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ठाकुरवाद, योगी और भाजपा

07:26 AM May 19, 2024 IST
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’बड़े सुर्ख हैं तेरे इरादे दीवारों पर इबारत से पढ़े जाएंगे
निकल पड़ा जिस दिन तूफानों सा तुमसे हम संभालें न जाएंगे’

क्या यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नव स्नाध्य ठाकुरवाद भाजपा शीर्ष को रास नहीं आ रहा है? वैसे तो यह बात जगजाहिर है कि देशभर में मोदी के बाद योगी ही ऐसे भगवा नेता हैं जिनकी चुनावी रैलियों और सभाओं में सबसे ज्यादा डिमांड होती है। मौजूदा चुनाव में भी भाजपा कैडर ने देश भर में योगी की 200 से ज्यादा देश भर में रैलियों की मांग की थी पर योगी ने हामी भरी बस 100 रैलियां यूपी के बाहर कीं, यह कहते हुए कि ’यूपी की 80 सीटों पर भी उन्हें अपना ध्यान फोकस करना है।’ पर विडंबना देखिए कि चुनाव का पांचवां चरण आ पहुंचा है पर योगी अब तक यूपी में मात्र 26 रैलियां ही कर पाए हैं। क्या भगवा सियासी ताने-बाने की आड़ में भीतरखाने से योगी की रैलियों को कम किया गया है? वैसे भी यूपी में ठाकुर समाज को साधने का जिम्मा भाजपा के एक बड़े नेता ने उठा रखा है।

सूत्र बताते हैं कि यूपी के बाहुबली ठाकुर नेता धनंजय सिंह को साधने में इस बार उनकी महती भूमिका रही। जौनपुर के भाजपा प्रत्याशी कृपा शंकर सिंह को समर्थन देने के लिए धनंजय सिंह को स्वयं इसी बड़े नेता ने मनाया। धनंजय की पत्नी श्रीकला जो एक वक्त जौनपुर से बसपा की अधिकृत उम्मीदवार थीं कहते हैं उनसे भी इसी बड़े नेता ने मुलाकात की इसके बाद ही बसपा ने जौनपुर से अपना उम्मीदवार बदल दिया। पहलवानों से कथित यौन शोषण के मामलों से चर्चित हुए बाहुबली ठाकुर नेता बृजभूषण शरण सिंह को भी इसी बड़े नेता के दरबार का एक महत्वपूर्ण नवरत्न माना जाता है। कहते हैं इसी दिग्गज नेता के प्रयासों की बदौलत ही बृजभूषण शरण के बेटे करण को उनकी जगह भाजपा का टिकट मिला क्योंकि भाजपा शीर्ष किसी भी भांति बृजभूषण शरण की नाराज़गी मोल नहीं चाहता था, कैसरगंज के अलावा गोंडा, बस्ती, फैजाबाद में भी बृजभूषण का अच्छा-खासा असर है और बृजभूषण और योगी में छत्तीस का आंकड़ा किसी से छुपा भी नहीं है। वैसे भी इस बड़े नेता के दुलारे बृजभूषण तो योगी को कोई ठाकुर नेता मानते ही नहीं हैं।

क्या है स्वाति का असली सच?

इस चुनावी मौसम में अमेरिका से दिल्ली आई आप की राज्यसभा सांसद और ’दिल्ली महिला आयोग’ की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली में बुझती भगवा आस को एक नई संजीवनी दे दी है। आप नेता भी अब दबी जुबान से स्वीकार करने लगे हैं कि ’पार्टी के अंदर ही कुछ ’स्लीपर सेल’ काम करने लगे हैं।’ स्वाति मालीवाल लंबे समय तक आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की आंखों का तारा रही हैं। पर पिछले कुछ समय से जब से अरविंद केजरीवाल और आप विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे थे तो स्वाति मालीवाल अपनी बहन के इलाज के सिलसिले में लगातार अमेरिका में बनी हुई थीं। यह बात केजरीवाल और उनके खास समर्थकों को रास नहीं आ रही थी। सूत्र यह भी खुलासा करते हैं कि जब स्वाति अमेरिका में थीं तो उन्हें केजरीवाल की ओर से यह संदेशा भिजवाया गया था कि वे दिल्ली आकर अपनी राज्यसभा सीट से इस्तीफा दें।

