India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

‘कृषि मित्र’ भी हैं नाग

06:29 AM Aug 09, 2024 IST
Advertisement

श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को प्रतिवर्ष देशभर में नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है जो इस वर्ष 9 अगस्त को मनाया जा रहा है। हालांकि कुछ राज्यों में चैत्र तथा भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन भी ‘नाग पंचमी’ मनाई जाती है। ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं, इसीलिए मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के आभूषण नाग देवता की पूजा पूरे विधि-विधान से करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि के अलावा आध्यात्मिक शक्ति, अपार धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सर्पदंश के भय से भी मुक्ति मिलती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नाग पंचमी इस बार हस्त नक्षत्र के शुभ संयोग में मनाई जाएगी। नाग पंचमी के दिन कुछ स्थानों पर ‘कुश’ नामक घास से नाग की आकृति बनाकर दूध, घी, दही इत्यादि से इनकी पूजा की जाती है जबकि कुछ अन्य स्थानों पर नागों के चित्र या मूर्ति को लकड़ी के एक पाट पर स्थापित कर मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम, चावल, फूल चढ़ाकर पूजन किया जाता है और पूजन के पश्चात कच्चा दूध,घी,चीनी मिलाकर नाग मूर्ति को अर्पित की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से नागराज वासुकि प्रसन्न होते हैं और पूजा करने वाले परिवार पर नाग देवता की कृपा होती है।

कुछ धर्म ग्रंथों में नागों को पूर्वजों की आत्मा के रूप में भी माना गया है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार नागों को पौराणिक काल से ही देवता के रूप में पूजा जाता रहा है और नाग पंचमी के दिन नाग पूजन करने का तो काफी ज्यादा महत्व माना गया है। भारत में कई स्थानों पर नाग देवता के कई प्राचीन मंदिर हैं और नगालैंड, नागपुर, अनंतनाग, शेषनाग,नागवनी,नागारखंड, भागसूनाग इत्यादि देश में कई स्थानों का तो नाम ही नागों के नाम पर ही रखा गया है। नगालैंड को तो नागवंशियों का मुख्य स्थान माना गया है और कुछ ग्रंथों में कश्मीर को भी नागभूमि कहा गया है। भारत में दक्षिण भारत के पर्वतीय इलाकों के अलावा उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश,अरुणाचल प्रदेश,असम इत्यादि में नाग पूजा प्रमुखता से होती है। जिस प्रकार हमारे कुल देवताओं में देवी-देवता शामिल होते हैं, ठीक उसी प्रकार विभिन्न क्षेत्रों मंे नागों को भी ‘स्थान देवता’ माना जाता है। कई जगहों पर तो नागों को कुल देवता, ग्राम देवता और क्षेत्रपाल भी कहा जाता है। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार कुल 33 कोटि देवी-देवता हैं जिनमें नाग भी शामिल हैं।

नागों की उत्पत्ति और उनके पाताललोक वासी होने को लेकर महाभारतकालीन एक कथा प्रचलित है। वराहपुराण के अनुसार महर्षि कश्यप की तेरह पत्नियां थी जिनमें से एक थी राजा दक्ष की पुत्री कद्रू, जिसने महर्षि कश्यप की बहुत सेवा की जिससे प्रसन्न होकर महर्षि ने कद्रू को वरदान मांगने के लिए कहा। कद्रू ने उनसे एक हजार तेजस्वी नाग पुत्रों का वरदान मांगा। महर्षि कश्यप के वरदान स्वरूप कद्रू से ही नाग वंश की उत्पत्ति हुई लेकिन जब इन नागों ने धरती पर लोगों को डसना शुरू किया तो नागों से रक्षा के लिए सभी ने ब्रह्माजी से प्रार्थना की, तब ब्रह्माजी ने सभी नागों को श्राप देते हुए कहा कि जिस तरीके से तुम लोगों पर अत्याचार कर रहे हो अगले जन्म में तुम सभी का नाश हो जाएगा। यह श्राप सुनकर नाग भयभीत हो गए और उन्होंने कातर स्वर में ब्रह्माजी से प्रार्थना की कि जिस प्रकार मनुष्यों के रहने के लिए उन्हें पृथ्वी दी गई है, उसी प्रकार उन्हें भी इस ब्रह्माण्ड में कोई अलग स्थान दिया जाए जिससे इस समस्या का भी समाधान हो जाएगा। तब ब्रह्माजी ने उन्हें रहने के लिए पाताल देते हुए कहा कि अब से तुम सभी भूमि के अंदर पाताल लोक में ही रहोंगे। उसके बाद सभी नाग पाताल लोक में निवास करने लगे। माना जाता है कि ब्रह्म्राजी ने मनुष्यों की नागों से रक्षा के लिए जिस दिन उनके पाताल में रहने की व्यवस्था की उस दिन सावन महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी और तभी से इसी तिथि पर नागों की पूजा के लिए ‘नाग पंचमी’ त्यौहार मनाया जाने लगा।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नाग भगवान शिव के गले का हार तो हैं ही, भगवान विष्णु भी समुद्र में शेषनाग की शैया पर विश्राम करते हैं और यह भी मान्यता है कि हमारी धरती इन्हीं शेषनाग के फन पर टिकी है। त्रेता युग में शेषनाग ने भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण के रूप में धरती पर जन्म लिया था और द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम भी शेषनाग के अवतार माने गए हैं। वैसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नागों को कृषक मित्र जीव माना गया है। दरअसल ये खेतों में फसलों के लिए खतरनाक जीवों, चूहों इत्यादि का भक्षण कर फसलों के लिए मित्र साबित होते हैं लेकिन वर्तमान समय में नागों या सांपों की खाल, जहर इत्यादि चीजों से बड़े व्यापारिक लाभ के लिए बड़ी संख्या में इन्हें मारा और बेचा जाता है। इसी कारण वन्य और जीव-जंतु विभाग तथा सरकारों द्वारा नागों को संरक्षित करने के लिए सांपों को पकड़ने और उन्हें दूध पिलाने पर रोक लगाई जाती है।

Advertisement
Next Article