India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

झारखंड में राजनीतिक ऊहापोह

02:24 AM Feb 02, 2024 IST
Advertisement

झारखंड के राज्यपाल ने झारखंड मुक्ति मोर्चे के नये नेता श्री चम्पई सोरेन को सरकार बनाने का न्यौता नहीं दिया है। इस बारे में भ्रम बना हुआ है। हालांकि चम्पई सोरेन ने राज्यपाल को विधायकों का समर्थन पत्र देकर उनसे जल्द सरकार बनाने का आग्रह किया है। कल ही मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित धन शोधन के मामले में गिरफ्तार किया था जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। परन्तु श्री सोरेन इस्तीफा देते हुए ही यह व्यवस्था कर गये थे कि यदि वह गिरफ्तार होते हैं तो उनके स्थान पर उनकी पार्टी के विधायक श्री चम्पई सोरेन पार्टी के विधायक दल के नेता होंगे जिस पर सभी विधायक राजी थे। वैसे चम्पई सोरेन ने कल रात ही राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा ठोक दिया था मगर राज्यपाल ने उनसे इन्तजार करने को कहा था। झारखंड में मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस व अन्य वामदलों की मिली-जुली सरकार है और 81 सदस्यीय सदन में इस मोर्चे के 49 सदस्य हैं जबकि बहुमत के लिए 41 सदस्यों की ही जरूरत होती है।
सदन में झामुमो के 29, कांग्रेस के 17 व राष्ट्रीय जनता दल का एक सदस्य है जबकि वामपंथी दलों के भी तीन तथा दो निर्दलीय सदस्य हैं। इन सभी का समर्थन सोरेन सरकार के साथ था। विपक्ष में भाजपा के 26 व उसके सहयोगी क्षेत्रीय दल के तीन सदस्य हैं। जो कुल मिलाकर 29 ही बैठते हैं। श्री हेमन्त सोरेन के गद्दी छोड़ने के बाद राज्य में अजीब संवैधानिक संकट बना हुआ था क्योंकि न तो राज्यपाल शासन था और न ही कोई निर्वाचित सरकार थी। भारतीय संविधान इस बात की इजाजत नहीं देता है क्योंकि राज्यपाल श्री हेमन्त सोरेन से यह भी नहीं कह सकते थे कि वह अगली व्यवस्था होने तक कार्यवाहक मुख्यमन्त्री बने रहें और न ही राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर सकते थे क्योंकि श्री चम्पई सोरेन ने बहुमत का दावा करते हुए समर्थक विधायकों की सूची उन्हें सौंप कर नई सरकार गठित करने का दावा पेश कर दिया था।
राज्यपाल के रूप में उनका पहला संवैधानिक दायित्व यह होता है कि वह राज्य में स्थायी व पूर्ण बहुमत वाली निर्वाचित सरकार जल्दी से जल्दी दें और यह भी सुनिश्चित करें कि राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए माहौल भी न बन सके। श्री चम्पई सोरेन ने आज पुनः पत्र लिख कर राज्यपाल का ध्यान इस ओर दिलाया और लिखा कि राज्य में पिछले कई घंटे से कोई भी सरकार नहीं है जबकि वह स्थायी व पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर आये हैं और इस बारे समुचित प्रमाण भी दे आये हैं। तब राज्यपाल ने उन्हें सायं साढे़ पांच बजे बुलाकर सरकार बनाने की दावत दी मगर यह नहीं बताया कि उनका शपथ ग्रहण समारोह किस दिन होगा। ऐसा माना जा रहा है कि शपथ ग्रहण समारोह श्री हेमन्त सोरेन की कानूनी स्थिति को देखते हुए ही तय होगा क्योंकि श्री सोरेन को आज अदालत ने एक दिन की हिरासत में भेजा है जबकि प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी हिरासत की कार्रवाई पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसके समानान्तर हेमन्त सोरेन सर्वोच्च न्यायालय चले गये हैं और याचिका दायर की है कि उनकी गिरफ्तारी गैर कानूनी व असंवैधानिक है। इस पर सर्वोच्च न्यायालय कल ही सुनवाई करेगा। यह मामला एक निर्वाचित मुख्यमन्त्री की गिरफ्तारी का है तो संभावना व्यक्त की जा रही है कि सर्वोच्च न्यायालय कल ही इस बारे में सुनवाई पूरी करके कोई फैसला देगा। श्री सोरेन के खिलाफ केवल आरोप हैं कोई चार्जशीट दायर नहीं है।
उधर चम्पाई सोरेन के साथ सभी 47 विधायक चट्टान की तरह खड़े हुए हैं और वे किसी भी लालच में आने से इन्कार कर रहे हैं। ये सभी 47 विधायक फिलहाल रांची में ही हैं और सरकारी रेस्ट हाऊस में रह रहे हैं। ये सभी एक विमान द्वारा आन्ध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद जा रहे हैं, जहां कांग्रेस पार्टी की सरकार है। मगर असली सवाल झारखंड में संविधान का है और संविधान के अनुसार राज्य में निर्वाचित सरकार जल्द से जल्द गठित की जानी चाहिए। झारखंड ऐसा ‘अमीर’ राज्य है जिसके लोग ‘गरीब’ हैं। यहां खनिज सम्पदाओं का खजाना बिखरा पड़ा है। इसके मुख्यमन्त्री का एक आदिवासी होना स्वयं में भारत के मुकुट में एक रत्न समझा जाता है क्योंकि यह आदिवासी बहुल राज्य है। गुरू जी के नाम से विख्यात शिबू सोरेन के सुपुत्र हेमन्त सोरेन भारत में आदिवासियों का कुशाग्र व संभ्रान्त चेहरा भी माने जाते हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Next Article