महाराष्ट्र में फडणवीस और विपक्ष की सियासत ?
लोकसभा चुनावों के नतीजे आने और केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार सरकार बनने के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा के आगामी अक्तूबर के महीने होने वाले चुनाव हैं। भारत की मजबूत होती अर्थव्यवस्था की जान है महाराष्ट्र। इसलिए सारे देश की निगाहें महाराष्ट्र पर लगी रहती हैं। वहां राज्य विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति भी गरमा चुकी है। आरोप-प्रत्यारोप के नियमित दौर चल रहे हैं। महाराष्ट्र का विपक्ष महाविकास आघाड़ी राज्य के उस नेता पर आरोप लगा रहे हैं, जिसने राज्य का मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश का चौतरफा विकास करवाया। हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के शिखर भाजपा नेता और वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की।
देवेंद्र फडणवीस राज्य के एक बड़े नेता होने के साथ ही काफी दूरदर्शी और अनुभवी रणनीतिकार के रूप में भी जाने जाते हैं। वह कई बार मुश्किलों में फंसी पार्टी को बाहर निकालकर अपनी योग्यता साबित कर चुके हैं। जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे, तब उनके कार्यकाल में राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास में कई काम हुए। मुंबई मेट्रो विस्तार और मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग जैसी प्रमुख परियोजनाओं की शुरुआत की गई। तब महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में और बढ़ी। देवेंद्र फडणवीस ने ही कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पुलिसिंग को मजबूत किया और अपराध की रोकथाम के लिए टेक्नोलॉजी आपरेटेड सिस्टम की शुरुआत की। समाज कल्याण को लेकर भी उन्होंने काफी पहल की। हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम लागू किए गये।
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बीते दिनों देवेन्द्र फडणवीस पर आरोप लगाया कि वे जब राज्य के गृहमंत्री थे तब उन्होंने (देवेंद्र फडणवीस ने ) उन पर दबाव बनाया था कि वे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और महाविकास आघाड़ी के तीन अन्य नेताओं के खिलाफ केस दर्ज करवा दें। हालांकि देवेंद्र फडणवीस ने देशमुख के इस आरोप को सिरे से खारिज किया है। कुल मिलाकर लग यह रहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जनता के बुनियादी मसलों से हटकर आरोप-प्रत्यारोप लगते रहेंगे। विपक्ष सत्ता हासिल करने के लिए तबीयत से कीचड़ उछालेगा।
जाहिर है फडणवीस ने भी देशमुख को उनकी ही भाषा में जवाब भी दिया। सबको याद है कि अप्रैल 2021 में गृहमंत्री रहे देशमुख पर तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिनर परमबीर सिंह ने यह आरोप लगाया था कि उन्होंने महाराष्ट्र की पुलिस को शहर के होटल और बार मालिकों से पैसे वसूलने पर लगा दिया था। अब देशमुख कह रहे हैं कि फडणवीस के निर्देश पर परमबीर सिंह ने उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए। अब तीन साल बाद वही एनसीपी नेता देशमुख यह दावा कर रहे हैं कि फडणवीस ने उन पर उद्धव और आदित्य ठाकरे, तत्कालीन डिप्टी सीएम अजीत पवार और मंत्री अनिल परब सहित एमवीए के प्रमुख लोगों के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए दबाव डाला था। साफ है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में टकराव बढ़ने वाला है और महाविकास आघाड़ी के निशाने पर देवेंद्र फडणवीस ज्यादा रहने वाले हैं। देवेंद्र फडणवीस पर विपक्ष गठबंधन महाविकास आघाड़ी के नेता रणनीति के तहत हल्ला बोल रहे हैं। उन्हें लगता है कि देवेंद्र फडणवीस को घेरकर वे विधानसभा चुनाव में बढ़त बना सकते हैं।
