India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

स्टैंडअप कॉमेडियनों का विवादों से रिश्ता !

03:42 AM Aug 16, 2024 IST
Advertisement

हाल ही के वर्षों में देश में एक के बाद एक xcउभर कर सामने आए। इससे कॉमेडी का एक बड़ा बाजार स्थापित हो गया है। भागदौड़ भरी जिन्दगी से उब कर लोग इनके शो में जाकर हंसने लगे। आज के दौर में दर्शकों को रुलाना बहुत आसान है लेकिन हंसाना बहुत मुश्किल है। लगभग सभी स्टैंडअप कॉमेडियन अब विवादों में घिरते जा रहे हैं। कोई अपने संवादों से धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहा है तो कभी किसी जाति विशेष पर व्यंग कसा जा रहा है। ऐसी स्थिति में लोग स्टैंडअप कॉमेडियनों के खिलाफ ​पुलिस में जा रहे हैं, उन पर मुकदमें किये जा रहे हैं और कुछ कॉमेडियन तो कुछ माह जेल में भी रहकर आ चुके हैं।
"एक कला के रूप में स्टैंड-अप कॉमेडी को सत्ता के सामने सच बोलने के लिए अभिव्यक्ति के सबसे शक्तिशाली रूपों में से एक के रूप में जाना जाता है। भारत में स्टैंडअप के रूप में राजनीतिक व्यंग्य अत्यधिक लोकप्रिय हैं।"
हालांकि उन्हें पहचानने में एक गंभीर कमी है। सभी नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए। यह सभी नागरिकों को विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुरक्षित करता है। हालांकि हास्य कलाकारों को अक्सर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है और वे मानहानि की धाराओं, राजद्रोह आदि के शिकार हो जाते हैं। यह किसी दूसरे के बारे में गलत बयान का मौखिक या लिखित संचार है जो उनकी प्रतिष्ठा को नुक्सान पहुंचाता है और आमतौर पर एक अपकृत्य या अपराध का गठन करता है।
विवादित स्टैंडअप कॉमेडियनों में मुनव्वर फारूकी, वीरदास, कुणाल कामरा, अभिषेक उपमन्यु, जाकिर खान और अन्य शामिल हैं। हाल ही में मुनव्वर फारूकी ने कोंकणी समुदाय पर टिप्पणी की थी, जिस पर काफी विवाद हो गया था। एक राजनीतिक दल ने तो उन्हें पाकिस्तान भेजने की धमकी तक दे दी थी। मुनव्वर फारूकी ने अपनी टिप्पणी के लिए काफी मांगी तब जानकर मामला शांत हुआ।
स्टैंडअप कॉमेे​िडयन अनुभव बस्सी के खिलाफ एक याचिका दायर करके विवाद खड़ा कर दिया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके हालिया शो "बस कर बस्सी" में न्यायपालिका को नकारात्मक रूप से चित्रित किया गया है। हालाकि विवाद ज़्यादा तूल नहीं पकड़ सका क्योंकि माननीय न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि " इससे बेहतर काम और भी हैं ।" स्टैंडअप कॉमेडियन के खिलाफ यह पूरा मामला कानूनी दिमाग से परे है। देश अभिव्यक्ति के अधिकार की गारंटी देता है लेकिन क्या यह स्टैंडअप कॉमेडियन के लिए भी उतना ही उदार है या फिर कुछ हठधर्मी शासन व्यवस्थाएं उनके खिलाफ काम करती हैं?
कुणाल कामरा ने पिछले कुछ सालों में अपने कई शो बंद होते देखे हैं। उन्हें जान से मारने की धमकियां मिली हैं और एक बार उनकी मुंबई की मकान मालकिन ने उन्हें उनकी राजनीतिक कॉमेडी के कारण घर से निकाल दिया था।
एक और मामला जो समान रूप से विवाद का विषय है, वह है वीर दास का , उन्हें एक अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए माफ़ी मांगनी पड़ी। उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि शक्तिशाली लोगों के एक समूह को उनके शब्दों से ठेस पहुंची थी। स्टैंडअप कॉमेडियनों को कभी जेल भेजा जाता है तो कभी उन्हें धमकियां दी जाती हैं।
हाल के वर्षों में क्रूरतापूर्वक उत्पीड़न और ट्रोलिंग के बाद भारत के स्टैंडअप कॉमेडियन अब सत्ता की गाड़ी को उलटने से पहले दो बार सोचते हैं। यदि कॉमेडी मानवीय संबंधों का एक आसान मॉडल है तो भारत में कुछ कॉमेडियन आज ऐसे कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे हैं जो हमें बुरे समय से बचने का तरीका सिखाते हैं। हंसी अभी भी दवा हो सकती है। अब सवाल यह है कि जिस तरह से स्टैंडअप कॉमेडियनों का विरोध हो रहा है उससे क्या ऐसा नहीं लगता कि भारत असहिष्णु होता जा रहा है। ऐसे विरोध में स्टैंडअप कॉमेडियनों के लिए विषय को सीमित कर दिया है कि आखिर वे बोलें तो क्या बोलें। दूसरा पहलु यह भी है कि एक के बाद एक स्टैंडअप कॉमेडियन लगातार उल्टे-सीधे वक्तव्य और टिप्पणियां करते हैं तब विवादों को हवा ​िमल जाती है। विवाद पैदा होने के बाद स्टैंडअप कॉमेडियन चर्चित हो जाते हैं। चर्चित होने के बाद ही उनकी दुकानदारी चलनी शुरू हो जाती है तभी वह हिट होते हैं।
क्या समय के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कम होती जा रही है? समाज के बारे में हास्य कलाकारों द्वारा बोले गए हर शब्द को बदनामी नहीं माना जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अन्यथा, हम मूल साहसिक व्यंग्य के बजाय केवल भाषणबाजी में उतर जाएंगे। स्टैंडअप कॉमेडियनों को भी चाहिये कि महज लोकप्रियता हासिल करने के ​िलए विवादित बोल न बोलें और धार्मिक विवादों में नहीं उलझें। व्यवस्था पर चोट करके तीखे बाण छोड़े, ​ स्क्रिप्ट आैर शैली पर ध्यान दें।

Advertisement
Next Article