केजरीवाल यह सीट अपने वकील मित्र अभिषेक मनु सिंघवी को देना चाहते हैं। मालीवाल को इसी वर्ष जनवरी में यह राज्यसभा सीट दी गई थी पर मालीवाल की ओर से इस बारे में आप हाईकमान को कोई माकूल जवाब नहीं मिला। कहते हैं उनकी ओर से कहा गया कि वह इस बारे में दिल्ली आकर केजरीवाल से बात करें। आप से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि जब मालीवाल ने अमेरिका से दिल्ली की फ्लाइट पकड़ी उसी बीच केजरीवाल की जमानत अर्जी सर्वोच्च अदालत से मंजूर हो गई। सूत्र यह भी बताते हैं कि स्वाति ने कई दफे केजरीवाल से मिलने का समय मांगा पर न तो केजरीवाल लाइन पर आए न ही विभव, तो स्वाति ने बिना कोई अपाइंटमेंट सीएम हाउस जाकर केजरीवाल से मिलना तय किया। वो वहां पहुंच भी गई और ड्राईंग रूम में बैठ कर इंतजार करने लगीं। मालीवाल के आने की खबर पाकर विभव ड्राईंग रूम में आए और उन्होंने स्वाति से दो टूक कह दिया कि ’आज उनकी मुलाकात अरविंद जी से नहीं हो पाएगी।’ यह सुनने भर की देर थी कि स्वाति आगबबूला हो गई और उन्होंने विभव को खरी-खोटी सुना दी इस पर विभव ने भी सुना दिया कि ’जब पार्टी को आपकी जरूरत थी तब आप अमेरिका में बैठी थीं कुछ दिनों के लिए ही आ जातीं।’ सूत्रों की माने तो यह कह कर विभव फिर अंदर चले गए।

बारामूला में उमर की सीट फंसी

नेशनल कांफ्रेंस के एक प्रमुख नेता उमर अब्दुल्ला इस दफे इंडिया गठबंधन की ओर से कश्मीर के बारामूला से लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं पर फिलवक्त उमर अपनी सीट पर चहुंओर से घिर गए लगते हैं। उमर के पिता फारूख अब्दुल्ला श्रीनगर से सांसद हैं, यह सीट नेशनल कांफ्रेंस की परंपरागत सीट में शुमार होती है। अपनी उम्र और स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देते हुए फारूख ने इस दफे श्रीनगर से चुनाव लड़ने से मना कर दिया है पर उमर को बारामूला की सीट ज्यादा सेफ दिखी जहां उनका मुकाबला पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन से है। ये भी कयास लग रहे हैं कि सज्जाद लोन को अंदरखाने से भाजपा का सहयोग प्राप्त है। लेकिन बारामूला के चुनाव को इस बार दिलचस्प बना दिया है तिहाड़ जेल में बंद शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद ने।
रशीद 2 बार के विधायक हैं और ’टेरर फंडिंग’ के मामले में जेल में बंद हैं। रशीद बारामूला से आवामी इंतेहा पार्टी यानी ‘एआईपी’ के सहयोग से निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं। उनके चुनाव प्रचार की कमान उनके 23 वर्शीय पुत्र अबरार रशीद ने संभाल रखी है। अबरार के रोड शो और रैलियों में युवाओं की जबर्दस्त भीड़ उमड़ रही है। कहना न होगा कि इंजीनियर रशीद ने बारामूला का चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है यहीं चिंता उमर अब्दुल्ला को खाई जा रही है।

