2024 का रण : अपना-अपना दम
पिछले दिनों रायबरेली में बोलते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोगों को मुफ्त राशन देने को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मुफ्त दी गई कोई भी चीज लोगों की आदतें खराब कर देती है और उन्हें अपना पैसा कमाने से रोक देती है। देशव्यापी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से पहले से ही वितरित किए जा रहे सब्सिडी वाले खाद्यान्न के अलावा मुफ्त राशन का प्रावधान सबसे पहले 2020 में मोदी सरकार द्वारा कोरोना महामारी के कारण हुई कठिनाई को दूर करने के लिए किया गया था। इसे पिछले साल तक वार्षिक आधार पर जारी रखा गया था, जब प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि यह कम से कम पांच और वर्षों तक चलेगा। मोदी ने वित्त मंत्रालय की आपत्तियों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत करीब 12 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया। वैसे इन चुनावों में मुफ्त सुविधाओं पर पार्टियों के वादों की बात करें तो कांग्रेस ने भाजपा को पछाड़ दिया है।
दरअसल, ऐसा इसलिए है, क्योंकि सरकार में रहते हुए भाजपा को कुछ संयम बरतना होगा क्योंकि सत्ता में लौटने पर, जैसा कि अधिकांश पर्यवेक्षक इस बात पर जोर देते हैं, उसे उन वादों को पूरा करने के लिए कहा जाएगा। इस मामले में कांग्रेस के पास लापरवाह होने की सुविधा है, क्योंकि इस चुनाव में उसके सत्ता में आने की कोई संभावना नहीं है। किसी को उन कुछ मुफ्त सुविधाओं पर एक सरसरी नजर डालनी होगी, जिनकी घोषणा प्रियंका गांधी वाड्रा और उनके भाई राहुल प्रचार अभियान के दौरान कर रहे हैं। जैसा कि भाई-बहन कहते हैं, रुपये का वादा या गारंटी। परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को प्रतिवर्ष एक लाख रुपए देने का सीधा मतलब होगा केन्द्र सरकार के विकास बजट में भारी कटौती। एक तरह से यह विकास के पैसे का पूरी तरह से दूसरी तरफ चले जाने जैसा होगा।
मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए कांग्रेस नेताओं ने एक और वादा किया है लेकिन अब ऐसे में सवाल यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कुल आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से अधिक करने पर रोक लगा रखी है तब भला कांग्रेस के नेता ऐसा कब और कैसे करेंगे? भले ही वे कानून के तहत इस वादे को लागू करने में सक्षम हों या न लेकिन उन्होंने मतदाताओं को लुभाने की भरपूर कोशिश की है। वहीं, कांग्रेस पार्टी में एक आंतरिक आकलन से पता चलता है कि प्रियंका गांधी 'सुरक्षित' और बेहतर प्रचारक हैं। हालांकि इसका जवाब समय देगा लेकिन वह आक्रामकता दिखा कर बैलेंस भी बना लेती हैं, कांग्रेस पार्टी में कुछ लोगों के लिए प्रियंका में एक करिश्माई नेता बनने की क्षमता है। वह भी अक्सर मंच से चौंकाने वाले बयान देती हैं, लेकिन अनाप-शनाप नहीं बोलती। हालांकि, कांग्रेस ने प्रचार के लिए गांधी परिवार से भाई-बहनों पर ही भरोसा जताया है, प्रचार के लिए अन्य नेताओं की सेवाओं का बमुश्किल उपयोग किया जाता है। यहां तक कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की सार्वजनिक बैठकें भी कांग्रेस समर्थकों को उत्साहित करने में विफल रहीं।
दूसरी ओर, भाजपा में यह भावना बढ़ती जा रही है कि वह उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएगी जितना कि पार्टी ने चुनाव मैदान में उतरते समय उम्मीद की थी। इसका कारण यह है कि पार्टी के कट्टर समर्थक भी प्रचार करने के लिए पर्याप्त उत्साहित नहीं हैं, उनका मानना है कि उनके मतदान या प्रचार के बिना भी पार्टी को बड़ी जीत हासिल होगी। उन्होंने यह मान लिया है कि सभी मुद्दे पीछे छूट चुके हैं, और अब मतदाताओं के लिए केवल मोदी की छवि ही मायने रखती है। पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि मोदी का सर्वशक्तिमान आकर्षण ही इस चुनाव में भाजपा को जिताने के लिए काफी है। फिर भी काउंटिंग डे यानि 4 जून का इंतजार करना ही होगा।
- वीरेंद्र कपूर