सिख धर्म का अयोध्या से क्या नाता है
सिख धर्म का अयोध्या से पुराना नाता है क्योंकि प्रथम सिख गुरु नानक देव जी अपनी पहली उदासी के दौरान अयोध्या पहुंचे थे और उन्होेंने अपने साथी भाई मरदाना जी को अयोध्या से परिचित कराते हुए जानकारी दी थी कि किसी समय यह राजा राम चन्द्र की नगरी हुआ करती थी। उसके बाद गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोबिन्द सिंह जी भी पटना से आनन्दपुर साहिब जाते समय इस स्थान पर रुके थे। गुरु गोबिन्द सिंह जी जब वहां भूखे बन्दरों को चना खिलाने लगे तो बन्दर बालक गोबिन्द के चरणों में गिर गये क्योंकि उन्हें उनके भीतर प्रभु राम के दर्शन हो रहे थे। इस हिसाब से अयोध्या की इस धरती पर तीन सिख गुरुओं के चरण पड़े हुए हैं और आज वहां पर गुरुद्वारा साहिब भी सुशोभित है हालांकि सिखों की आबादी ना के बराबर है पर गैर सिखों के सहयोग से गुरुद्वारा साहिब के प्रबन्ध बेहतर चल रहे हैं।
बीते समय में जब राम जन्म भूमि का विवाद कोर्ट में था तो जज साहिब ने अपना फैसला भी गुरु नानक देव जी के अयोध्या आगमन को ध्यान में रखते हुए सुनाया था जिससे इस बात के प्रमाण मिले थे कि 15वीं सदी में यहां पर मन्दिर हुआ करता था। मुगल बादशाह बाबर के आने पर ज्यादातर मन्दिरों को तोड़कर मस्जिदें स्थापित कर दी गई थी। यह भी किसी से छिपा नहीं है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में तो हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए समूचे हिन्दुओं को इस्लाम में लाने यां फिर उनका खात्मा कर देश में केवल इस्लाम धर्म कायम करने के मंसूबे गढ़े गए थे। अगर गुरु तेग बहादुर जी अपने प्राणों का बलिदान ना देते, और गुरु गोबिन्द सिंह जी सिख फौज के साथ मुगल हकूमत से टक्कर ना लेते तो निश्चित तौर पर औरंगजेब अपने मंसूबों में कामयाब भी हो गया होता। गुरु साहिब की बदौलत ही आज हिन्दू धर्म बचा हुआ है। इस बात का जिक्र आता है कि औरंगजेब के जुल्म का शिकार होकर पण्डित वैष्णवदास ने गुरु गोबिन्द सिंह जी से मदद मांगी थी और गुरु जी के आदेश पर सिख सैना ने अयोध्या पहुंचकर मुगल सैना के खिलाफ मोर्चा खोला था। प्रमाण इस बात के भी मिलते हैं कि 1858 में भी निहंगों के जत्थे ने इस स्थान को खाली करवाकर हिन्दू समाज को दिया था। जिसके चलते यह माना जा सकता है कि सिख धर्म का अयोध्या से पुराना नाता है पर शायद ज्यादातर सिख भी इस इतिहास से अन्जान हैं और उन्हें यहां के गुरुद्वारा साहिब की जानकारी तक नहीं है जो कि इतिहासिक गुरुद्वारा साहिब हैं।
हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई। हिन्दू धर्म के लिए यह क्षण किसी त्यौहार से कम नहीं थे। आज तक हर हिन्दू दीपावली को इसलिए मनाता आया है क्योंकि दीपावली के दिन भगवान राम 14 साल का बनवास काटकर अयोध्या वापिस आए थे। आज की पीढ़ी ने इसे देखा नहीं केवल सुनकर ही इस दिन को मनाया जाता है पर आज अयोध्या में सैकड़ों वर्षों के बाद भगवान राम की मूर्ति की प्रतिष्ठा होना समूचे हिन्दू समाज के लिए गर्व की बात है, हर कोई स्वयं को सौभाग्यशाली मान रहा है जिनके जीवनकाल में यह दिन आया है। आज तक केवल चुनावों के दौरान जनता को राम मन्दिर के सपने दिखाये जाते थे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता से किए हुए वायदे को पूरा करते हुए अपने कार्यकाल के दौरान मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर डाली। हिन्दू भाईचारे के लोगों के साथ मिलकर सभी धर्म के लोगों ने इस दिन को मनाया। घरों पर दीपावली की भान्ति रोशनी की गई। