कांग्रेस की झोली में डाला था, उससे ऐसा लग रहा था कि सेमीफ़ाइनल में कांग्रेस शायद भाजपा को 3-1 से पछाड़ देगी, ऐसा नहीं हुआ। स्कोर तो 3-1 ही रहा, मगर सियासी मैच भाजपा जीत गई।
बिल्कुल सटीक सोच है प्रधानमंत्री की कि कांग्रेस तभी गिनती में आएगी जब वह नाकारात्मकता त्याग सकारात्मकता की और अग्रसर होगी, क्योंकि यह एक ऐतिहासिक पार्टी है और अगर यह इसी प्रकार से नादानियों पर नादानियां करती रही तो कहीं स्वयं एक इतिहास बन कर न रह जाए। वहीं जहां कांग्रेस द्वारा मोदी के विरोध में ज़हर उगला जाता है, उन्होंने आपनी जीत में एक ग्रेसफुल और सधे हुए नेता की तरह अच्छाई, भलाई व नेकी का भरपूर सबक दे डाला।
इस बार जब वे भाजपा के विजय पर्व से जनता से मुखातिब थे ऐसा प्रतीत हुआ कि कांग्रेस की लगातार हार से उन्हें उस पर दया आई तो उन्होंने उसे नसीहत देते हुए कहा कि कांग्रेस जैसी ऐतिहासिक पार्टी को भाजपा या प्रधानमंत्री के खिलाफ़ बोलते हुए संयम बरतना चाहिए।
भाजपा की प्रचण्ड जीत में कई राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अपरिपक्वता और बड़बोलेपन का भी बड़ा हाथ है, क्योंकि मतदान से चंद दिन पूर्व उन्होंने भारत-ऑस्ट्रेलिया फ़ाइनल के बाद हार का ठीकरा मोदीजी पर फोड़ते हुए निहायत ही बदतमीज अंदाज में कहा था कि "पनौती" ने मैच हरवा दिया। प्रधानमंत्री को इस मैच में जाना चाहिए था अथवा नहीं, यह एक चर्चा का विषय हो सकता है, मगर उनको जलील करने के लिए इस प्रकार की शब्दावली का इस्तेमाल हर्गिज नहीं करना चाहिए था। जनता में आ कर बोलना ऐसा ही है जैसे तलवार की धार पर चलना या सिर पर तलवार लटकना। जनता ने देखा की जिस प्रकार से अटल बिहारी वाजपेयी ने कांग्रेसी नेता इंदिरा गांधी को बांग्लादेश युद्ध जीतने पर शाबाशी दी या नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाकर उनका मान बढ़ाया और कुछ राजनीतिक दल आज तक यह नहीं समझ पाए कि किसी भी पार्टी के बुजुर्गों का यदि आप सम्मान नहीं कर सकते तो कम से कम अपमान तो न करें।
भाजपा की कामयाबी की बहुत से कारणों में एक कारण यह भी है कि उनके शीर्ष नेता किसी को अपमानित करने में विश्वास नहीं रखते। यही कारण है कि मोदीजी ने इस बात का सम्मान करते हुए कि कांग्रेस आज भी भाजपा के बाद सब से बड़ी और ऐतिहासिक पार्टी है, उसे सीख दी है कि जनता का आत्मविश्वास जीतना है तो सभ्य भाषा व आचार का पालन करना है। यूं तो सभी प्रधानमंत्रियों ने जनता से सीधे बात की है, जिन में इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी का नाम सर्वोपरि है, मगर जो कनेक्ट मौजूदा प्रधानमंत्री मोदीजी ने आम जनता से बनाया है, उसकी मिसाल भारतीय प्रधानमंत्रियों में तो क्या, उच्चतम अंतर्राष्ट्रीय नेताओं में भी नहीं मिलती। एक मजे की बात यह है कि जब-जब मोदीजी को बदनाम किया गया वे तब-तब और भी मज़बूत होते चलें गए। जब उन्हें "चाय वाला" कहा गया तो वे 282 सीट ले आए। जब उन्हें "चौकीदार चोर" कहा गया तो 302 सीट ले आए और अब उन्हें "पनौती" कहा गया है तो ऐसी आशा की जाती है कि अब भाजपा 2024 में 400 पार जाएंगी। यह भी खूब हुस्न - ए- इत्तेफ़ाक है कि जब-जब मोदी को 91 गालियों के अतिरिक्त भी गालियां दी गईं वे उतने ही सुर्ख रू होते चले गए। इस सब को ले कर उन्होंने कहा था कि उन्हें प्रति दिन ढाई-तीन किलो गालियां पड़ती रहती हैं, अर्थात जो पत्थर उन पर फेंके जाते हैं उन्हें वे बजाय पलट कर मारने के, जमा कर के उनसे प्रधानमंत्री आवास योजना का मकान बनाते हैं। किसी को अच्छा लगे, या न लगे, यह तो भारत ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्व ने देख लिया है कि जी-20 में वसुधैव कुटुंबकम्, अर्थात् एक विश्व, एक परिवार व एक भविष्य और क्रिकेट विश्व कप की मेज़बानी कर आज विश्व के सभी दिग्गज नेताओं में मोदी नंबर एक बन चुके हैं। ऐसा नेहरू, इंदिरा गांधी या वाजपेयी के दौर में भी देखने में नहीं आया था। आज अन्य राजनीतिक दलों को भाजपा के अनुशासन से बहुत कुछ सीखना है। जय हिंद। भारत माता की जय।
- फिरोज बख्त अहमद