इतने नायाब हैं नायब

हरियाणा के नव नवेले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लिए राज्य के निर्दलीय विधायकों को सहेज कर रखना किंचित मुश्किल हो रहा है। इससे पहले भी 3 निर्दलीय विधायकों ने भाजपा सरकार से अपने हाथ वापिस खींच लिए थे। सूत्र बताते हैं कि इन तीनों निर्दलीय विधायकों की कुछ अपनी निजी डिमांड थीं जिसकी पूर्ति वे मुख्यमंत्री से एक सप्ताह के अंदर चाहते थे। इस बाबत वे मुख्यमंत्री से जाकर मिले भी और उनके समक्ष अपनी बात भी रखी। पर कहते हैं सैनी ने उनकी मांगों को सुनने के बाद कहा कि ’इस बारे में निर्णय मैं अकेले नहीं ले पाऊंगा मुझे दिल्ली भी बात करनी होगी।’ खैर, निर्दलीय विधायकों ने उन्हें अपनी समस्याओं के समाधान के लिए एक सप्ताह का वक्त मुकर्रर कर दिया। इधर दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से बात करने के लिए सैनी ने जब-जब फोन लगाया उन्हें एक ही रटा-रटाया जवाब मिला कि ’सब चुनाव में व्यस्त हैं इस वक्त हम आपकी बात नहीं करवा पाएंगे।’ जब एक सप्ताह बाद तीनों निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री से मिलने आए और उन्हें अपनी डिमांड याद दिलवाई तो सैनी ने उनसे कुछ और दिनों की मोहलत मांगी पर ये तीनों ही विधायक यह कहते हुए मुख्यमंत्री के साथ अपनी मीटिंग से उठ गए कि ’भाजपा में निर्णय लेने की प्रक्रिया का पूरी तरह केंद्रीकरण हो गया है हमें कोई और ही रास्ता तलाशना होगा।’

राजस्थान में लाल सलाम

यह पहली दफा है जब राजस्थान की गुलाबी आबोहवा की सिर चढ़ कर बोल रहा है सुर्ख लाल रंग। राजस्थान के सीकर लोकसभा सीट पर मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार अमरा राम ने भाजपा के 2 बार के सांसद सुमेधानंद सरस्वती की नींद उड़ा दी है। सीकर में कांग्रेस का माकपा से गठबंधन हुआ है और यह सीट लाल पार्टी के हवाले चली गई जिस सीट से विधायक अमरा राम को चुनावी मैदान में उतारा है। वैसे भी राजस्थान के सीकर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में लेफ्ट का प्रभाव देखा जा सकता है। सीकर में अपने प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के लिए जब सीताराम येचुरी आए तो उन्होंने बेहद भावुक होकर अमरा राम से कहा कि ’बंगाल में हम बचे नहीं, केरल में कड़ी मशक्कत है, पर अगर तुमने सीकर जीत ली तो हम उत्तर भारत में फिर से जिंदा हो सकते हैं।’

और अंत में अमेठी और रायबरेली में इस दफे कांग्रेस के हौंसले बम-बम हैं। रायबरेली से स्वयं राहुल गांधी मैदान में हैं, वहीं अमेठी से गांधी परिवार ने अपने खास वफादार किशोरी लाल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। रायबरेली में सोनिया गांधी भी अभी ताजा-ताजा भावुक अपील कर आई हैं। सो, कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का दावा है कि राहुल गांधी यहां से बड़े मार्जिन से जीत रहे हैं। वहीं अमेठी में भी किशोरी लाल शर्मा ने भाजपा की प्रमुख नेत्री स्मृति ईरानी की नींद उड़ा दी है। यहां कांग्रेस के इतने आत्मविश्वास का कारण यह भी है कि अमेठी में 3 लाख मुस्लिम और डेढ़ लाख यादव वोटर हैं। वहीं गांधी परिवार से सहानुभूति रखने वाले वोटरों की भी एक बड़ी तादाद है। सो, अमेठी को इतने हल्के में लेने वाली भाजपा और संघ ने यहां अब अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

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