India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

भाजपा से क्यों बिदक रहे हैं नौकरशाह

02:21 AM Jul 28, 2024 IST
Advertisement

‘क्या मेरी दुआओं में इतना असर न था
तुम मुझे ढूंढते थे उधर जिधर मैं न था’

एक वक्त भगवा रज को सिर माथे पर लगाने वाली नौकरशाही रंग बदलने लगी है। क्या सत्ता पक्ष को लेकर उनकी आकांक्षाएं उस कदर फलीभूत नहीं हो पा रहीं? मिसाल के तौर पर भारत के पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्द्धन शृंगला का नाम लिया जा सकता है। वे जैसे ही 30 अप्रैल 2023 को रिटायर हुए इसके तुरंत बाद 1 मई को इन्हें जी-20 का कॉर्डिनेटर बना दिया गया। साथ ही इन्हें भाजपा नेतृत्व से यह आश्वासन भी प्राप्त हुआ था कि उन्हें 2024 में दार्जिलिंग से लोकसभा चुनाव भी लड़ाया जाएगा।
भारत में जी-20 का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ और शृंगला इस बात से गद्गद् थे कि उन्हें अब मेवा मिलने ही वाला है। उन्होंने दार्जिलिंग से लोकसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर ली थी। उनके नजदीकियों को तो यह भी लग रहा था कि वे चुनाव जीते तो केंद्र में उनका मंत्री बनना तय है। पर कभी-कभी बिल्ली के भाग्य से छींका टूटता नहीं। शृंगला के तमाम अरमान धरे रह गए तो फिर उनके निराश मन में आशा की जोत जगाने के लिए उन्हें आश्वासन दिया गया कि आने वाले दिनों में उन्हें यूएस का अंबेसडर बनाया जाएगा लेकिन यहां बाजी विनय मोहन क्वात्रा ने मार ली और वे अमेरिका में भारत के नए राजदूत हो गए। इससे निराश शृंगला ने ‘शापोर पालोनजी ग्रुप’ ज्वॉइन कर लिया है और इन दिनों कॉरपोरेट की नौकरी में ही अपने लिए खुशियों के पल ढूंढ रहे हैं। कुछ ऐसा ही इंतजार दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना को भी था पर भाजपा शीर्ष ने जब उनके साथ किया वायदा भी नहीं निभाया तो उन्हें अपना सरकारी आवास तक छोड़ना पड़ा। पहले उन्हें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में ‘स्पेशल मॉनिटर’ यानी एडवाइजर रख दिया जहां करने को उनके लिए कुछ खास नहीं था। जब उनका इंतजार भी काफी लंबा हो गया तो उन्होंने भी एक कॉरपोरेट ‘रेलिगेयर ग्रुप’ को ज्वॉइन कर लिया जहां वे ‘कॉरपोरेट अफेयर्स और रिलेशनशिप’ के प्रमुख हैं।
बजट से नाखुश नायडू और नीतीश
एनडीए सरकार के दोनों प्रमुख गठबंधन साथी चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत हालिया बजट से खुश नहीं बताए जाते हैं। जबकि जाहिरा तौर पर वित्त मंत्री ने इन दोनों राज्यों पर धन की बारिश कर दी है। नायडू से जुड़े सूत्रों का दावा है कि आंध्र प्रदेश को कोई स्पेशल पैकेज नहीं मिला है जबकि पुराने प्रोजेक्ट्स को ही ‘रिवाइव’ किया गया है। जदयू के लोगों का भी कमोबेश यही दावा है कि भले ही ‘हाइवे और एक्सप्रेस-वे’ के नाम पर बिहार को 26 हजार करोड़ रुपयों का आबंटन हुआ हो पर यहां ये सारे प्रोजेक्ट्स पहले से चल रहे थे।
पूर्वांचल को बिहार से जोड़ने के प्रोजेक्ट्स पर पहले से काम हो रहा था। वैसे भी मोदी 3-0 सरकार द्वारा आंध्र और बिहार पर विशेष कृपा किए जाने को लेकर विपक्षी दल लगातार हमलावर हैं और इसी बहाने विपक्षी दल महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के आसन्न विधानसभा चुनाव को लेकर एक नया नैरेटिव भी गढ़ना चाहते हैं कि ‘केंद्रनीत सरकार का रवैया कुछ राज्यों को लेकर पक्षपातपूर्ण है।’
