For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

परीक्षा प्रणाली के बोझ तले शिक्षा व्यवस्था चरमरा चुकी है, मूल्यांकन पद्धति बदलनी होगी : मनीष सिसोदिया

आज पूरा शिक्षा तंत्र परीक्षा का गुलाम बना हुआ है। ऐसे में अगर हमें शिक्षा सुधार के लिए काम करना है तो सबसे पहले मौजूदा मूल्यांकन पद्धति को बदलना होगा।

05:22 PM Dec 29, 2022 IST | Desk Team

आज पूरा शिक्षा तंत्र परीक्षा का गुलाम बना हुआ है। ऐसे में अगर हमें शिक्षा सुधार के लिए काम करना है तो सबसे पहले मौजूदा मूल्यांकन पद्धति को बदलना होगा।

परीक्षा प्रणाली के बोझ तले शिक्षा व्यवस्था चरमरा चुकी है  मूल्यांकन पद्धति बदलनी होगी   मनीष सिसोदिया
आज पूरा शिक्षा तंत्र परीक्षा का गुलाम बना हुआ है। ऐसे में अगर हमें शिक्षा सुधार के लिए काम करना है तो सबसे पहले मौजूदा मूल्यांकन पद्धति को बदलना होगा। यह सिस्टम बच्चे के प्रदर्शन के बजाए 3 घंटे की परीक्षा में बच्चे की रटने की क्षमता के आधार पर उसका आकलन करता है।
Advertisement
परीक्षा प्रणाली के बोझ तले शिक्षा व्यवस्था चरमरा चुकी है, क्योंकि मौजूदा परीक्षा प्रणाली बच्चों के लनिर्ंग आउटकम को जानने, उसकी कमियों-खूबियों को जानने के बजाय उसे पास या फेल का तमगा देने के लिए बनी हुई है। गुरुवार को दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया सिसोदिया ने यह बात कही।
शिक्षण मूल्यांकन प्रणाली में 5 प्रमुख बदलाव
सिसोदिया ने गुरुवार को आईआईटी दिल्ली द्वारा आयोजित 13वें एजुकेशन कांफ्रेंस ‘एडूकार्निवल’ में ये बातें कही।सिसोदिया ने कहा कि परीक्षा प्रणाली को बदलने के लिए हमने दिल्ली सरकार के कुछ स्कूलों में अपने नए बोर्ड- दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के साथ कुछ अनूठे बदलाव करने शुरू किए है। इसके बेहतर नतीजे देखने को मिले है। उन्होंने बताया कि डीबीएसई के माध्यम से पारंपरिक शिक्षण मूल्यांकन प्रणाली में 5 प्रमुख बदलाव किए।
Advertisement
हर पक्ष का सही मूल्यांकन 
इन बदलाव में साल के अंत में होने वाली हाई स्टेक परीक्षा की बजाए, साल भर निरंतर आंकलन ताकि बच्चे के हर पक्ष का सही मूल्यांकन की बात कही गई है। पेन-पेपर परीक्षाओं के अलावा नई मूल्यांकन विधियों जैसे परियोजनाओं, प्रदर्शन, प्रस्तुतियों, रिपोर्ट आदि को अपनाना भीम बदलाव का हिस्सा है। बच्चों में रटकर की प्रधानता को खत्म कर कॉन्सेप्ट्स को समझने, उसे जांचने और परखने का मौका दिया गया है। इसके अलावा इन बदलावों के तहत बच्चों के उत्तर को सही-गलत बताने के बजाय उनका रूब्रिक आधारित मूल्यांकन करना और मार्क्‍स या ग्रेड देने के बजाय विपरीत विस्तृत गुणात्मक प्रतिक्रिया को प्राथमिकता देने की बात कही गई है।
सभी बोर्ड को अपने परीक्षा प्रणाली में बदलाव लाने की जरुरत
सिसोदिया ने बताया कि, डीबीएसई ने रिपोर्ट कार्ड में भी बदलाव किए। पारंपरिक रिपोर्ट कार्ड जो बच्चों के अंक या पास-फेल बताते थे उसके बजाए बच्चे के विभिन्न बेहतरी व कमजोरी के क्षेत्र के विषय में विस्तृत तरीके से फोकस किया गया है। सिसोदिया ने कहा कि इसके लिए देश के सभी बोर्ड को अपने परीक्षा प्रणाली में बदलाव लाने की जरुरत है। परीक्षा प्रणाली में बदलाव को हर मंच पर उठाने की जरुरत है और इसके महžव को समझाने की जरुरत है क्योंकि जबतक पारंपरिक परीक्षा प्रणाली बनी रहेगी तबतक बच्चे सीखने के बजाय रटते रहेंगे। परीक्षा सिर्फ पास होने की जंग बनकर रह जाएगा। दिल्ली में इसकी शुरूआत कर दी गई है।
Advertisement
Author Image

Advertisement
×