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ईडी की पूरी कहानी: आर्थिक अपराधों की सबसे बड़ी जांच एजेंसी का विस्तार

03:31 PM Jul 14, 2025 IST | Aishwarya Raj
ईडी की पूरी कहानी: आर्थिक अपराधों की सबसे बड़ी जांच एजेंसी का विस्तार

भारत में आर्थिक अपराधों की जांच करने वाली सबसे चर्चित और विवादित संस्था बन चुकी है प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate-ED)। इसके अधिकार, शक्तियां और कामकाज अक्सर बहस के केंद्र में रहते हैं। आइए समझते हैं कि ईडी की शुरुआत कब हुई, इसके अधिकार कितने व्यापक हैं और आखिर इसके कामकाज पर सवाल क्यों उठते हैं।

ईडी की शुरुआत कहां से हुई?

ईडी की जड़ें साल 1956 से जुड़ी हुई हैं। उस वक्त इसे 'Enforcement Unit' कहा जाता था जो विदेशी मुद्रा नियंत्रण कानून (FERA 1947) के उल्लंघन की जांच करता था। बाद में 1957 में इसका नाम प्रवर्तन निदेशालय कर दिया गया और इसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और मद्रास में तैनात किया गया।

1999 में FERA की जगह Foreign Exchange Management Act (FEMA) लाया गया और 2002 में मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए Prevention of Money Laundering Act (PMLA) लागू किया गया। 2005 से ईडी को इस कानून को लागू करने की जिम्मेदारी दी गई।

ईडी का ढांचा और ताकत

ईडी का मुख्यालय दिल्ली में है। देशभर में इसके 5 रीजनल ऑफिस, 10 जोनल ऑफिस और 11 सब-जोनल ऑफिस हैं। इसमें आईआरएस, आईपीएस, आईएएस और अन्य जांच एजेंसियों के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर आते हैं।

ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी मुद्रा कानून, आर्थिक अपराधियों के मामलों में जांच का अधिकार है। खास बात यह है कि इसके पास गिरफ्तारी, पूछताछ, संपत्ति जब्त करने और चार्जशीट दाखिल करने की कानूनी शक्ति है। सरकार ने ईडी और सीबीआई निदेशकों का कार्यकाल दो साल से बढ़ाकर पांच साल तक कर दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कुछ सीमाएं तय की हैं।

ईडी के प्रमुख कानूनी अधिकार

FEMA 1999: विदेशी मुद्रा कानून का पालन कराना।

PMLA 2002: मनी लॉन्ड्रिंग की जांच और दोषियों की संपत्ति जब्त करना।

FEOA 2018: आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करना।

COFEPOSA 1974: तस्करी और विदेशी मुद्रा अपराधों में नजरबंदी की सिफारिश।

PMLA के तहत ईडी के पास बिना नोटिस दिए तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार है। आरोपियों को जमानत मिलना भी कठिन बना दिया गया है।

ईडी पर क्यों उठते हैं सवाल?

ईडी का इस्तेमाल हाल के वर्षों में राजनीतिक मामलों में बढ़ा है। कई विपक्षी नेता ईडी की जांच के घेरे में आ चुके हैं। आलोचकों का कहना है कि ईडी का दुरुपयोग हो रहा है और इसे राजनीतिक हथियार की तरह प्रयोग किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि ईडी द्वारा दर्ज ECIR (Enforcement Case Information Report) एफआईआर जैसा नहीं है और आरोपी को इसकी कॉपी नहीं मिलती।

ईडी के अधिकार और अन्य एजेंसियों से तुलना

ईडी को पूरे भारत में किसी भी राज्य की अनुमति के बिना कार्रवाई करने का अधिकार है, जबकि CBI को राज्य सरकार की सहमति या अदालत के आदेश की आवश्यकता होती है। NIA के पास भी पूरे देश में कार्रवाई का अधिकार है, लेकिन उसके तहत केवल आतंकवाद और सीमित अपराध ही आते हैं।

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