परीक्षा की पवित्रता ?
नीट परीक्षा को लेकर लाखों छात्र दुविधा में हैं। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। छात्रों और अभिभावकों की नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लगी हुई हैं। छात्रों की परेशानी यह है कि अगर दोबारा परीक्षा कराई गई तो उन्हें फिर से तैयारी करनी पड़ेगी और उनके भविष्य का क्या होगा? केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है कि नीट यूजी परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा। क्योंकि इससे परीक्षा देने वाले लाखों ईमानदार छात्र गम्भीर खतरे में आ जाएंगे। नीट यूजी परीक्षा में गड़बड़ियों के आरोपों के बाद पूरे मामले की जांच सीबीआई कर रही है। 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने के विवाद के बाद एनटीए ने इन उम्मीदवारों की परीक्षा दोबारा कराई। हालांकि इनमें से अधिकतर ने दोबारा परीक्षा नहीं दी। बहरहाल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर गड़बड़ी होने या गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी सबूत के अभाव में पूरी परीक्षा और पहले ही घोषित परिणामों को रद्द करना उचित नहीं होगा। बड़ी संख्या में ऐसे भी छात्र हैं जिन्होंने बिना गड़बड़ी किए परीक्षा दी है। उनके प्रतिस्पर्धा के अधिकार और हितों को खतरे में नहीं डाला जा सकता। एनटीए ने अदालत से कहा है कि नीट यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करना व्यापक जनहित के खिलाफ होगा। पेपर लीक की कथित घटनाओं का परीक्षा के ऑपरेशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस एग्जाम को पूरी निष्पक्षता और गोपनीयता के साथ कराया गया है।
छात्र घबराहट में हैं और यही कारण है कि नीट परीक्षा रद्द न करने की मांग वाली ढेरों याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुकी हैं। नीट यूजी में सफल हुए 50 से ज्यादा परीक्षार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है कि वह केन्द्र और एनटीए को नीट परीक्षा रद्द न करने का निर्देश दें। केन्द्र ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि नीट परीक्षा में गोपनीयता का उल्लंघन होने के कोई ठोस सबूत नहीं हैं। वहीं कंपटीटिव एग्जाम्स को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराने को लेकर प्रतिबद्धता दर्शाते हुए हलफनामे में कहा गया है कि भारत सरकार यह मानती है कि प्रश्न पत्र की गोपनीयता किसी भी परीक्षा में सर्वोच्च प्राथमिकता होती है। अगर कुछ आपराधिक तत्वों की वजह से गोपनीयता भंग होती है तो भारत सरकार का मानना है कि ऐसे लोगों से सख्ती और कानून की पूरी ताकत के साथ निपटा जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें दंडित किया जाए।
इसमें कोई संदेह नहीं कि नीट परीक्षा में धांधली हुई और खुलासों से साफ है कि दाल में बहुत कुछ काला है। यह बात सामने आ चुकी है कि पेपर लीक भी हुआ और छात्रों को अलग-अलग जगह पर प्रश्न पत्रों के उत्तर तक रटवाए गए। गिरफ्तारियां भी हो रही हैं और पूरे रैकेट के तार दूर-दूर तक जुड़े हुए हैं। इससे यह साबित हो गया है कि परीक्षा की पवित्रता भंग हुई। पूरे मामले में कई तरह की विसंगतियां, विरोधाभास और आपराधिकता के पहलुओं की जांच और एक्शन अभी बरकरार है। प्रवेश और भर्ती परीक्षाएं जिस तरह से जटिल हो रही हैं उससे छात्रों और उनके अभिभावकों में निराशा भी बढ़ रही है। युवा पूरे सिस्टम से हताश हैं।
मैडिकल, इंजीनियरिंग, फार्मेसी और यूनिवर्सिटी, कॉलेजों में प्रवेश के लिए परीक्षा आयोजित करने वाली नेशनल टैस्टिंग एजैंसी को सोशल मीडिया में नेशनल ठगी एजैंसी करार दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में दोषियों को दंडित कर सरकार को युवाओं का भरोसा जीतने की कोशिश करनी चाहिए। अगर युवाओं का भरोसा बहाल नहीं किया जाएगा तो तमिलनाडु और अन्य राज्यों की बात सही साबित होगी कि एनटीए की परीक्षा प्रणाली गरीब और ग्रामीण विरोधी है। भ्रष्टाचार और प्रतिभाओं के साथ अन्याय के चलते युवा विदेश जाकर पैसा कमाने के ज्यादा इच्छुक हैं। हमें योग्य डॉक्टर चाहिए, योग्य इंजीनियर चाहिए, ईमानदार अफसर और कर्मचारी चाहिए। अगर कोचिंग माफिया और सोलवर गैंग के सांठगांठ से अयोग्य लोग प्रोफैशन में आ जाएंगे तो पूरी सामाजिक व्यवस्था ही खतरे में पड़ जाएगी। युवाओं का भविष्य अंधेरी सुरंग में डालने से परिणाम घातक ही होंगे। यह भी देखा गया है कि सीबीआई जांच और अदालतों में मामले फंसने से मामले भटक जाते हैं। अगर नीट की पवित्रता भंग हुई तो न्यायालय से त्वरित न्याय मिलना ही चाहिए। नीट विवाद से जुड़े दोषियों को जल्दी से जल्दी दंडित किया जाए। नीट परीक्षा दोबारा कराने के मुद्दे पर शिक्षा विशेषज्ञों आैर छात्रों की राय बंटी हुई है। देखना है सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला क्या लेता है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com