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अनवांटिड काॅल से मिलेगी मुक्ति?

04:12 AM Aug 30, 2024 IST
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आजकल टेलीमार्केटिंग का चलन जोरों पर है, हालांकि इसके लिए सिर्फ टेलीकॉम कंपनियां ही जिम्मेदारी नहीं हैं, इसके लिए आप और हम भी जिम्मेदार हैं। आप में से कई लोगों ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपना मोबाइल नंबर दे रखा होगा। साथ ही कई बार हम नौकरी की तलाश में सोशल मीडिया पर आए किसी पोस्ट पर कॉमेंट में अपना मोबाइल नंबर दे देते हैं। इसके बाद टेलीमार्केटिंग कंपनियां आपका मोबाइल नंबर इकट्ठा करती हैं और फिर खेल शुरू होता है। जाने कितनी बार ऐसा होता है कि आप सारे जरूरी काम छोड़कर कॉल उठाते हैं और उस तरफ से किसी टेलिकॉम ऑपरेटर या कंप्यूटर की आवाज आती है। ऐसी स्पैम कॉल्स सभी को परेशान करती हैं और आप भी इनसे छुटकारा पाना चाहते होंगे। स्पैम कॉलर्स आपके बैंक से होने या अन्य सेवाएं देने का दावा करते हुए आपकी पर्सनल जानकारी मांगते हैं, वहीं टेलिमार्केटिंग से जुड़े कॉल्स में क्रेडिट कार्ड से लेकर अन्य सेवाएं तक बेची जाती हैं। ऐसे कॉल्स बिना यूजर की सहमति के आते हैं और लगातार उन्हें परेशान करते हैं। कई बार तो स्पैम कॉल के चक्कर में हम अहम कॉल को मिस कर देते है।
अनवॉन्टेड मार्केटिंग कॉल्स के अलावा कई कॉल ऐसे भी आते हैं जो आपको ये बताते हैं कि वो आपके बैंक से बात कर रहे हैं। इस तरह के कॉल्स हमें बेहद परेशानी में डाल देते हैं और साथ ही हमारे पैसे भी चुरा सकते हैं। यह आपके जीवन की पाई-पाई चुरा सकते हैं। अगर आप इस तरह की कॉल्स से परेशान हो चुके हैं तो आप इन्हें ब्लॉक कर सकते हैं। टे​लीमार्केटिंग ग्राहकों से जुड़ने और अपने प्रोडक्ट्स या सर्विसेज को बेचने का एक शक्तिशाली तरीका है। उन्हें सीधे कॉल करके आप विश्वास बना सकते हैं और उन्हें सर्वोत्तम समाधान बेच सकते हैं। टेलीमार्केटिंग संभावित ग्राहकों से जुड़ने, उनकी जरूरतों को समझने और उन्हें उनकी सबसे ज्यादा जरूरत की चीजें बेचने का एक व्यक्तिगत तरीका है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इस सप्ताह के आरंभ में एक आदेश जारी किया जिसका उद्देश्य स्पैम फोन कॉल पर अंकुश लगाना है। इसमें रिकॉर्डेड संदेश भी शामिल हैं। टेलीमार्केटिंग करने वालों की ओर से अवांछित और स्पैम कॉल हाल के महीनों में तेजी से बढ़ी हैं जिससे मोबाइल उपभोक्ताओं की निजता का हनन हो रहा है और इस समस्या का कोई हल भी नजर नहीं आ रहा है।
दूरसंचार नियामक और सरकार दोनों ने अतीत में अवांछित कॉल से निपटने के कई तरीके अपनाने का प्रयास किया और इसके लिए कानून भी बनाया। इनमें से अंतिम था टेलीकॉम कमर्शियल कम्युनिकेशंस कस्टमर प्रिफरेंस रेग्युलेशंस, 2018 परंतु जो भी उपाय अपनाए गए वे अक्सर मनचाहे परिणाम पाने में नाकाम रहे। गैर पंजीकृत टेलीमार्केटिंग कंपनियां जहां तकनीक की मदद से उपभोक्ताओं पर ऐसी कॉल की बमबारी कर रही हैं वहीं दूरसंचार सेवा प्रदाता भी अक्सर इस विषय पर गंभीरता नहीं दिखाते।
