India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

बेरोजगारी कम करने के लिए स्किल डवैलपमेंट

03:39 AM Jul 26, 2024 IST
Advertisement

देश में कुशल श्रमिकों की भारी कमी है और इसके चलते ही बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। यद्यपि भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है लेकिन उद्योग जगत को अभी भी कुशल श्रमिकों की तलाश है। वैसे तो विदेशों में भी कुशल श्रमिकों और प्रबंधन में प्रोफेशनल्स की काफी मांग है। कई देश आज भी पेशेवरों की मांग कर रहे हैं।
प्रतिभा की कमी अथवा अकुशलता उद्योग जगत में एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। ऐसा लगता है कि कुशल श्रमिकों की कमी ने भारत की इंजीनियरिंग और पूंजीगत समान कंपनियों को सर्वाधिक प्रभावित किया है। उद्योग के अधिकारियों ने इस कमी के लिए भारत की बढ़ती ऑर्डरबुक की बढ़ती मांग को जिम्मेदार बताया है, जबकि अन्य कारक भी आपूर्ति को प्रभावित कर रहे हैं। कुशल का​रीगरों की कमी के कई कारण हैं। उनमें से एक कारण यह भी है कि ‘सभी श्रमिक कुशल नहीं हैं और जिन्हें हम कुशल बनाते हैं वे बेहतर वेतन के लिए पश्चिम एशियाई देशों का रुख कर लेते हैं। इंजीनियरिंग कंपनियों के लिए वातानुकूलित वातावरण को प्राथमिकता देना श्रम आपूर्ति को प्रभावित करने वाला एक और बड़ा कारण है।’
उद्योग के कई लोगों का कहना है कि कमी के एक बड़े हिस्से के लिए कौशल अंतर को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। मुख्य क्षेत्रों से लेकर सेवाओं तक समस्या व्यापक है और यह इंजीनियरों से लेकर दिहाड़ी मजदूरों तक नियुक्तियों के विभिन्न स्तरों तक मौजूद है। विनिर्माण क्षेत्र में 10 से 20 फीसदी कार्यबल की कमी है जिससे मशीन ऑपरेटर, वेल्डर, फिटर, ड्राइवर, तकनीशियन, बढ़ई, प्लंबर जैसी अन्य भूमिकाएं प्रभावित हो रही हैं। वास्तव में हमारे शिक्षित और कम पढ़े-लिखे युवाओं में कौशल की कमी है। बढ़ती आर्थिक गतिविधि और बुनियादी ढांचे के विकास से प्रेरित प्रतिभा की बढ़ती मांग के बावजूद, यह क्षेत्र महत्वपूर्ण चुनौतियों से जूझ रहा है। इनमें उम्रदराज़ कार्यबल और नए परिवेशकों की घटती आमद शामिल है। उन्होंने कहा, "निर्माण भूमिकाओं में विशेष कौशल की आवश्यकता योग्य श्रमिकों के पूल को और भी सीमित कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिभा की मांग और उपलब्ध कार्यबल के बीच काफी असमानता होती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 जुलाई, 2015 को स्किल इं​िडया ​मिशन की शुरूआत विश्व युवा कौशल दिवस पर की थी। इस मिशन का उद्देश्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीयों के बीच औद्योिगक और उद्यम शीलता कौशल विकसित करना, उद्योग की मांगों आैर कौशल जरूरतों के बीच खाई को पाटना है। इस समय भारत युवाओं का देश माना जाता है। इसलिए युवा पीढ़ी रोजगार के अवसर तलाश कर रही है। यदि भारत नई तकनीकों या निर्माण उद्योग में निवेश करने जैसी जरूरतों पर ध्यान नहीं देता तो उसे काफी नुक्सान हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि भारत के युवाओं में कौशल विकसित किया जाए। कौशल विकास के लिए अनेक योजनाएं चलाई गईं लेकिन अभी भी हमारे युवा व्हाइटकॉलर जॉब को प्राथमिकता देते हैं और वह कोई हुनर सीखने के लिए तैयार नहीं हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में देश में युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के ​िलए कार्यक्रमों का खाका खींचा है जिसमें 20 लाख युवाओं को रोजगार के ​लिए ट्रेनिंग देना, युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख का ऋण देना, देश की 500 टॉप कम्पनियों में एक करोड़ युवाओं को इंट्रनशिप करवाना और उन्हें 5 हजार रुपए तक का भत्ता देना, पहली बार नौकरी पाने वाले युवा को ईपीएफओ में रजिस्ट्रड होने पर 15 हजार रुपए तक की राशि देना और अपना काम-धंधा चलाने के ​लिए बेरोजगारों को मुद्रा लोन की सीमा 10 से बढ़ाकर 20 लाख करना शामिल है।
इसमें कोई संदेह नहीं ​िक मोदी सरकार और वित्त मंत्री रोजगार के मोर्चे पर नेक इरादों से काम कर रहे हैं और उनका लक्ष्य देश में कुशल श्रमिकों की कमी को दूर करना और बेरोजगारी को कम करना है। युवाओं को रोजगार मिलेगा तभी देश के नागरिकों के जीवन में सुधार आएगा आैर उनके परिवार सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनेंगे। ​​िस्कल इंडिया पोर्टल के जरिये अब तक नौकरी पाने वालों की संख्या 1.86 लाख हो चुकी है। बेहतर यही होगा कि बेरोजगार युवा स्किल डवैलपमेंट की ओर ध्यान दें। अक्सर बजट की घोषणाएं जमीनी धरातल पर उतरने से पहले ही हवा हो जीती हैं। इन योजनाओं का जमीनी स्तर पर लागू होना और इन कार्यक्रमों पर लगातार निगरानी रखना बहुत जरूरी है। योजनाओं और कार्यक्रमों के लागू होने पर इन पर लगातार निगरानी रखने के ​िलए भी एक मजबूत तंत्र की जरूरत है।

Advertisement
Next Article