India WorldDelhi NCR Uttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir Bihar Other States
Sports | Other GamesCricket
Horoscope Bollywood Kesari Social World CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

क्या बर्फ ​पिघलेगी?

03:55 AM Oct 07, 2024 IST
Advertisement

भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव की स्थिति के कारण दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध न के बराबर हैं। दोनों के रिश्तों पर आतंकवादी हिंसा ने ऐसी बर्फ जमा दी है कि वह पिघलने का नाम नहीं ले रही। जब दुनिया के कई देश इस समय युद्ध में उलझे हुए हैं। इसी बीच भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के पाकिस्तान यात्रा पर जाने के फैसले का ऐलान करने से एक बार फिर यह चर्चा शुरू हो चुकी है कि क्या दोनों देशों के संबंधों पर जमीं बर्फ पिघलेेगी। 9 वर्ष पहले 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज हार्ट ऑफ एशिया कार्यक्रम में हिस्सा लेने इस्लामाबाद पहुंची थी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। ​िवदेश मंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल एससीओ सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जा रहे हैं न कि कोई द्विपक्षीय बातचीत करने। पिछले साल पाकिस्तान के ​िवदेश मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो भी भारत आए थे। तब उन्होंने गोवा में ऐसे बयान दिए थे ​िजनसे संंबंधों को सामान्य बनाने की कोई पहल नजर नहीं आई थी। बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी भारत से संबंधों को मधुर बनाने की समर्थक रही है ले​िकन बिलावल भुट्टो की ​िटप्पणियों ने भारत को नाराज कर दिया था। बिलावल भुट्टो भी शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में शामिल होने के लिए गोवा अाए थे। विदेश मंत्री ने इशारों ही इशारों में पाकिस्तान पर यह कहते हुए हमला भी बोला कि कुछ वर्षों से दक्षेस की कोई बैठक नहीं हुई है क्योंकि दक्षेस का सदस्य सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर आप सभी एक साथ बैठ रहे हैं, सहयोग कर रहे हैं और उसी समय इस तरह का आतंकवाद जारी है। यह वास्तव में हमारे लिए एक चुनौती है कि आप इसको अनदेखा करते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। सार्क एक क्षेत्रीय समूह है जिसमें भारत, अफगानिस्तान, बंगलादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। एस.जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद ऐसी चीज है जो अस्वीकार्य है और वैश्विक नजरिए के बावजूद अगर हमारा कोई पड़ोसी ऐसा करना जारी रखता है तो उस पर रोक होनी चाहिए। यही वजह है कि हाल के सालों में दक्षेस की बैठक नहीं हुई है।
एस. जयशंकर के रुख से स्पष्ट है कि भारत की फिलहाल पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बातचीत का कोई इरादा नहीं है। भारत एससीओ के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाना चाहता है। इस समय एससीओ देशों में पूरी दुनिया की लगभग 40 फीसदी आबादी रहती है। पूरी दुनिया की जीडीपी में एससीओ की 20 फीसदी हिस्सेदारी है। दुनियाभर के तेल रिजर्व का 20 फीसदी हिस्सा इन्हीं देशों में है। भारत अपनी भूमिका को स्पष्ट करना चाहता है कि वह एससीओ से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है और अपने साकारात्मक एजैंडे के साथ आगे बढ़ रहा है। चाहे उसके संबंध पाकिस्तान और चीन से कैसे भी क्यों न हों। विदेश मंत्री एस. जयशंकर अनुभवी राजनायिक और नेता हैं और वह उसी के अनुरूप व्यवहार भी करते हैं। एससीओ एक बड़ा रणनीतिक मंच है और उसमें अपनी भूमिका को बनाए रखना भारत के लिए महत्वपूर्ण है। भारत ने हमेशा पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने को प्राथमिकता दी है और विदेश मंत्री ने मालदीव हो या श्रीलंका दोनों देशों से संबंधों को पटरी पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसा नहीं है कि भारत ने पाकिस्तान से संबंध कायम करने के लिए शांति वार्ताएं नहीं की। प्रधानमंत्री रहते अटल बिहारी वाजपेयी तो मैत्री बस लेकर लाहौर पहुंच गए थे।
उधर लाहौर सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध की साजिश रच डाली थी। भारत क्या मुंबई बम धमाकों, मुंबई के आतंकवादी हमलों को भूल सकता है? पाकिस्तान ने हमें बहुत बड़े-बड़े जख्म दिए हैं। पा​क प्रायोजित आतंकवादियों ने हमारी संसद पर प्रहार किया तो कभी अक्षरधाम जैसे धर्म स्थलों पर भी निर्दोषों का खून बहाया। यद्यपि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से कश्मीर मुद्दा अब हाशिए पर जा चुका है और राज्य में शांतिपूर्वक चुनाव प्रक्रिया भी सम्पन्न हो चुकी है इसलिए पाकिस्तान को अब कश्मीर मुद्दे पर कोई समर्थन भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में वह कश्मीर मुद्दे का इस्तेमाल अपनी जनता को गुमराह करने के लिए ही कर रहा है। भारत सरकार का स्पष्ट स्टैंड है कि आतंकवाद और वार्ताएं साथ-साथ नहीं चल सकती।
पाकिस्तान के हालात इन दिनों बेहद खराब हैं। खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ खुले विद्रोह पर उतारू हैं। इमरान खान की पार्टी सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रही है जिन्हें संभालना पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो रहा है। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो विदेश मंत्री एस. जयशंकर से अपनी पार्टी के विरोध-प्रदर्शनों में शामिल होने का न्यौता तक दे दिया है। ऐसी स्थिति में एस. जयशंकर के पाकिस्तान जाने पर कैसी प्रतिक्रिया होगी कुछ कहा नहीं जा सकता। फिलहाल दोनों देशों के संबंधों को नरम बनाने के लिए किसी पहल की कोई उम्मीद नहीं है लेकिन कूटनीति के बहुत आयाम होते हैं। कूटनी​ित में दरवाजे हमेशा खुले रखे जाते हैं। अगर पाकिस्तान के भारत से रिश्ते अच्छे होते तो वह भारत से काफी फायदे उठा सकता था। अब द​ुनिया भारत और पाकिस्तान को एक नजरिए से नहीं देखती। भारत अब दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकत बन चुका है। दुनियाभर के निवेशक अब भारत को अपना आकर्षक स्थल मानते हैं। ऐसे में दोनों देशों के रिश्तों के लिए बहुत ही सूक्ष्म कूटनी​ित अपनानी होगी। देखना होगा कि एस. जयशंकर के प्रति पाकिस्तान के हुक्मरानों का व्यवहार कैसा होगा।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Next Article