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युद्ध का बदलता स्वरूप

04:00 AM Sep 19, 2024 IST | Aditya Chopra
युद्ध का बदलता स्वरूप

युद्ध के लिए अति उत्तम हथियारों काे बनाने के लिए हमेशा ही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता रहा है। मानव हजारों साल पहले टेक्नोलॉजी शब्द से परिचित नहीं था लेकिन जिस ​दिन उसने पहली बार किसी जानवर का​ शिकार किया था तो उसने शायद पत्थर का उपयोग किया होगा। बाद में उसने पत्थरों को नोकीला बना, धनुष बना आैर तलवारें बनाकर हथियार बना लिए। धीरे-धीरे टेक्नोलॉजी विकसित होती गई। फिर बनी तोपें, बंदूकें, टैंक, लड़ाकू विमान, रॉकेट मिसाइल और यहां तक कि अति विध्वंसक परमाणु बम भी बना लिए। बाबर ने भी अपने समय में तोप का इस्तेमाल कर राणा सांगा की सेना पर विजय प्राप्त की थी। 1991 में लड़ा गया खाड़ी युद्ध बहुत विध्वंस माना गया। इस युद्ध में अमेरिका के नेतृत्व वाली सेना ने अति आधुनिक मारक हथियारों का इस्तेमाल कर इराक को पराजित कर दिया था। वर्तमान दौर में इजराइल के पास विमान, टैंक, पनडुब्बी और परमाणु बम तो हैं ही साथ ही उन्नत मिसाइलें, लड़ाकू विमान और युद्ध पोत भी हैं। यह सब होने के साथ इजराइल की आयरन डोम ​िमसाइल रक्षा प्रणाली दुनियाभर में ​चर्चित है। उसकी शक्ति के मुकाबले उसके दुश्मन देश कहीं नहीं टिकते।
इजराइल की खुफिया एजैंसी मोसाद दुनियाभर में इस​िलए कुख्यात है कि वह अपने दुश्मनों को चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में छुपे हों उनको ढूंढ कर मारने में सिद्धहस्त है। तकनीकी विकास में इजराइल का मुकाबला बड़ी शक्तियां भी नहीं कर पा रहीं। 21वीं सदी में युद्ध जमीन, हवा, समुद्र और साइबर क्षेत्रों तक फैल गए हैं। युद्धों का स्वरूप बदल चुका है। अब तो एआई से लैस ड्रोन आैर रोबोटिक्स जैसे आटोमैटिक विध्वंसकारी हथियार जन्म ले चुके हैं। आज तो एआई सक्षम उपकरणों से बिना मनुष्य की मदद लिए कहीं भी हमला किया जा सकता है। मंगलवार की शाम टीवी चैनलों पर लेबनान में आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह को पेजर धमाकों से निशाना बनते देख पूरी दु​​िनया हैरान रह गई। पेजर धमाकों में दर्जनों लोगों की मौत है गई जबकि 3 हजार से अधिक लोग घायल बताए जाते हैं। पेजर का इस्तेमाल मोबाइल फोन आने से पहले किया जाता था। अब इनका इस्तेमाल न के बराबर हो चुका है। हालांकि सुरक्षित मैसेज सेवा के लिए आज भी आतंकवादी संगठन इनका इस्तेमाल करते हैं। रेडियो बम, प्रेशर कुकर बम, ट्वाय बम या अन्य डिवाइसों से धमाके तो पहले भी होते रहे हैं लेकिन चौंकाने वाली बात यह है ​िक हिजबुल्लाह के लड़ाकों को ​िनशाना बनाने के लिए इस सुरक्षित तकनीक को ही घातक बना दिया गया। यह काम इजराइल के अलावा कोई दूसरा कर ही नहीं सकता। यह एक कल्पना से परे हमला है कि एक साथ हजारों पेजर फट जाएं। ऐसे हमले सीरिया के क्षेत्र में भी हुए। पेजर में धमाके कैसे सम्भव हुए यह सब नवीनतम टैक्नीक से ही सम्भव है। हिजबुल्लाह के लिए यह वर्षों से सबसे खतरनाक हमला है।
इजराइल-हमास संघर्ष शुरू होने से एक साल के भीतर यह हमला युद्ध से भी ज्यादा गम्भीर है। इजराइल-हमास युद्ध में हिजबुल्लाह भी कूदा हुआ है। क्योंकि इजराइल के पास हमले की वो क्षमताएं और खुफिया तंत्र है जो इंसान के सोचने के दायरे को भी पार कर देता है। हिजबुल्लाह पिछले कुछ दिनों से इजराइल पर लगातार राॅकेट हमले कर रहा था। यह इजराइल की ही ताकत है कि वह इन रॉकेट हमलों को आसानी से विफल करता आ रहा है। हिजबुल्लाह पर जबर्दस्त हमला एक तरह से ईरान को भी चुनौती है। मिडिल ईस्ट में लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। आशंका इस बात की है कि इजराइल-हमास युद्ध का कहीं और विस्तार न हो जाए। अगर युद्ध का विस्तार फैलता है तो यह पूरी दुनिया के लिए खतरनाक होगा। यह जग जाहिर है कि हिजबुल्लाह को ईरान का समर्थन प्राप्त है। अमेरिका ने ईरान को चेतावनी दे दी है कि वह खुद को काबू में रखे।
तकनीक और स्वचालन में तेज उन्नति संघर्ष और युद्ध के भविष्य को गढ़ना जारी रखेगी, जो देश इन तकनीकों को आगे बढ़ा रहे हैं उनका एकमात्र लक्ष्य इन्हें हथियार की तरह इस्तेमाल करना और जल्द से जल्द तैनात करना है। युद्ध क्षेत्र में एक-दूसरे के आमने-सामने रोबोट और दूसरी स्वायत्त प्रणालियों के होने की संभावना और मानव क्षति का कोई डर नहीं होने से सैन्य योजनाकार लड़ाई में पूरे दमखम से कूद सकते हैं और उसे बढ़ा सकते हैं। युद्ध के लिए इस तकनीकी विकास का यह सबसे गंभीर नतीजों वाला प्रभाव है। यह युद्ध लड़ने के राजनीतिक नतीजों तथा शत्रुता ख़त्म करने के लिए एक शांतिपूर्ण समाधान ढूंढ़ने की नैतिक आवश्यकता को समाप्त कर देगा। अराजकता की ओर बढ़ने की यह स्पष्ट संभावना घातक स्वायत्त हथियार प्रणालियों और रोबोटिक्स जैसी तकनीकों का नियमन अनिवार्य बनाती है।
भविष्य में होने वाले युद्ध तकनीक पर आधारित होंगे। इस लिए भारत के सशस्त्र बलों को भी ऐसे युद्धों के लिए तैयार रहना होगा। भ​विष्य के युद्धों में केवल वीरता ही पर्याप्त नहीं, हमें कल्पना से परे जाकर खुले दिमाग से काम लेना होगा। भारत महाशक्ति तब बनेगा जब वह नई तकनीक, ऊर्जा और नए जोश और नई सोच के साथ काम करेगा।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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