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दिवाला कानून का दिखने लगा असर

दिवाला कानून लागू होने के बाद से पिछले दो साल के दौरान प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से 3 लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज का समाधान करने में मदद मिली है।

11:03 AM Nov 25, 2018 IST | Desk Team

दिवाला कानून लागू होने के बाद से पिछले दो साल के दौरान प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से 3 लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज का समाधान करने में मदद मिली है।

नई दिल्ली : दिवाला कानून लागू होने के बाद से पिछले दो साल के दौरान प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से 3 लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज का समाधान करने में मदद मिली है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता सहिंता (आईबीसी) के तहत समाधान के लिये अब तक 9,000 से अधिक मामले आये हैं।

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इस कानून को दिसंबर 2016 में लागू किया गया। कॉर्पोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि आईबीसी का करीब तीन लाख करोड़ रुपये की फंसी परिसंपत्तियों पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से असर हुआ है और फंसे कर्ज के समाधान में मदद मिली है। इस राशि में समाधान योजना के माध्यम से हुई वसूली और राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष आने से पहले निपटाये गये मामलों से प्राप्त राशि भी शामिल की गई है।

उन्होंने कहा कि 3,500 से अधिक मामलों को एनसीएलटी में लाने से पहले ही सुलझा लिया गया और इसके परिणास्वरूप 1.2 लाख करोड़ रुपये के दावों का निपटारा हुआ। आईबीसी के तहत, एनसीएलटी से अनुमति के बाद ही मामले को समाधान के लिये आगे बढ़ाया जाता है। श्रीनिवास ने कहा कि करीब 1,300 मामलों को समाधान के लिये रखा गया और इनमें से 400 के आसपास मामलों में कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है 60 मामलों में समाधान योजना को मंजूरी मिल गयी है, 240 मामलों में परिसमापन के आदेश दिये गये हैं जबकि 126 मामलों में अपील की गयी है।

इन मामलों में से जिनका समाधान हो गया उनसे अब तक 71,000 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। आईबीसी के तहत परिपक्वता के चरण में पहुंच चुके मामलों में 50,000 करोड़ रुपये और मिल जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि कानून की समाधान प्रक्रिया के तहत प्राप्त राशि और जल्द मिलने वाली राशि को यदि जोड़ लिया जाये तो कुल 1.2 लाख करोड़ रुपये आये हैं इसमें यदि एनसीएलटी प्रक्रिया में आने से पहले ही सुलझा लिये गये मामलों को भी जोड़ दिया जाये तो यह राशि 2.4 लाख करोड़ रुपये हो जायेगी।

सचिव ने जोर देते हुये कहा कि जिन खातों में मूल और ब्याज की किस्त आनी बंद हो गई थी और वह गैर-मानक खातों में तब्दील हो गये थे। कानून लागू होने के बाद इनमें से कई खातों में किस्त और ब्याज आने लेगा और ये खाते एनपीए से बदलकर स्टैंडर्ड खाते हो गये।

ऐसे खातों में कर्जदार ने बकाये का भुगतान किया है। यह राशि 45,000 से 50,000 करोड़ रुपये के दायरे में है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार करीब तीन लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज पर आईबीसी का सीधा या परोक्ष असर हुआ है।

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