India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

कुछ बदलेगा पाकिस्तान में ?

01:29 AM Sep 23, 2023 IST
Advertisement

कंगाल हो चुके पाकिस्तान में जनवरी 2024 के अंतिम सप्ताह में आम चुनाव कराने का ऐलान कर दिया गया है। निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की समीक्षा और इन क्षेत्रों के परिसीमन की अंतिम सूची 30 नवम्बर को जारी कर दी जाएगी। 9 अगस्त को पाकिस्तान की संसद भंग कर दी गई थी और इसके साथ ही शहबाज शरीफ की सरकार का कार्यकाल भी समाप्त हो गया। अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान में चुनावों के बाद हालात बदलेंगे, निजाम बदलेगा तो क्या देश के हालात बेहतर होंगे? एक तरफ मुल्क कंगाली के कगार पर है तो दूसरी तरफ प्रतिबंधित आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने तबाही मचा रखी है। पाक अधिकृत कश्मीर में आक्रोश अपने चरम पर पहुंच चुका है। पाकिस्तान के कई इलाकों में तहरीक-ए-तालिबान ने कब्जा करना शुरू कर दिया है और उसके हमलों में कई पाकिस्तानी जवान जान गवां चुके हैं। तहरीक-ए-तालिबान के बढ़ते हमलों से यह आशंका व्यक्त की जाने लगी है कि कहीं पाकिस्तान अफगानिस्तान तो नहीं बन जाएगा।
पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कहलाने वाले कराची समेत कई बड़े शहरों में गैस स्टेशनों के बाहर कारों की लम्बी कतारें लगना रोजमर्रा की जिन्दगी का हिस्सा बन चुका है। इन शहरों में ऐसे न जाने कितने घर हैं, जहां दो वक्त तो छोड़िये, एक वक्त का खाना पकाना भी किसी किले को फतह करने से कम नहीं है, इसलिए कि वहां घरों में सप्लाई होने वाली कुकिंग गैस तक नसीब नहीं हो रही है। इसके साथ ही खाने-पीने की बहुत सारी चीजों की जबरदस्त कमी ने उन लोगों का जीना भी मुहाल कर दिया है, जिन्हें हम मुफलिस नहीं कह सकते। इन्हीं सब वजहों से मुल्क के आम अवाम के साथ ही मध्यम वर्ग भी शरीफ सरकार की जमकर मजम्मत कर रहा है और इस बहाने वो इमरान खान की इस मांग का समर्थन कर रहा है कि आम चुनाव जल्द होने चाहिए, ताकि इस​ निजाम से निजात मिले।
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इस समय भ्रष्टाचार के मामलों में जेल में बंद हैं और उनकी गैर मौजूदगी में चुनाव कराने की तैयारी चल रही है। शहबाज सरकार ने इमरान की पार्टी के एक-एक नेता को जेल में डाल कर उनकी पार्टी को निपटाने का पूरा प्रयास किया। विपक्ष की आवाज को कुचल कर पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) दुबारा से सत्ता में आना चाहती है। लंदन में बैठे नवाज शरीफ की नजरें फिर प्रधानमंत्री पद पर लगी हुई हैं।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 2017 में चुनाव लड़ने के लिए आजीवन अयोग्य करार दिए जाने के बाद लंदन में रह रहे हैं। उनके बार-बार पाकिस्तान लौटने की अटकलें लगती रही हैं लेकिन वो अब तक स्वदेश नहीं लौटे हैं। हालांकि कुछ दिन पहले ही लंदन में मीडिया के प्रतिनिधियों से बात करते हुए उनके भाई और निवर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का कहना था कि 21 अक्तूबर को पूरा पाकिस्तान लाहौर में नवाज शरीफ का स्वागत करेगा। पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भ्रष्टाचार के मामले में सात साल की सजा के बीच इलाज के लिए वर्ष 2019 में ब्रिटेन चले गए थे। फिर वह पनामा लीक्स में नाम आने पर अदालत की ओर से दी गई चार सप्ताह की अवधि में वापस नहीं आए। जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया गया था, जिसमें उन्हें जमानत भी नहीं मिलनी थी। अब उन्होंने लगभग चार साल के स्व-निर्वासन के बाद पाकिस्तान वापस आने की घोषणा की है। पीएमएल-एन का कहना है कि नवाज शरीफ के अगले महीने लाहौर आने से पहले उनके लिए अंतरिम जमानत ले ली जाएगी। पार्टी ने नवाज शरीफ के भव्य स्वागत की तैयार की है।
नवाज शरीफ पाकिस्तान की बिगड़ी माली हालात के लिए पूर्व सेना जनरल और जजों को जिम्मेदार बताते हैं। हाल ही में नवाज शरीफ ने कहा है​ कि भारत चांद पर पहुंच चुका है और जी-20 की बैठकें कर रहा है और जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पैसे मांगने के लिए एक से दूसरे देश में जा रहे हैं। नवाज शरीफ कुछ भी बोलें लेकिन पाकिस्तान की जनता जानती है कि नवाज शरीफ परिवार भी भ्रष्टाचार के आरोपों से और अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकता।
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में सत्तारूढ़ सरकारों के कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने का अपना एक रिकार्ड है। पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में​ सिर्फ 37 साल ही लोकतांत्रिक सरकारें रहीं, जिनमें कुल 22 प्रधानमंत्री हुए। लेकिन इन 22 में से कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। पाकिस्तान में अब तक 32 साल सेना ने सीधे तौर पर शासन किया है और लगभग आठ सालों तक यहां की अवाम ने राष्ट्रपति शासन देखा है। सरकारों के कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है कि पाकिस्तान की राजनीति में सेना का दखल और पाकिस्तान की जनता का सरकारी संस्थानों पर ​विश्वास नहीं होना। जो सुरक्षा हालात बन रहे हैं वो पाकिस्तान को अस्थिरता की तरफ ले जा रहे हैं। चुनाव तो हो जाएंगे लेकिन आतंक और अस्थिरता का माहौल कायम रहेगा। कुछ बदलने की उम्मीद नहीं है।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Next Article