नीति आयोग का पुनर्गठन
नीति आयोग से पहले योजना आयोग की शुरूआत मार्च 1950 में एक गैर संवैधानिक निकाय के रूप में की गई थी। इसका गठन पंचवर्षीय योजनाओं को तैयार करने तथा राज्यों और मंत्रालयों को धन के वितरण के कार्यों के साथ किया गया था। 1951-56 के लिए देश की पहली पंचवर्षीय योजना तैयार की गई थी। जबकि योजना आयोग द्वारा अंतिम पंचवर्षीय योजना 2012-17 के लिए बनाई गई थी। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद 2015 में भाजपा सरकार द्वारा योजना आयोग को नीति आयोग में बदल दिया गया था। नीति शब्द का अर्थ नैतिकता, व्यवहार और मार्गदर्शन आदि होता है लेकिन, वर्तमान संदर्भ में इसका अर्थ नीति है और नीति का अर्थ है "भारत को बदलने के लिए राष्ट्रीय संस्थान"। यह देश की प्रमुख नीति-निर्माण संस्था है, जिससे देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इसका उद्देश्य एक मजबूत राज्य का निर्माण करना है जो एक गतिशील और मजबूत राष्ट्र बनाने में मदद करेगा। इससे भारत को दुनिया में एक प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने में मदद मिलेगी। नीति आयोग के निर्माण में "टीम इंडिया हब" और " ज्ञान और नवाचार हब" नामक दो केंद्र हैं। टीम इंडिया, इससे केन्द्र सरकार के साथ भारतीय राज्यों की भागीदारी सुनिश्चित होती है। ज्ञान एवं नवाचार केंद्र, यह संस्थान की थिंक टैंक क्षमताओं का निर्माण करता है। नीति आयोग खुद को अत्याधुनिक संसाधन केंद्र के रूप में विकसित कर रहा है, जिसमें आवश्यक संसाधन, ज्ञान और कौशल हैं जो इसे गति के साथ कार्य करने, अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाने, सरकार को महत्वपूर्ण नीतिगत दृष्टि प्रदान करने और अप्रत्याशित मुद्दों का प्रबंधन करने में सक्षम बनाएंगे। नीति आयोग की स्थापना का कारण यह है कि लोगों को उनकी भागीदारी के माध्यम से प्रशासन में वृद्धि और विकास की उम्मीद थी। इसके लिए प्रशासन में संस्थागत परिवर्तन और सक्रिय रणनीतिक बदलावों की आवश्यकता थी जो बड़े पैमाने पर बदलाव को बढ़ावा दे सकें।
केन्द्र सरकार लोगों के कल्याण के लिए कई नीतियां और कार्यक्रम चलाती है। इन कार्यक्रमों के िलए बहुत अधिक रणनीतिक योजना की आवश्यकता होती है। इन योजनाओं का डिजाइन नीित आयोग करता है। नीति आयोग केन्द्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ केन्द्र शासित प्रदेशों को भी परामर्श देता है। एक थिंक टैंक के रूप में नीति आयोग एक क्रांतिकारी संस्था रही है, जो सहकारी और संघवाद को बढ़ावा देती है। एक मजबूत राष्ट्र मजबूत राज्यों से बनता है और उसका मुख्य एजैंडा ही राष्ट्रीय विकास है।
नीतियों को लेकर योजना आयोग पर भी सवाल उठते रहे हैं आैर नीति आयोग पर भी। वैसे नीति आयोग की अनेक उपलब्धियां रहीं जिनमें खाद्य एवं कृषि नीतियों का आकलन एवं सुधार रहा है। नीति आयोग प्राकृतिक खेती को बढ़ावा भी दे रहा है। राष्ट्रीय लक्ष्य पूरे करने के लिए राज्यों को सक्रिय भागीदारी के िलए तैयार करने में भी आयोग सफल रहा है। शिक्षा उद्योग, बुनियादी ढांचा, ग्रामीण विकास, िवज्ञान एवं प्रौद्योिगकी के क्षेत्र में भी आयोग काफी कारगर रहा है। नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरी बार सत्ता में आने के बाद नीति आयोग का पुनर्गठन िकया गया है। प्रधानमंत्री स्वयं पुनर्गठित आयोग के अध्यक्ष बने रहेंगे। वहीं आयोग के उपाध्यक्ष आैर अन्य पूर्णकालिक सदस्यों में कोई फेरबदल नहीं किया गया है। नए संशोधन में भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं को जगह दी गई है।
नीति आयोग के पुनर्गठन के बाद कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान को नए पदेन सदस्य के रूप में जोड़ा गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूर्व की भांति पदेन सदस्य बने रहेंगे। वहीं, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा और भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी, जीतन राम मांझी, राजीव रंजन सिंह, राम मोहन नायडू, जुएल ओराम, चिराग पासवान और अन्नपूर्णा देवी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद नए विशेष आमंत्रित सदस्यों के रूप में शामिल किया गया है।
पूर्व में कई बार देखा गया है कि नीति आयोग की बैठकों को लेकर काफी सियासत होती रही है। कई राज्यों के मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठकों का बहिष्कार करते रहे हैं। जिस तरह से नीति आयोग में भाजपा के सहयोगी दलों को जगह दी गई है, उससे मोदी 3.0 में सहयोगी दलों के महत्व का पता चलता है। अब जबकि नीति आयोग 2047 तक भारत को िवकसित करने के सरकार की योजना की रूपरेखा तैयार कर चुका है। इसका उद्देश्य भारत को तीसरी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाना, रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना, डिजिटल अर्थव्यवस्था आैर शासन को बढ़ावा देना, युवाओं को कौशल में सशक्त बनाना और रोजगार के अधिक अवसर पैदा करना है। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत की अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक बेहतर हैं लेकिन भारत को अभी भी कारगर नीतियों और कार्यक्रमों की जरूरत है। उम्मीद है िक नीति आयोग चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्षम होगा। नीतियां आैर योजनाएं तभी सफल होती हैं जब उन पर लगातार निगरानी रखी जाए। नीतियों को सफल बनाने के लिए राज्य सरकारों की भागीदारी बहुत जरूरी है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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