India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

युद्ध में बर्बाद होते बदहाल बच्चों को कौन बचाएगा?

03:09 AM Sep 11, 2024 IST
Advertisement

‘‘बच्चे किसी भी राष्ट्र का भविष्य होते हैं, नींव और रीढ़ की हड्डी होते हैं व युद्ध में सबसे पीड़ित तबका होते हैं।’’ यह बात, जिसका संचार माध्यमों द्वारा कोई अधिक प्रसार नहीं हो पाया। भारत के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने अपनी यूक्रेन यात्रा के दौरान युद्ध में शहीद हुए बच्चों के स्मारक पर कीव में श्रद्धांजलि अर्पित की। बच्चों के नरसंहार को याद कर पीएम मोदी भावुक हो गए और इस दौरान राष्ट्रपति जेलेंस्की भी उनके साथ मौजूद थे। दोनों राष्ट्र प्रमुख वहां काफी देर तक निशब्द बने रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति ने मारे गए बच्चों की याद में एक खिलौना रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। हो सकता है कि पीएम मोदी ऐसे लोगों और बच्चों की हिमायत और युद्ध बंदी के लिए इजराइल और गाजा भी जाए।
यूक्रेन की जनता बच्चों के लिए उनके विचारों के प्रति बड़ी शुक्रगुजार हुई और उन्हें लगा कि दुनिया में कोई तो इन्सान है जिसे उनके बच्चों के प्रति संवेदना है। यही मोदी की यूएसपी है जिसके कारण उनकी छवि विश्व में शांति के फरिश्ते और युग पुरुष की बन चुकी है। ऐसी आशा की जाती है कि जिस प्रकार से वे अपने देश के आततायी तत्वों को ठंडक में रखते हैं, इसी प्रकार वे रूस-यूक्रेन व फलस्तीन-इजराइल युद्धों की जलती ज्वाला पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, हज़रत मुहम्मद (स.), हज़रत ईसा और गौतम बुद्ध के पैग़ामों की ठंडी बयार से शांति स्थापित कर सकते हैं।
मार्टिन लूथर किंग ने एक बार कहा था कि युद्ध में जो पक्ष भी जीतने का दावा करता है उसकी सच्चाई केवल हार होती है। भारत चीन और पाकिस्तान से पांच युद्ध लड़ कर इस बात को उसी प्रकार से समझता है जैसे पाकिस्तान और चीन समझते हैं, जिसके कारण किसी बड़े युद्ध से यह क्षेत्र बचा हुआ है। जंग से लहूलुहान क्षेत्रों में जो बच्चे बच भी जाते हैं या तो घायल हो पूर्ण रूप से पंगु, विकलांग आदि हो जाते हैं या मानसिक रूप से क्षतिग्रस्त होते हैं। इन बच्चों की सुरक्षा न अस्पतालों या स्कूलों में हो पाती है, न ही घरों व अनाथालयों में। जहां यूक्रेन में काेरोना के आक्रोश से बचे बच्चे संभलने की चेष्टा कर रहे थे, वहीं उसके बाद युद्ध के कारण उनके पांच शिक्षा सत्र बर्बाद हो गए। यूनिसेफ के अनुसार लगभग बारह लाख बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, क्योंकि या तो बमबारी में उनके स्कूल छिन्न-भिन्न हो चुके हैं या बंद हो चुके हैं। अब तक यूक्रेन के 160 शिक्षा संस्थानों, 50 क्रीड़ा स्थलों, और 40 स्वास्थ्य केंद्रों, 44 सांस्कृतिक केंद्रों और 10 स्टेडियमों को ध्वस्त किया जा चुका है। लगभग 60 प्रतिशत यूक्रेन और इसी प्रकार से 80 प्रतिशत फलस्तीन क्षत-विक्षत हो खंडहर में परिवर्तित हो चुका है और उससे भी बुरी हालत में है जो हिरोशिमा और नागासाकी में अमेरिकी एटम बम द्वारा बर्बाद किए जाने के बाद हुआ था। युद्ध चाहे विश्व युद्ध हो, अफगानिस्तान, वियतनाम, सीरिया आदि में हो या अजरबाइजन व आर्मेनिया में या भारत और पाकिस्तान में, या फिर किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक दंगे हों, बच्चे सबसे पहले उसकी ज़द में आते हैं और उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है, जिसके बाद वे एक नॉर्मल ज़िंदगी नहीं गुजार पाते।