सूत्र बताते हैं कि चंद्रबाबू नायडू को महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के चुनावी नतीजों का इंतजार है, इसके बाद ही वे अपना अगला कदम उठाएंगे। वहीं नीतीश कुमार को लगता है कि न तो बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग पूरी हुई और न ही पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा ही मिल पाया। सो, नीतीश को भी नायडू के अगले कदम की प्रतीक्षा है।
महाराष्ट्र में भाजपा की असली चिंता
महाराष्ट्र को लेकर भाजपा का अपना अंदरूनी सर्वेक्षण लगातार हैरानी पैदा करने वाला है। हालांकि महाराष्ट्र की कमान भाजपा हाईकमान ने उठा रखी है बावजूद इसके वहां भगवा ग्राफ उठ नहीं पा रहा है। शरद पवार भ्रष्टाचारियों के नेता संबंधी भाजपा दिग्गजों के बयानों से भी कटुता ही बढ़ी है। पिछले कुछ समय में जितने बड़े नेता कांग्रेस, ​िशवसेना और एनसीपी छोड़ इधर-उधर गए थे वे अब वापिस अपनी मूल पार्टियों में आने के लिए छटपटा रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने अपनी घर वापसी के लिए राहुल गांधी को संदेशा भिजवाया है। वहीं छगन भुजबल जैसे वरिष्ठ नेता ने भी शरद पवार के पास अपनी घर वापसी की अर्जी लगा रखी है। आसन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा को एक ओबीसी चेहरे की तलाश है। भाजपा के पास ले-देकर देवेंद्र फड़णवीस का चेहरा है जो ब्राह्मण समाज की नुमांइदगी करते हैं। राज्य में ब्राह्मणों का वोट प्रतिशत मात्र 3 फीसदी है। सो, कहना न होगा महाराष्ट्र में भाजपा की चाहे-अनचाहे संघ पर निर्भरता खासी बढ़ी है।
अभी नहीं थमेगा यूपी का भगवा रार
यूपी का भगवा रार थमने का नाम नहीं ले रहा। एक ओर जहां योगी विरोधी मंत्री, विधायक, प्रदेश अध्यक्ष एक साझा मंच पर इकट्ठे हो रहे हैं वहीं योगी ने भी अपने हथियार नहीं डाले हैं। यूपी में अभी 10 विधानसभा के उपचुनाव होने हैं जिसकी कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं संभाल ली है। इसके लिए योगी ने अपने करीबी लोगों और खास मंत्रियों की टीम भी गठित कर ली है जिन्हें अलग-अलग विधानसभा का जिम्मा भी सौंप दिया है। योगी वहां से रिपोर्ट तलब कर रहे हैं और अफसरों के साथ नई रणनीतियां भी बुन रहे हैं।
योगी जानते हैं कि उन्हें अपना सिक्का चलाए रखना है तो इन 10 विधानसभा उपचुनाव में अपना दम-खम दिखाना पड़ेगा। एक योगी के करीबी मंत्री का दावा है कि इन 10 में से 5 विधानसभा सीटें भाजपा आसानी से जीत लेगी अन्य 5 के लिए मेहनत की जाएगी। वहीं सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने दिल्ली से गुहार लगाई है कि ‘योगी उन्हें चुनाव से संबंधित मीटिंगों में बुला ही नहीं रहे हैं।’ इस पर योगी ने सफाई पेश की है कि ‘जब पहले मौर्या को ऐसी बैठकों के लिए बुलाया जाता तो वे वहां रहते हुए भी इनमें नहीं आते थे।’ सूत्रों की मानें तो योगी ने भी दिल्ली से दो टूक कह दिया है कि ‘जब तक उनके सिर से इन दोनों उप मुख्यमंत्रियों को हटाया नहीं जाएगा यूपी की सरकार सुचारू रूप से काम नहीं कर पाएगी।’
...और अंत में
क्या मोदी सरकार वायनाड लोकसभा का उपचुनाव अक्टूबर तक टालना चाहती है? सूत्र बताते हैं कि केंद्रनीत मोदी सरकार यूपी समेत अन्य विधानसभा और लोकसभा के उपचुनाव महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ अक्टूबर माह में करवाना चाहती है। सूत्र यह भी इशारा करते हैं कि भगवा पार्टी को फिलवक्त यहां
हवा बदली-बदली सी नजर आ रही है। सो, माहौल को अपने पक्ष में करने की पूरी कवायद करने के बाद वो चुनाव चाहती है। केंद्र की मंशाओं को भांपते चुनाव आयोग ने भी संकेत दे दिए हैं कि ‘चूंकि सितंबर तक पूरे देश में बाढ़
और बारिश का असर रहता है तो चुनाव कराने के लिए अक्टूबर माह ही सबसे माकूल रहेगा।’

- त्रिदिब रमण

Advertisement
Next Article