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा के द्वारा लोधी रोड स्थित निवास पर सिख, जैन, ईसाई, पारसी, मुस्लिम सहित अन्य धर्मों के लोगों को बुलाकर खुशीयां मनाई गई, राम नाम के जैकारे लगाए गये। भाजपा नेता मनजिन्दर सिंह सिरसा ने समूची दिल्ली में सिख भाईचारे के साथ मिलकर इस दिन को मनाते हुए सभी को बधाईयां दी। पूर्वी दिल्ली में भाजपा सिख सैल के नेता गुरमीत सिंह सूरा ने प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा के साथ मिलकर 5100 दिये जलाकर पूरे क्षेत्र को रोशन किया। पश्चिमी जिले के उपाध्यक्ष सिख नेता रविन्दर सिंह रेहन्सी के द्वारा शिव नगर में हनुमान चालीस के पाठ कर भंडारा किया गया। भाजपा नेता तरविन्दर सिंह मारवाह, निगम पार्षद अर्जुन सिंह मारवाह के द्वारा जंगपुरा गुरुद्वारा साहिब में कीर्तन समागम, अरदास के पश्चात लंगर लगाए गये, बाईक रैली निकाली गई। पटना के कंगनघाट में सिख धर्म के लोगों ने त्रिलोक सिंह निषाद, तेजिन्दर सिंह बन्टी के साथ मिलकर दीये जलाए और मिठाई बांटी। भाजपा नेता आर पी सिंह के द्वारा बीते समय में देश के अलग अलग राज्यों से पांच प्यारों के रूप में आए सिखों के साथ मिलकर राम मन्दिर के निर्माण के लिए श्री अखण्ड पाठ साहिब अयोध्या के ब्रह्यकुण्ड गुरुद्वारा साहिब में रखवाया गया था और आज जब वह दिन आ गया जब राम मन्दिर में भगवान राम की मूर्ति स्थापित हो गई, इस मौके पर आर पी सिंह व अन्य सिखों के द्वारा गुरु महाराज का शुकराना करवाने हेतु पुनः अखण्ड पाठ साहिब करवाकर लंगर लगाया गया। देश भर से संत समाज व सिख जत्थेबंिदयो के द्वारा भी लंगर सेवा निरन्तर चलाई जा रही है।
अयोध्या में होने वाले समागम के लिए पांचों तख्तों के जत्थेदार साहिबान के साथ-साथ धार्मिक और राजनीतिक लोगों को भी निमंत्रण भेजा गया था। तख्त पटना साहिब कमेटी के अध्यक्ष जगजोत सिंह सोही, मैनेजर हरजीत सिंह के साथ कार्यक्रम में शामिल भी हुए और स्वयं को सौभागयशाली मानते हुए प्रधानमंत्री मोदी और योगी आदित्यनाथ का आभार भी प्रकट किया। तख्त पटना साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह भी पहुंचे थे मगर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार साहिब ने कार्यक्रम से दूरी बनाकर रखी। हो सकता है कि इसका एक कारण यह भी हो कि उनके आका सुखबीर सिंह बादल की आजकल भाजपा से दूरियां चल रही हैं। समाज सेवी दविन्दरपाल सिंह पप्पू का मानना है कि गुरु नानक देव जी से लेकर सभी गुरु साहिबान ने सिखों को ‘‘अव्वल अल्ला नूर उपाया, कुदरत के सब बन्दे’’ का सन्देश दिया, गुरु नानक देव जी स्वयं अनेक मन्दिरों, मस्जिदों यहां तक कि मक्का भी गये इसलिए सिखों का भी यह फर्ज बनता है कि अगर हिन्दू भाईचारे के लिए खुशी का दिन आया है तो बजाए इसके कि नकरात्मक सोच रखते हुए किन्तु परन्तु की जाये। हालांकि ऐसे मुठ्ठी भर सिखों को छोड़ सभी सिख समाज के लोग खुशियों के भागीदार बने हैं।
महाराजा रणजीत सिंह का राज आने पर जहां गुरुद्वारों में सोना दिया गया वहीं मन्दिरों, मस्जिदों को भी बराबर का सोना भंेट किया गया था क्योंकि उनके राज में सभी को एक नजरिये से देखा जाता था। प्रकाश सिंह गिल का मानना है कि असल में राजा का फर्ज ही यही बनता है इसलिए प्रधानमंत्री मोदी को चाहिए कि जैसे हिन्दू समाज का मन्दिर बनाया गया है उसी तरह से सिखों के गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी हरिद्वारा, मंगू मठ उड़ीसा, गुरुद्वारा डांगमार आदि के लम्बित मसलों का समाधान करते हुए उन्हें भी सिखों को सौंपा जाना चाहिए।
- सुदीप सिंह