ट्राई का ताजा निर्देश इन स्थितियों को बदलना चाहता है। इसके लिए उसने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को आदेश दिया है कि वे वाणिज्यिक कॉल करने वाले किसी भी गैर पंजीकृत टेलीमार्केटिंग करने वालों के सभी दूरसंचार संसाधनों को दो साल के लिए पूरी तरह रोक दे। यदि उपभोक्ता की शिकायत सही पाई जाती है तो किसी अन्य सेवा प्रदाता को भी टेलीमार्केटर का मौका नहीं देने दिया जाएगा। ट्राई ने स्पष्ट किया है कि कारोबारी ग्राहक अक्सर सैकड़ों संकेतकों के साथ प्रोटोकॉल प्राइमरी रेट इंटरफेस लाइन के माध्यम से वाणिज्यिक वॉयस कॉल करते हैं परंतु अब तक सेवा प्रदाताओं द्वारा कारोबारी ग्राहकों के खिलाफ की गई कार्रवाई आमतौर पर उनके सभी दूरसंचार संसाधनों के बजाय एक विशेष संकेतक को बंद करने तक सीमित है। स्पैम का आकार और उनका पैमाना बहुत बड़ा है और उसका अंदाजा दूरसंचार नियामक द्वारा समर्थित अनुमानों से लगाया जा सकता है। वर्ष 2023 में देश में गैर पंजीकृत टेलीमार्केटर्स के खिलाफ 12 लाख से अधिक शिकायतें की गईं और 2024 में शुरुआती छह महीनों में ही 7.90 लाख से अधिक शिकायतें की जा चुकी हैं। चूंकि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू है इसलिए यह ठोस है परंतु इसके प्रभाव का आकलन केवल समय के साथ ही किया जा सकता है।
टेलीमार्केटिंग ही नहीं आज भारत में साइबर अपराध में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2024 में मई तक प्रतिदिन औसतन 7,000 से अधिक शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। भारत में अधिकांश साइबर अपराधी दक्षिण पूर्व एशिया के प्रमुख स्थानों से काम कर रहे हैं। इसमें कंबोडिया के पुर्साट, कोह कांग, सिहानोकविले, कंडल, बावेट और पोइपेट, जबकि थाईलैंड और म्यांमार में म्यावाडी और श्वे कोक्को शामिल हैं। साइबर अपराध की ज्यादातर घटनाएं फर्जी ट्रेडिंग एप्स, लोन एप्स, गेमिंग एप्स, डेटिंग एप्स और एल्गोरिदम हेरफेर से जुड़ी हैं। देश से बाहर बैठे साइबर अपराधियों पर नकेल कैसे कसी जाए यह बड़ा सवाल है। देश के अन्दर बैठे साइबर अपराधियों पर तो देर-सवेर कार्रवाई हो जाती है। साइबर अपराध से कैसे बचें इसको लेकर सरकार को और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। समय-समय पर लोगों को इसको लेकर जनजागरूकता की भी जरूरत है। देश में साइबर क्राइम का मकड़जाल भी बढ़ रहा है। इस साल के पहले चार माह में ही 1,203 करोड़ रुपये की डिजिटल धोखाधड़ी के संबंध में कुल 4,599 शिकायतें मिलीं। इसी तरह 14,204 करोड़ रुपये के व्यापारिक घोटाले की 20,043 शिकायतें आईं। इसके बाद निवेश से संबंधित 2,225.82 करोड़ रुपये के घोटाले की 62,687 शिकायतें आईं। डेटिंग एप्स घोटाले की 1725 शिकायतें आईं, जिसमें 132.31 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। इन सभी मामलों में विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने कुल 10,000 एफआईआर दर्ज की हैं।
अब तक लगभग 3.25 लाख बैंक खाते फ्रीज किए हैं। इसके अतिरिक्त 5.3 लाख सिम कार्ड ब्लॉक किए। व्हाट्सएप ग्रुप सहित 3,401 सोशल मीडिया अकाउंट भी फ्रीज किए गए हैं।

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