अग्निपथ योजना पर गंभीर कदम उठाने की जरूरत
मोदी सरकार की ओर से युवाओं के लिए साल 2022 में लाई गई अग्निपथ योजना का खासा विरोध हुआ। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के नेताओं ने अग्निपथ योजना को चुनावी मुद्दा बनाया था। इस योजना को किसी भी हाल में स्वीकार न करने और आईएनडीआईए की सरकार बनते ही खत्म करने का वादा किया था। हालांकि, इंडी गठबंधन की सरकार तो नहीं बन सकी।
अग्निपथ योजना के तहत आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में 4 साल के लिए युवाओं की कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती की जाती है। यह भर्ती ऑफिसर रैंक के नीचे के सैनिकों की होती है। भर्ती होने पर पहले छह महीने की ट्रेनिंग दी जाती है। उसके बाद जवानों (अग्निवीरों) की तैनाती की जाती है। चार साल बाद कार्य क्षमता के आधार पर रेटिंग दी जाती है। रेटिंग देखकर मैरिट लिस्ट तैयार होती है, जिसमें से 25 फीसदी अग्निवीरों को सेना में परमानेंट कर दिया जाता है। बाकी जवान वापस आकर कोई और नौकरी या फिर कारोबार कर सकते हैं। अग्निवीरों को 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद 12वीं के समकक्ष सर्टिफिकेट दिया जाएगा। अग्निपथ योजना के तहत नियुक्त किये गए जवानों को उनके चार साल का कार्यकाल समाप्त होने पर 11 लाख रुपए से थोड़ा अधिक की एकमुश्त राशि दी जाएगी। हालांकि उन्हें कोई पेंशन लाभ प्राप्त नहीं होगा, अत: ऐसी स्थिति में अधिकांश के लिए अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने हेतु दूसरी नौकरी की तलाश करना जरूरी होगा।
इस योजना का उद्देश्य देशभक्त और प्रेरित युवाओं को जोश और जज्बे के साथ सशस्त्र बलों में शामिल होने का अवसर प्रदान करना है। इससे भारतीय सशस्त्र बलों की औसत आयु प्रोफाइल में लगभग 4 से 5 वर्ष की कमी आने की उम्मीद है। इस योजना में यह परिकल्पना की गई है कि सशस्त्र बलों में वर्तमान में औसत आयु 32 वर्ष है, जो 6-7 वर्ष घटकर 26 वर्ष हो जाएगी लेकिन जब से ये योजना आई है विपक्ष इसको लेकर सरकार पर हमलावर रुख अपनाये हुये है। हर योजना में कुछ कमियां होती ही हैं, चूंकि ये मामला देश के युवाओं से जुड़ा है, बेरोजगारी देश की गंभीर समस्या है, ऐसे में युवाओं को अपने पक्ष में करने के लिये विपक्ष कहीं न कही जानबूझकर इस मुद्दे काे लगातार हवा दे रहा है।
कुछ दिग्गजों ने तो यहां तक कहा है कि सेना की पूर्व निर्धारित भर्ती प्रणाली के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। दरअसल, सैन्य वर्ग के भीतर असहमति के अलावा, अग्निपथ योजना राजनीतिक क्षेत्र में भी खासा विवाद का विषय बना हुआ है। पिछले दिनों कारगिल विजय दिवस पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने न केवल इस योजना का जोरदार ढंग से बचाव किया, बल्कि विपक्षी दलों पर भी भर्ती प्रक्रिया पर राजनीति करने का आरोप लगाया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि अग्निपथ का उद्देश्य सेनाओं को युवा व फिट बनाना है। उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया कि यह पहल पेंशन के पैसे बचाने के लिये की गई थी।
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस योजना को लगातार निशाने पर लेते रहे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों ने इस योजना को रद्द करने की मांग की है। इतना ही नहीं, सत्तारूढ़ राजग गठबंधन में शामिल सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड ने भी इस योजना की व्यापक समीक्षा की मांग सरकार से की है। निस्संदेह, सरकार अग्निपथ योजना को लेकर उठ रही आवाजों को यूं ही नजरअंदाज नहीं कर सकती।
