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ब्राह्मण विरोध में डूबा शिक्षण संस्थान, जेएनयू छात्र और शिक्षक निकायों ने मामले में जांच की मांग की

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कई दीवारों पर ब्राह्मण विरोधी नारे लिखे जाने की घटना सामने आने के एक दिन बाद शुक्रवार को शिक्षक व छात्र संगठनों ने मामले की “स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच” कराने का अनुरोध किया

06:43 PM Dec 02, 2022 IST | Desk Team

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कई दीवारों पर ब्राह्मण विरोधी नारे लिखे जाने की घटना सामने आने के एक दिन बाद शुक्रवार को शिक्षक व छात्र संगठनों ने मामले की “स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच” कराने का अनुरोध किया

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कई दीवारों पर ब्राह्मण विरोधी नारे लिखे जाने की घटना सामने आने के एक दिन बाद शुक्रवार को शिक्षक व छात्र संगठनों ने मामले की “स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच” कराने का अनुरोध किया।इससे पहले, छात्रों ने ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज- II’ की इमारत की जिन दीवारों पर ब्राह्मण और बनिया समुदायों के खिलाफ नारे लिखे गए थे, उन्हें तोड़े जाने का दावा किया। इन नारों में ब्राह्मण और बनिया समुदाय के सदस्यों से विश्वविद्यालय और देश छोड़ने को कहा गया।
जेएनयू शिक्षक संघ ने एक बयान में कहा कि इस तरह की घटनाओं के बारे में सुनकर दुख हुआ। बयान में कहा गया है, “जेएनयूटीए इस अत्यंत निंदनीय कृत्य की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करता है। यह विविधता की भावना और सभी विचारों को जगह देने के जेएनयू के मूल लोकाचार का उल्लंघन करता है।”जेएनयूटीए ने विश्वविद्यालय प्रशासन से तुरंत घटना की जांच शुरू करने, दोषियों की पहचान करने और विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया।
पहली बार नहीं इस तरह की हरकत
दीवारों पर लिखे नारों में से कुछ नारे हैं, ‘‘ब्राह्मण परिसर छोड़ो’’, ‘रक्तपात होगा’, ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’ और ‘ब्राह्मणों और बनिया, हम तुम्हारे पास बदला लेने आ रहे हैं।’जेएनयू प्रशासन ने कहा था कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।प्रशासन ने कहा कि ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज एंड ग्रीवेंस कमेटी’ को जांच करने और जल्द से जल्द कुलपति शांतिश्री डी पंडित को एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।जेएनयू छात्र संघ ने दावा किया कि विश्वविद्यालय में इस तरह की हरकत पहली बार नहीं हुई है।जेएनयूएसयू ने बयान में कहा, इसका मकसद परिसर के माहौल को खराब कर सामान्य स्थिति को बिगाड़ना है। विश्वविद्यालय के अंदर इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान ऐसी कई घटनाएं हुई हैं।
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