India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

पाकिस्तान को दिखाया आईना

04:48 AM Mar 18, 2024 IST
Advertisement

इस्लामोफोबिया दो शब्दों से मिलकर बना है। इस्लाम और फोबिया। जिसका अर्थ होता है इस्लाम का भय, जबकि इस्लामिक कट्टरवाद का अर्थ होता है धर्म को लेकर रुख अपनाना। खुद की विचारधारा को सर्वश्रेष्ठ मानना और दूसरों को काफिर बताना। दुनियाभर के देश इस्लामिक कट्टरवाद के खिलाफ लड़ रहे हैं। आतंकवादी ताकतें इस्लामिक कट्टरवाद से ही उपजी हैं। भारत कई दशकों से आतंकवाद से लहूलुहान होता आया है।
- अफगानिस्तान में बामियान में भगवान बुद्ध की विशाल मूर्ति को ध्वस्त होते पूरी दुनिया ने देखा है।
- अफगानिस्तान और पाकिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों को तोड़े जाना हम सभी ने देखा है।
- पाकिस्तान में हिन्दुओं और सिखों पर लगातार हमले होने, उनकी बहू-बेटियों का अपहरण और जबरन धर्मांतरण कराकर निकाह करने और उन पर अत्याचार ढाहने की घटनाएं लगातार होती रही हैं।
- मंदिरों की मूर्तियां तोड़ने और हिन्दू और सिखों की हत्याएं जैसी घटनाएं भी इस्लामी देशों में होती रही हैं।
- गैर इस्लामी धर्मी हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों समेत मूर्ति पूजा और अनेक ईश्वर में विश्वास रखने वालों के प्रति कितनी नफरत पनप चुकी है इसके उदाहरण भी सामने आते रहे हैं।
इस्लामोफोबिया को लेकर मुस्लिम देश दुनियाभर में सियासी और मजहबी तापमान बढ़ाते रहते हैं। इसी सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने इस्लामोफोबिया के खिलाफ प्रस्ताव किया। हालांकि शियाओं के लिए पाकिस्तान दुनिया की सबसे खतरनाक जगह है। इस प्रस्ताव को चीन का पूरा समर्थन प्राप्त था। यह प्रस्ताव मतदान के बाद स्वीकार कर​ लिया क्योंकि प्रस्ताव के पक्ष में 115 देशों ने मतदान किया जबकि भारत, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूक्रेन और ब्रिटेन सहित 44 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव पेश करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने भारत में लागू किए गए नागरिक संशोधन कानून और राम मंदिर निर्माण को लेकर कुछ टिप्पणियां की तो संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने पाकिस्तान को जमकर घेरा और उसे आईना दिखा दिया। रुचिरा कंबोज ने भारत की धार्मिक ​​िस्थति को स्पष्ट किया और कहा कि पाकिस्तान इस महासभा में भ्रामक तथ्यों को पेश करके सदस्यों को गुमराह कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में रुचिरा ने कहा -भारत हिंदू, सिख और बौद्ध विरोधी भावनाओं के खिलाफ मजबूती से खड़ा है, भारत सभी प्रकार के धार्मिक भय को समाप्त करने का भी पक्षधर है। भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की विचारधारा को लेकर चलने वाला देश है। भारत दुनिया के सभी धर्मों का सम्मान करता है और दुनिया को अपने परिवार की नजर से देखता है। यूएन में भारत की प्रतिनिधि ने कहा, आज हमारी दुनिया भू-राजनीतिक तनाव और असमान विकास का सामना कर रही है, जिसके परिणाम स्वरूप असहिष्णुता, भेदभाव और हिंसा में चिंताजनक वृद्धि हुई है।
रुचिरा कंबोज ने कहा, भारत बहुलवाद को बढ़ावा देने वाला देश है। भारत सभी धर्मों और आस्थाओं को समान रूप से संरक्षण देता है, विकास और प्रचार के लिए समान रूप से अवसर देता है। रुचिरा ने कहा, ऐतिहासिक रूप से भारत सभी धर्मों को एक साथ लेकर चल रहा है। धार्मिक आधार पर सताए हुए लोगों को भारत हमेशा से संरक्षण देने वाला देश रहा है। सताए हुए लोगों के लिए भारत एक शरणस्थली के रूप में जाना जाता है।
पाकिस्तान यह क्यों भूल जाता है कि पाकिस्तान की आबादी से ज्यादा मुस्लिम आज भारत में हैं और भारत में मुस्लिम नागरिक इस्लामी देशों के मुकाबले भारत में ज्यादा सुरक्षित हैं। हमारे पास दुर्गा जी की मूर्तियां बनाने वाले मुस्लिम कारीगर हैं और ताजिया बनाने वाले हिन्दू कारीगर हैं। भगवान राम और कृष्ण के वस्त्र बनाने वाले मुस्लिम कारीगर हैं तो पीरों-फकीरों की दरगाहों पर सिर झुकाने वाले हिन्दू भी हैं। भारत में 4600 से ज्यादा समुदाय हैं और इन समुदायों के बीच परस्पर संवाद ही है जिसने हमारी अंनूठी मिश्रित संस्कृति को प्रोत्साहन दिया है। सर्व धर्म संभाव के बीज तो प्राचीन भारत में ही बोए गए थे। जिसका अर्थ है कि सभी धर्म एक-दूसरे के बराबर या सामंजस्य पूर्ण हैं। भारत में पारसी भी आए जो पानी में नमक की तरह घुलकर रहे। भारत में बौद्ध और यहूदी भी हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में किसी एक धर्म को लेकर प्रस्ताव पारित किया जाना भी कोई अच्छी बात नहीं है। भारत ने इस पर भी चेतावनी देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र को धार्मिक मामलों से दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर किसी एक धर्म को लेकर फोबिया को इतना तवज्जो दिया गया तो अाने वाले समय में अलग-अलग धर्म में आस्था रखने वाले अपने प्रति फोबिया पर संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लाएंगे और तब यह वैश्विक संस्था भी धार्मिक गुटबंदी से नहीं बच पाएगी। भारतीय राजदूत ने कहा कि विशेष धर्म आधारित फोबिया का दावा स्वीकार करना विभाजन की मानसिकता को बढ़ावा देने जैसा होगा और हम सबको एक मंच पर शांति और सद्भाव के साथ जोड़ने की कोशिशों पर पानी फिर जाएगा।
इससे पहले पाकिस्तान और अमेरिका ने सीएए को लेकर टिप्पणियां की थी और पाकिस्तान ने इसे धर्म के आधार पर लोगों को बांटने वाला बताया था। अमेरिका ने कहा था कि वह इस बात पर नजर रखे हुए है कि यह कानून किस तरह से लागू किया जाएगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर भी दोनों को दो टूक जवाब दे दिया है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। भारत के तर्कों का पाकिस्तान और अमेरिका के पास कोई जवाब नहीं है।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Next Article