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पूरे विमानन ढांचे का होगा आडिट

सुरेश प्रभु ने इस मुद्दे पर कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है और इससे संबंधित दिशानिर्देशों के उल्लंघन को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

11:40 AM Jan 12, 2019 IST | Desk Team

सुरेश प्रभु ने इस मुद्दे पर कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है और इससे संबंधित दिशानिर्देशों के उल्लंघन को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

नई दिल्ली : देश की एयरलाइन कंपनियों को प्रैट एंड व्हिटनी (पीएंडडब्ल्यू) इंजन चालित एयरबस विमानों में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है और इससे संबंधित दिशानिर्देशों के उल्लंघन को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि सुरक्षा सुनिश्चित करना नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की जिम्मेदारी है। ‘हम उन्हें पहले ही निर्देश दे चुके हैं कि सुरक्षा मुद्दों से कोई समझौता नहीं किया जायेगा। हर हाल में सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिये।’

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मंत्री ने ट्विटर लाइवस्ट्रीम के दौरान कहा कि सुरक्षा संबंधी मु्द्दों पर किसी तरह के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उनसे पीएंडडब्ल्यू इंजनों को लेकर आ रही दिक्कतों के बारे में पूछा गया था। भारत में कई ए320 नियो विमान पीएंडडब्ल्यू इंजन संचालित हैं। ए320 नियो विमानों का विनिर्माण एयरबस द्वारा किया जाता है।

गोएयर के बेड़े में 49 विमान हैं जिसमें से 30 ए320 नियो विमान हैं। प्रभु ने कहा कि हमने उन्हें पहले ही परिचालन के लिए पूरी आजादी दी है। डीजीसीए को सुरक्षा आडिट का निर्देश दिया गया है। इसमें सिर्फ एयरलाइंस ही नहीं बल्कि पूरे विमानन पहलू मसलन विमानन ढांचे आदि का भी आडिट होना है।

वाडिया समूह की बजट विमानन कंपनी गोएयर को इंजन दिक्कतों की वजह से सात ए320 नियो विमान खड़े करने पड़े हैं। मंगलवार शाम को तीन घंटे तक चली बैठक में नागर विमानन मंत्रालय के अधिकारियों ने पीएंडडब्ल्यू, एयरबस, इंडिगो और गोएयर के वरिष्ठ कार्यकारियों के साथ पीएंडडब्ल्यू इंजन में समस्याओं पर विचार विमर्श किया था। डीजीसीए ने बुधवार को कहा था कि वह एक सप्ताह में एयरलाइंस को अतिरिक्त सुरक्षा प्रोटोकॉल निर्देश जारी करेगा।

एयर इंडिया के बारे में पूछे जाने पर प्रभु ने कहा कि एयरलाइन के भविष्य के राजस्व से उसके भारी भरकम कर्ज के बोझ को पूरा नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय विमानन कंपनी को विरासत में मिली इस स्थिति को उसके समक्ष मौजूदा चुनौतियों से अलग करके देखना होगा। इंडियन एयरलाइंस का एयर इंडिया के साथ विलय होने के बाद से ही यह एयरलाइन घाटे में चल रही हे। विमानन कंपनी पर 48,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बोझ है।

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