सबसे भिन्न क्यों इस बार का चुनाव!
जैसे भारत में हुए सभी चुनाव अपने में विलक्षण रहे हैं, इस बार के चुनाव भी सब से भिन्न हैं, क्योंकि लहर न नरेंद्र मोदी की थी, न किसी और की। हां, न ही एंटी इनकंबेंसी थी और न ही इंडी के कोई सुरखाब के पर लगे थे। हां, लहर के स्थान पर भाजपा का दस साल का काम था और प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्रीय नेतृत्व व अंतर्राष्ट्रीय वर्चस्व अवश्य वोटरों की नज़र में था। अतः यदि कोई लहर थी तो वह बड़ी सादगी के साथ भाजपा का काम था। वास्तव में भाजपा की सीटों में सेंध इस कारण लगी कि बावजूद अच्छा-खासा काम करने के उसने अपने काम को इलेक्शन भाषणों में सही ढंग से दर्शाया नहीं, एडवर्टाइज नहीं किया, जैसे-पूर्व जीडीपी 1.8 ट्रिलियन से आज बढ़ कर 3.7 ट्रिलियन हो गई है। प्रति व्यक्ति आय 78 हजार थी तो आज यह 1 लाख 15 हजार है। आर्थिक मैदान में आज हम 5वें आर्थिक स्थान पर हैं।
हमारे देश ने 200 बिलियन का व्यपार किया था और आज यह संख्या 800 बिलियन के लगभग है। पहले हमारे पास 5 मैट्रो शहर थे, आज 20 हैं। पहले हमारे पास 74 एयरपोर्ट थे और आज 152 हैं। पहले 40 प्रतिशत गांवों में बिजली थी, आज 95 प्रतिशत गांवों में बिजली है। पहले राष्ट्रीय सड़क मार्ग 25,700 किलो मीटर था, आज 53,700 किलो मीटर है। अब से पूर्व रेलवे मार्ग 22048 किलो मीटर था और आज 55,198 है। अब से पूर्व इंटरनेट पहुंच 25 प्रतिशत थी और आज 95 प्रतिशत है। पहले केवल 7 एम्स थे, आज 22 हैं। पहले मेिडकल सीटें 51,348 थीं और आज 10,1148 हैं। ऐसे ही पहले पीजी मेिडकल कालेज 387 थे और आज 660 हैं, ऐसे ही जैसे पूर्व पीजी सीटें 31,162 थी आज 65335 हैं। वंदे ट्रेन और कश्मीर में सब से ऊंचा पुल भी बनाया। यदि भाजपा नेता ऐसी भाषा से दूर रहते जिसमें मुसलमान, मीट-मच्छी मंगल सूत्र, मुस्लिम आरक्षण आदि का ज़िक्र न करते और अपनी उपलब्धियां गिनाते तो 400 के निकट या पार पहुंच जाते।
भारत के सभी हिंदू-मुस्लिम, बल्कि पूर्ण भारतीय नागरिक सदा से ही साझा विरासत के तहत और गंगा-जमुना की भावना से रहते चले आए हैं। असभ्य भाषा भारतवासी पसंद नहीं करते। भाजपा को एक क्षति इस बात से भी पहुंची है कि इसने जिस प्रकार से दूसरी पार्टियों के घोटालेबाज राजनेताओं को अपने साथ शामिल किया है और महिला पहलवानों का यौन शौषण करने वाले पहलवान के खिलाफ तुरंत कार्यवाही नहीं की, उससे पार्टी की छवि को बट्टा लगा है।
आज एनडीए को सरकार बनाने से रोकने के लिए यूपीए इस चक्कर में है कि उसके घटक दल कुछ सांसदों को तोड़ कर सरकार बना लें। भले ही सरकार तो एनडीए ही बनाएगी, मगर फर्क यह रहेगा इसके घटक दल भाजपा को कई मामलों में चिंतित कर सकते हैं। चूंकि आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सब से हर दिल अजीज राजनेता हैं। वैसे इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि किस प्रकार से एग्जिट पोल ने पूरी दुनिया को मूर्ख बनाया जिससे 25,000 करोड़ की हानि हुई निवेशकों को। इसकी भरपाई कौन करेगा? वैसे भाजपा की सीटें कम होने के बाद जिस प्रकार से विपक्ष द्वारा कहा जा रहा है कि छोड़ो गद्दी श्री मोदी, बड़ा वांछनीय है। चुनाव में अच्छा परफॉर्मेंस करने के बाद इन लोगों को इस प्रकार की घटिया बातें नहीं करनी चाहिए।