इसी प्रकार से इजराइल व हमास युद्ध में भी हज़ारों बच्चे मारे गए, घायल हो गए और यतीम हो गए इजराइल-हमास युद्ध में अब तक 30 हजार से अधिक बच्चों और महिलाओं की मौत हो चुकी है। युद्ध में बड़ी संख्या में सैनिकों और बेगुनाह नागरिकों की जान जाती है। संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी ने मौतों का ये भयावह आंकड़ा जारी किया है। यूक्रेन व गाजा युद्ध के अनाथ बच्चे एडॉप्शन के लिए पूर्ण विश्व में भेजे जा रहे हैं। सोचिए क्या बीत रही होगी इन बेकसूर बच्चों पर। आखिर इन बच्चों की क्या गलती थी कि इन्हें ये दुष्परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं।
विश्व के मानव बाल अधिकार कार्यालय (ऑफिस ऑफ द चाइल्ड्रेंस ह्यूमन राइट्स) द्वारा दिए गए आंकड़े चाहे यूक्रेन के हों या फलस्तीन के, आत्मा को को तड़पा देने वाले हैं। यूक्रेन में 24 फ़रवरी 2022 से अब तक 36643 लोग मारे जा चुके हैं। घायलों की भी बड़ी संख्या है। इन में 2500 से अधिक बच्चे हताहत हो चुके हैं। मानव बाल अधिकार कार्यालय का कहना है कि असल आंकड़े इन से बहुत अधिक हो सकते हैं।
नई दिल्ली में स्थित फलस्तीन एंबेसी के प्रवक्ता ने बताया कि गाजा, खान यूनुस, रफाह आदि क्षेत्रों में अधिकतम मौतें हुई हैं। हमास पर इजराइली सेना के पलटवार ने गाजा को श्मशान में बदल दिया है। हमास आतंकियों के साथ फिलिस्तीनी नागरिकों की भी इस हमले में मौत हुई है जिसे देख दिल दहल उठता है।
संयुक्त राष्ट्र का यह आंकड़ा किसी को भी हैरान कर देने वाला है। महिलाओं के लिए कार्य करने वाली एजेंसी "संयुक्त राष्ट्र महिलाएं" (यूएन वीमेन) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि अनुमान है कि प्रत्येक घंटे में चार माताएं दम तोड़ रही हैं। "यूएन वीमेन" ने कहा कि 100 से अधिक दिन के संघर्ष के कारण कम से कम 5000 महिलाओं ने अपने पतियों को खो दिया है और कम से कम 15,000 बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है। शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में एजेंसी ने लैंगिक असमानता और उन परेशानियों का जिक्र किया जो महिलाओं को संघर्ष वाले स्थानों को बच्चों के साथ छोड़ने के कारण उठानी पड़ती है। गाजा में 19 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार गाजा क्षेत्र की आबादी 23 लाख है, जिसमें से लगभग 19 लाख लोग विस्थापित हैं। इनमें ‘करीब बारह लाख महिलाएं और लड़कियां हैं’ जिन्हें आश्रय और सुरक्षा की तलाश है। "यूएन वीमेन" की कार्यकारी निदेशक सिमा बाहौस ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस से मानवीय युद्धविराम और 7 अक्तूबर को इजराइल पर गाजा के हमले के बाद बंदी बनाए गए सभी बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग की। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार संघर्ष में लगभग 35,000 फलस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं। खेद का विषय यह है कि बच्चों और महिलाओं के इस नरसंहार पर पूर्ण विश्व हाथों पर हाथ धरे बैठा है। लानत है ऐसी दुनिया पर। कुछ भी हो, युद्ध रुकना चाहिए।

- फ़िरोज़ बख्त अहमद 

Advertisement
Next Article