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Ekadashi Ki Aarti Lyrics: परिवर्तिनी एकादशी पर इस आरती से करें भगवान विष्णु की पूजा, जानें पूजा की संपूर्ण विधि

12:30 PM Sep 03, 2025 IST | Shweta Rajput
Ekadashi Ki Aarti Lyrics

Ekadashi Ki Aarti Lyrics: हिंदू धर्म में हर एकादशी का काफी बड़ा महत्व है। एकादशी को आस्था का सबसे काफी पवित्र दिन माना जाता है। बता दें कि पूरे साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं, हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी आती है। अधिक मास (मलमास) होने पर यह संख्या बढ़कर 26 तक भी हो सकती है। आज 3 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी मनाई जा रही है।

हिन्दू धर्म में परिवर्तिनी एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है जो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में करवट बदलते हैं। यही कारण है कि इसे परिवर्तिनी एकादशी या जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। चातुर्मास की शुरुआत में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और परिवर्तिनी एकादशी के दिन उनकी यह मुद्रा बदलती है।

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Ekadashi Ki Aarti Lyrics: परिवर्तिनी एकादशी इस आरती से करें पूजा

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Ekadashi ki aarti lyrics

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ओम।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ओम ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ओम ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ओम ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ओम ।।

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ओम ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ओम ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ओम ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ओम ।।

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ओम ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ओम ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्रय हरनी ।। ओम ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ओम ।।

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Ekadashi Vrat Vidhi And Aarti: जानें परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि

ekadashi vrat vidhi and aarti

1. परिवर्तिनी एकादशी के दिन प्रात: उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।

2. इसके बाद अच्छी तरह से घर और मंदिर की साफ-सफाई करें।

3. इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को साफ जगह पर स्थापित करें।

4. इसके बाद भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें

5. इसके बाद भगवान विष्णु का पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें।

6. इसके बाद घर के मंदिर में और भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं।

7. इसके बाद व्रत का संकल्प लें और यथाशक्ति एकादशी का उपवास रखें।

8. इशके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

9. इसके बाद परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें और तुलसी दल सहित भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को भोग लगाएं

10. व्रत का पारण करने से पहले अंत में क्षमा प्रार्थना कर व्रत संपन्न करें।

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Parivartini Ekadashi Ka Mahatav: जानें परिवर्तिनी एकादशी का महत्व 

Parivartini Ekadashi Ka Mahatav

परिवर्तिनी एकादशी का सनातन धर्म में काफी बड़ा महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्‍मी भी प्रसन्‍न होती हैं। देवी लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर धन-धान्‍य की बरसात करती है, जिससे घर धन-धान्‍य से संपन्न बनता है।

इतना ही नहीं पुराणों के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से मुनष्‍य भवसागर तर जाता है और उसे प्रेत योनि के कष्‍ट नहीं उठाने पड़ते हैं। साधर पर इस व्रत को करने से हमेशा लक्ष्मी-नारायण की कृपा बनी रहती है।

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