समय-समय पर सेवानिवृत्त रक्षा अधिकारियों ने सशस्त्र बलों में अल्पकालिक भर्ती प्रक्रिया की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस योजना के विरोधाभासी मुद्दों को चिन्हित किया है। आशंका जतायी जा रही है कि सेनाओं से जुड़े मुद्दों पर आम सहमति की कमी सशस्त्र बलों की युद्ध की तैयारियों को प्रभावित कर सकती है। कई भाजपा शासित राज्यों ने पुलिस जैसी वर्दीधारी सेवाओं में नौकरियों में अग्निवीरों के लिये आरक्षण या प्राथमिकता की घोषणा की है लेकिन ये कदम विरोधियों को चुप कराने के लिये पर्याप्त नहीं हो सकता है।
मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में 10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों को अग्निपथ योजना की समीक्षा करने और इस स्कीम को अधिक आकर्षक व कारगर तरीके सुझाने का काम सौंपा है। केंद्र सरकार जल्द से जल्द इसकी हर कमी को दूर करना चाहती है। दूसरी ओर भारतीय सेना ने भी एक इंटरनल सर्वे किया है, जिसमें अग्निपथ योजना में कुछ बदलाव करने की सिफारिश की है।
अग्निवीर सेना भर्ती के लिए आयु सीमा 17.5 से 21 साल से बढ़ाकर 23 साल करने की सिफारिश सेना ने की है। 4 साल पूरे करने के बाद नियमित सेवा में शामिल होने वाले अग्निवीर जवानों का प्रतिशत 25 से बढ़ाकर 60 से 70 करना होगा। अग्निवीरों की सेवा अवधि को 4 साल से बढ़ाकर 7-8 साल करने का सुझाव दिया है। प्रशिक्षण के दौरान भी विकलांगता के लिए अनुग्रह राशि दी जानी चाहिए। अगर किसी अग्निवीर जवान की जंग में मौत हाे जाती है तो उसके परिवार को निर्वाह भत्ता मिलना चाहिए। एक पेशेवर एजेंसी हो जो अग्निवीरों को उनकी सेवा अवधि समाप्त होने के बाद भविष्य की नौकरियां खोजने में मददगार हो। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सारी सिफारिशें सेना ने की हैं।
बीते दिनों नेता विपक्ष राहुल गांधी ने अग्निवीर योजना को लेकर संसद में सरकार को घेरा था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब में कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी राष्ट्रीय सुरक्षा और अग्निपथ योजना के संवेदनशील मुद्दे पर देश को गुमराह कर रहे हैं और उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में संसद में बयान देने के लिए तैयार हैं।
इस योजना का पक्ष लेने वाले जानकारों का कहना है कि अग्निपथ योजना का समाज पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यह योजना राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ा योगदान देगी। अग्निवीर आने वाले वर्षों में आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने और समाज को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह एक ‘रणनीतिक रूप से नियोजित योजना’ है जो न केवल हमारी रक्षा तैयारियों को बढ़ाएगी बल्कि युवाओं के बीच नई ‘सुरक्षा’ संस्कृति की शुरुआत भी करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर 26 जुलाई को इस युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि अग्निपथ योजना से देश की ताकत बढ़ेगी। सच्चाई ये है कि अग्निपथ योजना से देश की ताकत बढ़ेगी और युवा मातृभूमि की सेवा के लिए आगे आएंगे। सेना द्वारा किए गए जरूरी रिफॉर्म का एक उदाहरण अग्निपथ स्कीम भी है। पीएम ने कहा, दुर्भाग्य से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इतने संवेदनशील विषय को कुछ लोगों ने राजनीति का विषय बना दिया है। कुछ लोग सेना के इस सुधार पर भी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ में झूठ की राजनीति कर रहे हैं। केंद्र सरकार को इस योजना को लेकर मिल रही प्रतिक्रिया को गंभीरता से लेना चाहिए।