किसकी सरकार और किसे खारिज करेगी जनता?
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान का छठा चरण 25 मई को संपन्न होने के साथ ही देश के राजनीतिक विश्लेषक, आमजन, चौक-चौराहों के चौपाल विशेषज्ञ, छोटे-बड़े ज्योतिषी वगैरह सभी अपने-अपने तरीके से चुनाव नतीजों को लेकर अपना निष्कर्ष देने लगे हैं। अब तो सिर्फ एक चरण का मतदान ही शेष है। आगामी 1 जून को अंतिम चरण का मतदान समाप्त होने के बाद देश को 4 जून की दोपहर तक ही पता चल जाएगा कि भारत का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, कौन सी राजनीतिक पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी और एनडीए को या इंडिया गठबंधन को अधिक सीटें मिल रही हैं। हालांकि अभी तक अधिकतर जानकारों का यह दावा है कि देश में फिर से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ही एनडीए गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। प्रख्यात पॉलिटिकल कमेंटेटर और डेटा साइंटिस्ट कह रहे हैं कि भारत के लोगों ने बीते दस सालों के दौरान जो तरक्की देश में देखी है इतनी तरक्की 70 साल में नहीं देखी। भाजपा को इस चुनाव में कुल 42 से 45 प्रतिशत तक वोट मिल सकते हैं। ज़्यादा भी मिल जायें तो कोई आश्चर्य नहीं ? जाहिर है अगर भाजपा और उसके मित्र दलों को इतने फीसद वोट मिले तो सरकार तो उनकी ही बनेगी। अब बात कर ले अपने को महान राजनीतिक चिंतक बताने वाले योगेन्द्र यादव की। वे राहुल गांधी की एक पदयात्रा में भी शामिल हुए थे। कहा जा रहा है कि चुनावों में भाजपा को 240-260 और एनडीए के साथी दलों को 35-45 सीटें मिल सकती हैं। मतलब भाजपा-एनडीए को 275 से 305 के बीच सीटें मिलने जा रही हैं।
देश में सरकार बनाने के लिए 272 सीटें चाहिए और जारी लोकसभा चुनाव में भाजपा-एनडीए की 303/323 सीटें हैं। यह तो राहुल समर्थक विश्लेषकों की भविष्यवाणी है। हालांकि एनडीए गठबंधन को विश्लेषकों के दावे से कहीं अधिक सीटें मिल रही हैं। अब तक के सभी चुनावों को क़रीब से देखता रहा हूं और अपने अनुभव के आधार पर यह कह रहा हूं कि इस बार भाजपा और सहयोगी दलों का प्रदर्शन अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ने वाला होगा। आम जनता से बातें की और उनका मन टटोला। एनडीए को हर हालात में अधिक ही सीटें मिलेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक सीटें जीतने वाली पार्टी बनने जा रही है। इस मामले पर कोई बहस नहीं होनी चाहिए। इसलिए, भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू श्री मोदी को 4 जून के बाद सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगी।" श्री नरेंद्र मोदी की चंद्र राशि वृश्चिक है। उनका जन्म 17 सितंबर, 1950 को हुआ था। वे मंगल ग्रह से शासित हैं। वृश्चिक राशि वाले बहुत बुद्धिमान और चतुर होते हैं और उनमें नेतृत्व करने के गुण होते हैं। वे जन्मजात नेता होते हैं। मोदी जी ने इसे बार-बार साबित किया है। दिलचस्प बात यह है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी वृश्चिक राशि के हैं। वृश्चिक राशि के नेताओं को अक्सर उनके दृढ़ संकल्प के लिए जाना जाता है। वे अपने मुखर और रणनीतिक नेतृत्व शैली के लिए भी जाने जाते हैं।वृश्चिक राशि वाले जुनूनी, दृढ़ संकल्प से भरे और संकट में भी जुझारू रूप से मैदान में डटे रहते हैं। वृश्चिक राशि वाले संकटों को संभालने और चुनौतियों को पार करने में अच्छे होते हैं।
इस बीच, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस को लेकर दावा कर रहे हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी तीन अंकों के आंकड़े तक नहीं पहुंचेगी। इसके साथ ही वे इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि भाजपा इस बार 2019 के आम चुनावों में प्राप्त अपनी सीटें दोहराने जा रही है या उससे भी आगे निकल सकती है। जब उनसे पूछा गया कि उन्हें भाजपा की तरफ से कितनी सीटें जीतने की उम्मीद है तो प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरे पास जो भी अवलोकन और अनुभव है उसके आधार मुझे नहीं लगता कि भाजपा की संख्या 2019 में जहां थी वहां से कम हो जाएगी। वे दावा कर रहे हैं कि 2019 में भाजपा के पास जो संख्या थी कमोबेश वही संख्या मुझे दोहराती हुई दिख रही है या शायद यह और भी बेहतर हो जाएगी। हालांकि उनके दावों पर बहुत बवाल भी मचा हुआ है। उनकी राय से इत्तेफाक न रखने वाले उन पर तमाम तरह के आरोप भी लगा रहे हैं। इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में राजनीतिक तूफान खड़ा करने की कोशिश की जब उन्होंने दावा किया था कि मोदी जी 75 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर प्रधानमंत्री पद छोड़ देंगे। मतलब उन्होंने पूरी तरह यह मान लिया था कि उनका गठबंधन हार रहा है। गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया है कि मोदी जी 2029 के बाद भी प्रधानमंत्री बने रहेंगे।
बहरहाल अभी लोकसभा चुनाव का अंतिम चरण होना शेष है। इतनी भयंकर गर्मी में मतदान करने के लिए घर से निकलना और मतदान केन्द्रों पर खड़ा होना सच में हिम्मत की बात है। चुनाव आयोग को सरकार और सियासी दलों से मिलकर यह तय करना चाहिए कि आगामी लोकसभा चुनाव मार्च के महीने तक सम्पन्न हो जाएं। आजकल देश के बड़े भाग में सूरज देवता आग उगल रहे हैं। पारा 45 डिग्री तक पहुंच रहा है। इन हालातों में मतदान के बढ़ने की उम्मीद करना बेमानी ही होगी। एक बात और मतदान की तारीख वीकेंड पर न रखी जाए। वीकेंड पर मतदान होने से बहुत सारे लोग बच्चों को लेकर घूमने के लिए निकल जाते हैं। इसलिए मतदान सप्ताह के बीच में रखा जा सकता है। इसी प्रकार पर्व-त्याैहारों के दिन भी मतदान नहीं होना चाहिये। हां, बिना किसी ठोस कारण के मतदान न करने वालों पर उचित दंड या पांच वर्षों तक सरकारी सुविधाओं से वंचित करने पर भी विचार किया जा सकता है।