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PPAC : दिल्लीवासियों पर महंगाई की एक और मार, बिजली बिल बढ़ने से जेब को लगेगा झटका

बिजली खरीद का रेट बढ़ने की वजह से पावर पर्चेस एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) में 4 फीसदी की बढ़ोतरी की है जिससे आने वाले समय में ग्राहकों को ज्यादा बिल चुकाना पड़ेगा।

10:54 AM Jul 11, 2022 IST | Ujjwal Jain

बिजली खरीद का रेट बढ़ने की वजह से पावर पर्चेस एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) में 4 फीसदी की बढ़ोतरी की है जिससे आने वाले समय में ग्राहकों को ज्यादा बिल चुकाना पड़ेगा।

ppac   दिल्लीवासियों पर महंगाई की एक और मार   बिजली बिल बढ़ने से जेब को लगेगा झटका
हाल ही में देशभर में रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में इजाफा हुआ था और अब दिल्ली वासियों पर महंगाई की एक और मार पड़ गयी है।  जी हाँ अब दिल्ली वासियों के बिजली बिलों में इजाफा होने जा रहा है जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। बिजली खरीद का रेट बढ़ने की वजह से  पावर पर्चेस एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) में 4 फीसदी की बढ़ोतरी की है जिससे आने वाले समय में ग्राहकों को ज्यादा बिल चुकाना पड़ेगा।
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पीपीएसी में दिल्ली में बिजली की लागत बढ़ी 
बिजली वितरण कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं पर लगाए जाने वाले बिजली खरीद समायोजन लागत (पीपीएसी) में जून के मध्य से चार प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ दिल्ली में बिजली की लागत बढ़ गई है। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
बिजली विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) ने दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) की मंजूरी के बाद कोयले और गैस जैसे ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण यह बढ़ोतरी की है। इस संबंध में डीईआरसी की कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिली।
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जानिये क्या है PPAC
पीपीएसी बाजार संचालित ईंधन लागत में भिन्नता के कारण डिस्कॉम को क्षतिपूर्ति करने के लिए एक अधिभार है।अधिकारियों ने कहा कि यह कुल ऊर्जा लागत और बिजली बिल के फिक्स्ड चार्ज घटक पर अधिभार के रूप में लागू होता है। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘‘डीईआरसी की मंजूरी के मुताबिक, दिल्ली में पीपीएसी में 11 जून से चार फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।’’
बता दें कि PPAC ईंधन की कीमतों में वृद्धि को ऑफसेट करने के लिए लगाया जाता है। PPAC की कीमतों में फिलहाल की गई बढ़ोतरी इंपोर्ट किए जाने वाले कोयले के सम्मिश्रण, गैस की कीमतों में वृद्धि और बिजली एक्सचेंज में कीमतें बढ़ने पर आधारित है. CERC के 12 रुपये प्रति यूनिट तक सीमित होने से पहले यह लगभग 20 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गया था।
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