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भारत को गुजरात में बदलने के प्रयास : तृणमूल कांग्रेस सांसद

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने गत सप्ताह घोषणा की थी कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर 11 नवंबर को पूरे पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन करेगी।

06:15 PM Nov 11, 2019 IST | Desk Team

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने गत सप्ताह घोषणा की थी कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर 11 नवंबर को पूरे पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन करेगी।

इंजीनियरिंग कॉलेजों मे प्रवेश के लिए जेईई (मुख्य) परीक्षा के आयोजन के लिए गुजराती भाषा को शामिल किये जाने को लेकर केन्द्र की आलोचना करते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को कहा कि ‘‘भारत को गुजरात में बदलने’’ के प्रयास किये जा रहे है क्योंकि प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृह मंत्री दोनों इस पश्चिमी राज्य से है। बनर्जी के दावे को खारिज करते हुए भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि ‘‘राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी एक गैर मुद्दे को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है।’’ 
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तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए जेईई (मुख्य) परीक्षा के आयोजन में क्षेत्रीय भाषाओं के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए सोमवार को राज्य भर में रैलियां निकाली। हालांकि, उन इलाकों में प्रदर्शन नहीं किया गया जो चक्रवात ‘बुलबुल’ से प्रभावित हैं। वहां पार्टी के कार्यकर्ता राहत कार्यों में लगे हैं। 
अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘‘भारत को गुजरात में बदलने के प्रयास किये जा रहे हैं। केवल इसलिए कि प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) गुजरात से है।’’ पोस्टर और तख्तियां लिए हुए टीएमसी समर्थकों ने केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए सभी प्रखंडों और जिलों में रैलियां निकालीं। उन्होंने मांग की कि जेईई (मुख्य) परीक्षा के लिए भाषा के तौर पर बांग्ला को भी शामिल किया जाए। 
मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने गत सप्ताह घोषणा की थी कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर 11 नवंबर को पूरे पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन करेगी। तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने सोमवार को मध्य कोलकाता के मायो रोड इलाके में एक बड़ी रैली भी आयोजित की। 
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने जेईई (मुख्य) परीक्षा में केवल गुजराती भाषा को शामिल किए जाने को लेकर केंद्र पर हमलावर रुख अपना रखा है। उन्होंने कहा कि उनके मन में गुजराती भाषा के लिए कोई द्वेष नहीं है लेकिन अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को भी सूची में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि इस फैसले पर राज्यों की राय नहीं ली गयी। हालांकि, यह परीक्षा आयोजित कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने इस आरोप को खारिज कर दिया। 
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