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ब्रिटेन से वापिस क्यों लाया गया सोना !

07:08 AM Jun 07, 2024 IST
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भारतीयों का सोने के प्रति बहुत करेज है। भारतीय परम्परागत तरीके से सोने को सबसे सुरक्षित निवेश मानते हैं और कहा जाता है कि सोना ही सुख-दुख में व्य​क्ति का साथ देता है। यह कीमती धातु केवल भारतीयों को ही प्रिय नहीं है बल्कि दुनियाभर के बैंक इस समय सोने की जमकर खरीदारी कर रहे हैं। हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लंदन में अपना रखा हुआ सौ टन सोना वापिस मंगाया। सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल आ रहा है। अब सवाल यह उठता है कि दुनियाभर के बैंक आखिर सोना क्यों खरीद रहे हैं। पुराने जमाने की बात करें तो अक्सर लोग कहते थे कि व्यापार में घाटा हो, घर में बीमारी हो, अगर आपकी तिजोरी में सोना पड़ा होगा तो आप उसे बाजार में बेचकर सारे काम कर सकते हैं। यह धारणा पूरी दुनिया में भी लागू है। इस समय दुनिया के भू- राजनीतिक हालात लगातार बदतर हो रहे हैं। 24 फरवरी 2022 को रूस की ओर से यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद से युद्ध लंबा खिंच गया है और दुनियाभर में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने लगा है। यूक्रेन पर रूस के हमले को देखकर चीन ताइवान पर हमले के लिए तनतनाया हुआ है। इजराइल हमास पर हमला कर रहा है। ईरान गैस और पैट्रोलियम पदार्थ को लेकर सऊदी अरब अमीरात और खाड़ी के दूसरे देशों के साथ उलझ रहा है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया में जब भू-राजनीतिक तनाव पैदा होता है तो ऐसे हालात में अन्तर्राष्ट्रीय संपत्ति की सुरक्षा को लेकर अनिश्चितता पैदा हो जाती है। फिलहाल, पश्चिमी देशों की ओर से रूसी परिसंपत्तियों को फ्रीज कर दिए जाने तथा ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में आ रही गिरावट ने विदेशों में स्वर्ण भंडार की सुरक्षा के संबंध में भारत सरकार की चिंताओं को बढ़ा दिया है। जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो अमेरिका एवं उसके सहयोगी देशों ने उसका (रूस) विदेशी मुद्रा भंडार जब्त कर लिया। इससे दुनिया के दूसरे देशों में भय व्याप्त हो गया है। पश्चिमी देशों ने रूस के लगभग 300 अरब डॉलर भंडार पर ताला जड़ दिया है। भू-राजनीतिक समीकरण में अमेरिकी खेमे में नहीं रहने वाले किसी देश को ऐसे ही परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। सोना रखने में इतना जोखिम नहीं है क्योंकि यह किसी भी देश के अधिकार क्षेत्र में ही रहता है। चीन बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहा है और दुनिया में यह सोना रखने वाले सबसे बड़े देशों में एक है मगर इसके कुल विदेशी मुद्रा भंडार में इसकी (सोने की) हिस्सेदारी मात्र 4.6 प्रतिशत है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सोने का भंडार रखने के मामले में दुनिया का नौवां सबसे बड़ा बैंक है। इसके कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से नीचे है। रूस के भंडार में सोने की हिस्सेदारी 28 प्रतिशत पहुंच गई है।

आरबीआई जैसे केंद्रीय बैंक मुद्रा पर पूंजी से जुड़े प्रभाव कम करने के लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा रखते हैं। विदेशी मुद्रा बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए केंद्रीय बैंक विदेशी परिसंपत्तियां खरीदते एवं बेचते हैं। सोने की खरीद-बिक्री तेजी से होती है मगर केंद्रीय बैंकों की तरफ से भारी मात्रा में सोने की बिकवाली के समय इसके दाम पर उल्टा असर हो सकता है। चूंकि, शेयर या बॉण्ड की तरह सोने का मूल्य किसी वस्तु या वित्तीय साधन से नहीं जुड़ा होता है इसलिए केंद्रीय बैंकों द्वारा बड़े स्तर पर खरीदारी या बिकवाली से इसका (सोने के दाम) झुकाव किसी भी तरफ हो सकता है। सरकार की सलाह के बाद आरबीआई घरेलू बाजार में सोने की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए स्वर्ण भंडार के सोने का इस्तेमाल कर सकता है। खासकर गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड जैसे इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट में भारी घरेलू मांग को देखते हुए स्थानीय सर्राफा बाजार को विकसित करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि देश का सोना घरेलू सीमा के भीतर ही रहे। इसके अलावा सर्टिफिकेट के तौर पर रखे गए सोने का इस्तेमाल व्यापार और स्वैप में प्रवेश करने के साथ-साथ रिटर्न कमाने के लिए किया जा सकता है। इसीलिए आरबीआई ने अन्तर्राष्ट्रीय बाजार से सोना जमा करना भी शुरू कर दिया है जो इसे बैंक ऑफ इंग्लैंड की तिजोरियों में रखना रसद के लिहाज से कहीं सुविधाजनक बनाता है।

यद्यपि रिजर्व बैंक का कहना है कि ब्रिटेन से 100 टन सोना इसलिए वापिस भारत लाया गया क्योंकि वहां भंडारण लागत बढ़ रही थी। 1991 में तत्कालीन चन्द्रशेखर सरकार का खजाना खाली हो गया था और सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी सरकार के पास पैसा नहीं बचा था। साल 1990-91 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति चरमरा गई थी और भारत के पास केवल 15 दिनों तक के आयात के लिए ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा था, तब 1991 में आरबीआई ने अपने स्वर्ण भंडार का एक हिस्सा बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास गिरवी रखा था। उस समय उसने इंग्लैंड को 46.91 टन सोना भेजकर 405 मिलियन डॉलर का कर्ज लिया था। मार्च 2024 के अंत तक आरबीआई के पास 822.10 मीट्रिक टन सोना था, जिसमें से 408.31 मीट्रिक टन सोना घरेलू स्तर पर रखा गया था। वहीं, 387.26 मीट्रिक टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और 26.53 मीट्रिक टन बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के पास सुरक्षित रखा गया था।

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