बेशक, यह अफसोसजनक स्थिति है कि जिस फडणवीस के मुख्यमंत्रित्वकाल में राज्य का अभूतपूर्व विकास हुआ, उन पर मिथ्या आरोप लग रहे हैं। उनके ही नेतृत्व में मुंबई मेट्रो का विस्तारीकरण हुआ। मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग, आर्थिक गलियारों और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए एक्सप्रेसवे परियोजना की शुरुआत हुईं। बढ़ती शहरी आबादी को समायोजित करने के लिए किफायती आवास योजनाओं को उन्होंने ही लागू किया। सड़क और रेल परियोजनाओं सहित सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क में सुधार किया। आतंकवाद-रोधी उपायों के तहत संभावित खतरों को रोकने और उनका जवाब देने के लिए सुरक्षा ढांचे को बढ़ावा दिया। देवेंद्र फडणवीस ने सामुदायिक पुलिसिंग पर जोर दिया। मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक के तहत मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ने के लिए इस समुद्री पुल की शुरुआत की।
गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति में एक प्रमुख नेता के रूप में सामने आए। उन्होंने राज्य भाजपा को एकजुट किया। यह फडणवीस ही थे जिन्होंने भाजपा की ताकत बढ़ाने के लिए शिवसेना के बिना चुनाव लड़ने का हिम्मती फैसला किया। उन्होंने राज्य के लिए भाजपा की स्वतंत्र ताकत और दृष्टि पर जोर दिया और उनके नेतृत्व में ही भाजपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। राज्य में शिवसेना के बिना भाजपा की सरकार बनाने के लिए फडणवीस ने ही मंच तैयार किया।
अब भी वह सत्तासीन गठबंधन में स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनका रणनीतिक कौशल जबर्दस्त रहा है। वह शासन में निरंतरता और प्रगति सुनिश्चित करते हुए लचीलेपन के साथ हर मुद्दे का राजनीतिक समाधान तलाशने में महारत रखते हैं। वही विभिन्न वर्गों के साथ प्रभावी ढंग से बातचीत करने में आगे रहे हैं। उनकी नेतृत्व शैली और उपलब्धियों ने उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में एक केंद्रीय व्यक्ति के रूप में स्थापित किया है। वह पैराशूट वाले नेता नहीं हैं। महाराष्ट्र में वह भाजपा में रैंक के माध्यम से आगे बढ़ने वाले नेता हैं। फडणवीस 1989 में युवा विंग के अध्यक्ष रहे हैं और केवल 27 साल की उम्र में नागपुर के मेयर नियुक्त हुए और 44 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए। वह एक ऐसे नेता हैं जो भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और आरएसएस दोनों में स्वीकार्यता रखते हैं। वह संघ के मूल मूल्यों को समझते हैं और पार्टी के भीतर उसको अपनाने की कोशिश भी करते हैं। महाराष्ट्र में हाल ही में हुए राजनीतिक उथल-पुथल जैसे चुनौतीपूर्ण समय के दौरान स्थिति को स्थिर करने और पार्टी के हितों की रक्षा सुनिश्चित करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। हाल के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार को अपनी जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार करते हुए इस्तीफा देने की उनकी पेशकश, नैतिक बल को ही दर्शाती है।
फडणवीस पर 2024 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को जीत दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है। राज्य के राजनीतिक हलकों में कई लोगों को लगता है कि पिछले दस वर्षों से महाराष्ट्र में भाजपा के निर्विवाद नेता के रूप में फडणवीस ही राज्य में भाजपा की पुनः वापसी कर सकते हैं। वे विपक्ष को पटकनी देने में सक्षम हैं। विपक्ष भी हमेशा फडणवीस से ही डरा हुआ दिखाई देता है। किसी न किसी तरह से उन पर निशाना साधने में महाविकास अघाड़ी के नेता कोई कसर नहीं छोड़ते। यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देवेन्द्र फडणवीस पर भरोसा रखते हैं।
2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को अच्छी सफलता मिली, सबको लगा कि फडणवीस एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा के साथ आगे आ गए। उन्हें अपने पुराने सहयोगी भारतीय जनता पार्टी को दगा देने में कोई संकोच नहीं किया। शरद पवार ने कांग्रेस नेतृत्व को राजी किया और उन्हें उद्धव ठाकरे का समर्थन करने के लिए मजबूर किया और अपनी सरकार बना ली, लेकिन फडणवीस ने जून 2022 में पवार साहब की साजिश को माकूल जवाब दे दिया। केवल ढाई साल की अवधि के लिए उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। अब वही ठाकरे शरद पवार के हाथों खिलौना बने हुए हैं।